कभी ठंडक और शुद्धता का जादू बिखेरती थी नैनीताल की हवा, अब हो रही है जहरीली

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नैनीताल का नाम देश और दुनिया में किसी ने ना सुना हो। नैनीताल का नाम लेते ही लोगों के जहन में ताजी शुद्ध हवा और प्राकृतिक नजारे तैरने लगते हैं। लेकिन कभी ठंडक और शुद्धता का जादू बिखेरने वाली नैनीताल की हवा अब खराब हो रही है। रिपोर्टस नैनीताल की हवा को पहाडों की सबसे खराब हवा बता रही हैं।

नैनीताल में ठंडी हवा के मजे लेने के लिए देश के कोने-कोने से लोग नैनीताल आते हैं। लेकिन अब नैनीताल की हवा खराब हो रही है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस शहर की पहचान ताजी हवा से थी। वहां की हर गली में अब प्रदूषण की गंध है। नैनीताल सालों से ठंडी साफ हवा और ताजगी के लिए जाना जाता है। लेकिन अब इस साफ आबोहवा पर प्रदूषण की चादर चढ़ने लगी है।

लगातार बढ़ रहा है नैनीताल में पीएम 10 का स्तर
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो नैनीताल में बीते एक साल के अंदर पीएम 10 का स्तर 15 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गया है जो साफ साफ खतरे की घंटी है। लेकिन नैनीताल के पीएम 10 का स्तर क्यों बढ़ रहा है ये बड़ा सवाल है। दरअसल इस सब के पीछे की वजह यहां बढ़ते पर्यटक और उनके वाहन हैं।

पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अपनी रिपोर्ट में बताया है की बीते एक साल में नैनीताल का पीएम 10 स्तर 76.77 माइक्रोग्राम पर क्यूब हो गया है। जो तमाम पर्वतीय इलाकों में से सबसे ज्यादा है। बीते साल की बात करें तो तब ये पीएम 10 स्तर 64.08 था। यानी इसमें 12.69 माइक्रोग्राम तक बढ़ोतरी हुई है।

धीरे-धीरे बदल रहा है नैनीताल का मौसम
बता दें कि इस से पहले भी आर्य भट्ट प्रेक्षण वित्रान शोध संस्थान और दिल्ली विवि के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर अपनी शोध प्रकाशित की थी। जिसमें वैज्ञानिकों को यहां कार्बन डाइऑक्साइड के कण मिले जो बिल्कुल वैसे है जैसे ग्लोबल वार्मिंग में मिलते हैं और इनकी मात्रा काफी ज्यादा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि धीरे-धीरे सरोवर नगरी नैनीताल की आबोहवा प्रदूषित होती जा रही है और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में नैनीताल के मौसम पर इसका गहरा असर देखने मिलेगा। इसका असर नैनीताल के मौसम में दिखने भी लगा है इस साल नैनीताल में बहुत कम बर्फबारी हुई और गर्मी भी ज्यादा देखने को मिली है।

क्या होता है पीएम 10 स्तर ?
पीएम 10 हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों के बारे में बताता है। PM10 कणों को रेस्पॉयरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहा जाता है। हवा में धूल के कणों को मापने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। PM 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होता है। अगर ये लेवल कहीं पर 100 माइक्रोग्राम से ज्यादा है तो वहां रहने या जाने वाले लोगों में सांस, फेफड़े और हृदय संबंधी दिक्कतों आ सकती हैं।