नैनीताल HC ने बलियानाला में हो रहे भूस्खलन पर दायर याचिका पर सुनवाही की
नैनीताल अब तक की बड़ी खबर सामने आ रही है यहां पर हाई कोर्ट के द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया है।हाईकोर्ट ने गत दिवस को नैनीताल के बलियानाला में हो रहे भूस्खलन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट के पूर्व के आदेश के क्रम में गत दिवस को सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए तथा अब तक किए गए कार्यों की जानकारी दी। याची की आपत्ति पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि सचिव द्वारा दायर शपथपत्र पर वह अपना जवाब सबूतों के साथ तीन सप्ताह में पेश करें। अगली सुनवाई के लिए 29 दिसंबर की तिथि नियत की गई। उस दिन सचिव आपदा प्रबंधन को भी पेश होने के निर्देश दिए।
सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खण्डपीठ में हुई। बता दें कि नैनीताल निवासी अधिवक्ता सैय्यद नदीम मून ने 2018 में उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा था कि नैनीताल के आधार कहे जाने वाले बलियानाले में हो रहे भूस्खलन से नैनीताल व इसके आसपास रहे लोगों को बड़ा खतरा हो सकता है। नैनीताल के अस्तित्व और लोगों को बचाने के लिए इसमे हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाए। ताकि क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोका जा सके। पूर्व के आदेश पर आज सैकेट्री डिजास्टर मैनेजमेंट एस.ए. मुरुगेशन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए।कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ता से कहा है कि सैकेट्री द्वारा दायर शपथपत्र पर वह अपना जवाब तथ्यों के साथ तीन सप्ताह में पेश करें।
खण्डपीठ ने अगली सुनवाई हेतु 29 दिसम्बर की तिथि नियत की है। साथ में सैकेट्री मैनेजमेंट से भी कोर्ट में उस दिन पेश होने को कहा है. सैकेट्री मैनेजमेंट ने शपथपत्र पेश कर कहा है कि उन्होंने 2018 में हाई पावर कमेटी द्वारा दिये गए सुझावों में से कई सुझाव पर कार्य कर दिया है. जैसे सिंचाई विभाग ने नाले व उसके आसपास सुरक्षा दीवार बना दी है। वन विभाग ने भूस्खलन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ लगा दिए हैं। जिला प्रशाशन ने प्रभावित क्षेत्र के लोगो को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। सरकार ने नाले के ट्रीटमेंट के लिए 20 करोड़ रुपया सिंचाई विभाग को अवमुक्त किया जा रहा है। नाले का ट्रीटमेंट कर रही जैपनीज कम्पनी से ठेका वापस लेकर पुणे की कम्पनी को ठेका दे दिया है।सैकेट्री द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया कि भूस्खलन में उनके दो लैंड स्लाइड अलार्मिंग सिस्टम बह गए हैं। इनको भी फिर से लगाया जा रहा है।
इस शपथपत्र का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि स्थल पर कोई कार्य नहीं हुआ है। यह शपथपत्र एक कमरे में बैठकर बनाया गया है। जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इसका उत्तर फोटोज के साथ पेश करें ताकि कोर्ट को हकीकत का पता चल सके। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।
पूर्व में याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में प्रार्थरना पत्र देकर कहा था कि नैनीताल का बलिया नाले में बरसात के समय भारी भूस्खलन होते जा रहा है। जिससे कि उसके आसपास रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं। भूस्खलन होने के कारण प्रशासन ने कुछ परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया है। लेकिन सरकार की लापवाही के चलते आज तक इसका कोई ठोस ट्रीटमेंट नहीं किया गया। जबकि करोड़ो रूपये इस पर खर्च किया गया। 2018 में कोर्ट के आदेश पर इसके समाधान के लिए एक हाईपावर कमेटी भी गठित की गई थी लेकिन उसके द्वारा दिये गए सुझावों पर आज तक प्रसाशन ने कोई ध्यान नहीं दिया।
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