Nagpur Violence video: महाराष्ट्र में क्यों भड़की हिंसा? किस अफवाह ने फैलाई आग, जानिए

ख़बर शेयर करें
Nagpur_Violence

बीते कुछ दिनों से महाराष्ट्र में औरंगजेब (Aurangzeb Tomb) की कब्र को लेकर विवाद चल रहा था। जो अब हिंसक रूप ले चुका है। सोमवार यानी की 17 मार्च को नागपुर की गलियों में दो गुठों के बीच हिंसा(Nagpur Violence) भड़क उठी। पथराव हुआ, वाहनों में तोड़फोड़ और गाड़ियां जला दी गई। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रही है। हालात इतने खराब हो गए की पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। ऐसे में चलिए जानते है कि इस हिंसा ने रोद्र रूप आखिर किस वजह से लिया।

Ad

video link- https://youtu.be/tLBuW4MSFzQ?si=pEE2J8Job9AyUbk8

अफवाह ने फैलाई आग ! Nagpur Violence Reason

दरअसल विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता नागपुर में औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। बता दें की मुगल शासक औरंगजेब ने भारत में 1658 से 1707 तक शासन किया। 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में औरगंजेब की मौत हो गई और औरंगजेब को दैलताबाद में फकीर बुरुहानुद्दीन की कब्र के अहाते में दफना दिया गया।

आज 318 साल के बाद भारत में औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में स्थित औरंगजेब की कब्र को लंबे समय से हटाए जाने की मांग की जा रही है इसके लिए बकायदा प्रदर्शन भी हो रहे हैं। नागपुर में हो रहे एक ऐसे ही प्रदर्शन के दौरान एक अफवाह फैली कि एक कलमा लिखा कपड़ा जला दिया गया है। लिहाजा इस अफवाह के फैलते ही मुस्लिम समुदाय में आक्रोश बढ़ गया। माहौल गरमाने लगा और पूरा शहर जल उठा। इस बीच पुलिस पर भी पथराव हुआ।

महल में लगी section 144

पथराव और आगजनी के बाद पुसिल ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े तब जाकर स्थिति कुछ हद तक काबू में आई। हालांकि ऐसे हालातों को देखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है जिसके तहत चार या उससे ज्यादा लोग एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते।

riots in nagpur

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस हिंसा को लेकर सख्त रुख अपनाया और साफ कर दिया कि दंगा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने पुलिस को दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने और सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
ये पहली बार नहीं है जब अफवाहों ने हिंसा को जन्म दिया है। लेकिन सवाल ये है कि इतिहास को बहस का मुद्दा बनाकर हमारे देश में आखिर कब तक सियासत की जाएगी?