मौत से पहले पुलिस को दिया गौस का बयान बन सकता मलिक और साफिया के गले का फंदा

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– जिस गौस रजा खां के नाम से साफिया ने लगाया शपथपत्र, मौत से पहले उसने दिया बयान झूठा है यह

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हल्द्वानी skt. Com

  Company garden or malik garden हल्द्वानी की कंपनी बाग जिसे मालिक का बगीचा भी कहा जाता है के मालिकाना हक को लेकर गौस रजा खान के नाम से लगाया गया शपथ पत्र पुलिस की पूछताछ में खुद गौस ने फर्जी बता दिया जिससे अब 8 फरवरी को बनभूलपुरा के मालिक के बगीचे में हुई हिंसा भड़काने के आरोप में बंद मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी साफ़िया मलिक की मुश्किलें बढ़ सकती है

यही नहीं झूठा शपथ पत्र साबित होने के बाद उनके लिए यह शपथ पत्र भी गले का फांस बन सकता है । मौत से पहले दिया गया यह बयान जेल में बंद अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी साफिया के खिलाफ जा रहा है

बनभूलपुरा हल्द्वानी में कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) की जमीन को खुर्द-बुर्द करने के मामले में अब्दुल मलिक और उसकी बीवी साफिया मलिक की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। मौत से पहले गौस रजा खां ने जो बयान पुलिस को दर्ज कराएं हैं, वो जेल में बंद दोनों आरोपियों के खिलाफ हैं।

इसी जमीन की वजह से फैली थी हिंसा
ये वही मलिक का बगीचा है, जिसके लिए बीती 8 फरवरी को हिंसा भड़की। बनभूलपुरा थाना फूंका गया और दर्जनों वाहनों को उपद्रवियों ने जला दिया। इस मामले में तीन मुकदमे दर्ज हुए और अब्दुल मलिक को मुख्य आरोपी बनाया गया। जमीन को खुर्द-बुर्द करने के मामले में चौथा मुकदमा 22 फरवरी को उप नगर आयुक्त ने दर्ज कराया गया। जिसमें अब्दुल मलिक, अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक, अख्तरी बेगम, नबी रजा खां, गौस रजा खां और बरेली निवासी अब्दुल लतीफ को आरोपी बनाया गया।

पहले ही मर चुके थे तीन आरोपी
आरोपी अख्तरी बेगम, नबी रजा खां और अब्दुल लतीफ की पहले ही मौत हो चुकी थी। जबकि चौथा गौस रजा खां करीब 11 साल के बीमार और बिस्तर पड़ था। इसी गौस रजा खां के नाम से न्यायालय में शपथ पत्र लगाया गया, जिसे नगर निगम के झूठा बताया। गौस रजा की हालत इतनी खराब थी कि वह चल-फिर भी नहीं सकता था। 82 वर्षीय गौस रजा का दिल्ली स्थित एक अस्पताल इलाज चल रहा था। चिकित्सकों ने जवाब दिया तो परिजन उन्हें बनभूलपुरा स्थित घर ले आए और यहां उनकी मौत हो गई।

‘शपथ पत्र पर नही मेरा हताक्षर’
सूत्रों की मानें तो मौत से पहले पुलिस गौस के घर पहुंची थी। जहां गौस ने अपने बयान दर्ज कराए। कहा, वह सालों से बिस्तर पर है। चलने लायक भी नहीं है। उसका शपथ पत्र झूठा है। उसने अपनी ओर से कोई शपथ पत्र नहीं दिया। पुलिस ने जब उन्हें शपथ पत्र में दर्ज हस्ताक्षर दिए तो उन्होंने हस्ताक्षर उनके होने से इंकार कर दिया। जांच में झूठा शपथ बनाने वाले स्टांप लेखक ने भी झूठा शपथ पत्र बनाने की बात कबूली है।

नोटरी करने वाले वकील से भी हुई पूंछतांछ
पुलिस ने नोटरी करने वाले वकील से भी पूछताछ की। उसने भी कबूल किया कि गौस रजा खां उसके पास शपथ पत्र बनाने नहीं आया था। कोतवाल उमेश मलिक ने बताया कि मामले की जांच गहनता से की जा रही है। हर तथ्य को बारीकि से देखा जा रहा है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी