क्या महेश रोक पाएंगे भगत की हैट्रिक, या भगत करा देंगे हार की हैट्रिक! गजराज रौदेगा किसके वोटों की फसल

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हल्द्वानी एसकेटी डॉटकॉम

कालाढूंगी विधानसभा का चुनाव अब रोचक मोड़ पर आ गया है। 2 हफ्ते का समय कुल बचा है इसमें करो या मरो वाली स्थिति में भाजपा और कांग्रेस है। मुख्य तौर पर यहां मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होता आया है साथ ही निर्दलीय के तौर पर भी किसी ने किसी प्रत्याशी की उपस्थिति रही है ।

निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी इस चुनाव को काफी कुछ इस चुनाव को प्रभावित भी किया है। इस बार भी निर्दलीय चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा अंतर यह है कि इस बार कांग्रेस से निर्दलीय नहीं होकर भारतीय जनता पार्टी के नेता निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं।

वर्ष 2022 का चुनाव दो नेताओं के लिए करो या मरो की नीति पर खड़ा है। बंशीधर भगत भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री हैं और वह सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं कालाढूंगी से वह लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में है इससे पहले वह 2012 वह 2017 में इस सीट को फतह कर चुके हैं। 2022 उनके लिए हैट्रिक का मामला है। वही उनके प्रतिद्वंद्वी के तौर पर इस बार उनके सामने कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर महेश शर्मा खड़े हैं। महेश शर्मा का मुकाबला बंशीधर भगत से पहले भी हुआ है। वर्ष 2012 वर्ष 2017 के चुनाव में वह बंशीधर के सामने खड़े तो थे लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर ना होकर वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में खड़े थे।

लेकिन इस बार वह मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर खड़े हैं। पहले दो चुनाव में उन्होंने जनता के सहयोग से 10,000 से अधिक 2017 के चुनाव में 20,000 से अधिक प्राप्त किए इस बार वह कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक के बोनस के साथ बंशीधर भगत का मुकाबला करने के लिए तैयार है कालाढूंगी की जनता इस बार किसके सिर पर हैट्रिक रोकने अथवा कराने का श्रेय बांधती है यह तो 14 फरवरी को तय होगा।

बंशीधर भगत वह महेश शर्मा के बीच में यह पहला आमने सामने का मुकाबला होगा। अगर बंशीधर भगत इस चुनाव को जीत लेते हैं तो उनकी तो हैट्रिक हो जाएगी साथ में वह महेश शर्मा के लगातार तीन चुनाव हारने की हैट्रिक भी करा देंगे। वही महेश शर्मा पर लगातार 2 चुनाव जीत चुके भगत की हैट्रिक रोकने की भी जिम्मेदारी होगी। वर्ष 2017 में यहां बंशीधर भगत और कांग्रेस के प्रकाश जोशी का सीधा मुकाबला था उसमें महेश शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े थे और उन्होंने 20,000 से अधिक का आंकड़ा प्राप्त किया जो कि उनके राजनीतिक कद को काफी बड़ा था हुआ दिखा रहा था ।

लेकिन अब वह कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर बंशीधर भगत का मुकाबला कर रहे हैं 2017 की तरह यहां भी दो पार्टियों के मुख्य प्रत्याशी हैं वहीं निर्दलीय के तौर पर इस बार कांग्रेस का ना होकर भाजपा का नेता मैदान में होगा। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व के अध्यक्ष गजराज बिष्ट इस बार कालाढूंगी विधानसभा से निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। उन्होंने निर्दलीय मैदान में हटने से इनकार करते हुए कहा कि वह चुनाव जितनी अथवा विधायक बनने के लिए नहीं बल्कि उन युवाओं के लिए लड़ रहे हैं जो 20 वर्ष पूरे कर चुके हैं तथा उनके लिए रास्ता तैयार करने का उनका इरादा है कि आखिर कब तक वह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे उन्हें काम करने का बड़ा अवसर आखिर पार्टी कब देगी इसलिए उन्होंने यह जंग लड़ने का इरादा किया है। ।

कांग्रेस नेता महेश शर्मा के लिए भी यह चुनाव काफी जद्दोजहद वाला होगा। वह है इससे पहले दो चुनाव लड़ चुके हैं दोनों में उन्होंने निर्दलीय के तौर पर अपनी ताकत जरूर दिखाई है। पार्टी ने इस बार उन्हें मौका दिया है तथा टिकट नहीं मिलने के बाद जब उन्होंने नाराजगी जताई तो पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट दिया है जिससे उनके ऊपर पार्टी को जीत दिलाने और बंशीधर भगत की हैट्रिक को रोकने का भारी दबाव होगा साथ ही अपनी लगातार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हुई हार को पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर जीत में बदलने का भी दबाव होगा।

क्या वह बंशीधर भगत की हैट्रिक को रोककर कांग्रेस के लिए नई जीत का रास्ता खोल पाएंगे। तीसरी बार अपनी किस्मत हट आजमा रहे महेश शर्मा क्या बंशीधर भगत के विजय रथ को रोक पाएंगे या बंशीधर भगत उन्हें फिर से पटखनी देकर उनकी हार की हैट्रिक करा देंगे और अपनी जीत की हैट्रिक के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा का समापन कर लेंगे। बंशीधर भगत अगर रिटायर होना चाहेंगे तो वह जीत के साथ अपना बल्ला खूंटे पर पर टांग देंगे।

दोनों नेताओं के लिए यह चुनाव राजनीतिक जीवन मरण का प्रश्न बन कर खड़ा हो गया है। महेश शर्मा की हार उन्हें राजनीतिक रूप से पीछे धकेल सकती है वही उनकी जीत जहां एक और बंशीधर भगत की हैट्रिक रोक देगी वही उनके सफल राजनीतिक जीवन के आखिरी पड़ाव में असफलता का ठप्पा भी लगा देगी ऐसे में दोनों में से कोई भी एक कदम पीछे हटने को तैयार नहीं होगा दोनों के लिए जीत महत्वपूर्ण होगी ऐसे में जिस की जीत होगी वह सिकंदर होगा और जो हार जाएगा वह राजनीतिक मैदान से बाहर होकर रह जाएगा।