Lok Sabha Election : इंटरनेट के जरिए पार्टियों ने खूब किया चुनाव प्रचार, जानें किस पार्टी ने विज्ञापनों पर कितने रूपए खर्च किए इस बार

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इंटरनेट से प्रचार करने वाले पहले नेता अटल बिहारी वाजपेयी थी। उनके इंटरनेट के माध्यम से प्रचार करने के बाद से चुनावों में इंटरनेट की भूमिका बेहद ही अहम हो गई है। आजकल सोशल मीडिया और इंटरनेट के जरिए चुनावी माहौल बनाया जा रहा है और चुनाव प्रचार किया जाता है। इसके लिए पार्टियां करोड़ों रूपए खर्च करती हैं।

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1999 में पहली बार इंटरनेट से हुआ था चुनाव प्रचार
भारत में 15 अगस्त 1995 को इंटरनेट सर्विस की शुरूआत हुई थी। जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटर से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया। इसके बाद से वर्ल्ड वाइड वेब हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया। हालांकि 20 साल पहले जब इंटरनेट अपने शुरुआती दौर में था तब ही भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी ने 27 जुलाई 1999 को अपने चुनाव प्रचार के लिए VoteForAtal.Com नाम की वेबसाइट बनवाई। इसका उद्धाटन फिल्म स्टार विनोद खन्ना द्वारा किया गया। अब इंटरनेट ने अपना असर दिखाया और अटल बिहारी वाजपेयी ये चुनाव जीत गए।

आपको ये जनकर हैरानी होगी की जिस दौरान VoteForAtal.Com का उद्घाटन किया गया। इस दौरान नरेन्द्र मोदी भी यूपी बीजेपी कार्यालय में ही मौजूद थे और इस वेबसाइट का उद्धाटन किसी चर्चित चेहरे से करवाने की सलाह भी इन्हीं ने दी थी। ताकि इस इवेंट को अच्छी मीडिया कवरेज मिले और ये हुआ भी।

बीजेपी ने इंटरनेट का बखूबी किया इस्तेमाल
इंटरनेट के शुरुआती दौर में ही नरेद्र मोदी इसकी पावर को भांप चुके थेऔर इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि
साल बदले और इंटरनेट मजबूत होता चला गया। इंटरनेट की दुनिया अब सोच से भी ज्यादा बड़ी और प्रभावी हो चुकी थी।
आम जनता तक इनकी आसान पहुंच भी हो चुकी थी। राजनीतिक पार्टियां इंटरनेट की ताकत को समझ रहीं थीं। इस ताकत का इस्तेमाल साल 2014 के चुनावों में बीजेपी ने बखूबी किया। जिसका परिणाम बीजेपी को जीत के रूप में मिला।

2014 में BJP की जीत में इंटरनेट का अहम योगदान
साल 2014 के चुनावों बीजेपी को मिली जीत में भी इंटरनेट का अहम योगदान था। साल 2019 में बीजेपी की जीत का ये सिलसिला बरकरार रहा। दुनिया की फेमस यूनिवर्सिटी स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी का एक अध्ययन कहता है कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका काफी अहम रही। चुनावों के पहले ट्विटर का इस्तेमाल भी दशकों से सत्ता में बैठी कांग्रेस को हराने का एक कारण बना। आज ये बात मानने में कोई हर्ज नहीं है की चुनाव जितना जमीन पर लड़ा जाता है। उससे कहीं ज्यादा इंटरनेट पर लड़ा जाता है।

तीन महीनों में पॉलिटिकल एड्स पर 102.7 करोड़ रुपए खर्च
लोकसभा चुनावों में इस बार भी इंटरनेट का खासा असर देखने मिल रहा है। आपको बता दें की Google Ads Transparency Centre के मुताबिक Google प्‍लेटफार्म पर जनवरी मार्च 2023 के मुकाबले जनवरी मार्च 2024 के दौरान पॉलिटिकल एड्स में 11 गुना का इजाफा हुआ है। आप शायद विश्वास ना करें पर मेटा और गूगल का अनुमान है कि पिछले तीन महीनों में भारत में पॉलिटिकल एड्स पर 102.7 करोड़ रुपए के करीब तक खर्च किया गया है।

BJP ने 37 करोड़ और कांग्रेस ने 12.2 लाख रुपए किए खर्च
आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 5 दिसंबर से 3 मार्च के बीच पॉलिटिकल एड्स में 37 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। जबकि इंडिया टुडे की ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टीम की मानें तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अब तक ऑनलाइन कंटेंट प्रमोशन में 12.2 लाख रुपए खर्च किए हैं।