Lok Sabha Election : उत्तराखंड में कभी था हाथ और लाल निशान का बोलबाला, अब चल रही भगवा लहर

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उत्तराखंड में हमेशा से ही केंद्रीय दलों का प्रभाव रहा है। जहां वर्तमान में उत्तराखंड में भगवा लहर चल रही है तो वहीं कभी यहां हाथ का बोलबाला था। यहां तक की उत्तराखंड की वादियों में कभी वामपंथियों के लाल निशान का भी प्रभाव हुआ करता था। लेकिन साल 1991 में राम लहर उत्तराखंड की वादियों में ऐसी चली कि उसके बाद से उत्तराखंड में भारतीय जनता मजबूत होती चली गई।

1952 से लेकर 1990 तक उत्तराखंड में कांग्रेस का दबदबा
साल 1952 से लेकर 1990 तक इन सीटों पर ज्यादातर कांग्रेस का कब्जा जा रहा है। सालों तक कांग्रेस का उत्तराखंड में एकतरफा राज रहा। 1990 के दशक तक कांग्रेस के तिरंगे झंडे का ही प्रदेश में बोलबाला था। वो दौर ऐसा था कि देवभूमि की वादियों में कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतते रहे।

कभी वामपंथियों ने दी थी कांग्रेस को कड़ी टक्कर
आज जहां उत्तराखंड में दो मुख्य राष्ट्रीय पार्टियों के बीच मुकाबला होता है लेकिन कभी तस्वीर बिल्कुल इसके उलट थी। उत्तराखंड में 1990 के दशक से पहले कांग्रेस को हमेशा वामपंथी दलों ने ही टक्कर दी। आपको बता दें कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल का टिहरी क्षेत्र में वामपंथियों का खासा प्रभाव रहा है। इस क्षेत्र को लालघाटी के रूप में जाना जाता था। लेकिन समय के साथ वामपंथियों का प्रभाव उत्तराखंड से कम होता गया और अब मुकाबला केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच तक ही सिमट गया है।

राष्ट्रीय राजनीति से प्रभावित रही है उत्तराखंड की राजनीति
उत्तराखंड की राजनीति शुरू से ही राष्ट्रीय राजनीति से प्रभावित रही है। प्रमुख राष्ट्रीय दलों का ही यहां पर बोलबाला रहा है। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 1952 से लेकर साल 1990 तक प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस का कब्जा जा रहा है। तो वहीं 1977 के बाद प्रदेश में बीजेपी की लहर आई और धीरे-धीरे कांग्रेस कमजोर हो गई। उत्तराखंड की जनता की पसंद हमेशा राष्ट्रीय दल ही रहे। स्थानीय दलों को कभी भी ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया।

वर्तमान में देवभूमि में भगवा लहर
कभी कांग्रेस की सीटें जीतने वाली और सालों एकतरफा राज करने वाली कांग्रेस भगवा लहर के चलते ही कमजोर पड़ने लगी।साल 1989 में विश्वनाथ प्रताप की जनता दल की लहर उत्तराखंड में चली और इसके चलते कांग्रेस को देवभूमि में भारी नुकसान उठाना पड़ा। 1991 में राम लहर यहां वादियों में ऐसी चली कि ये पहाड़ी क्षेत्र भगवा रंग में रंग गया। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में भगवा रंग ही परचम लहराता रहा। साल 2014 में बीजेपी ने दमदार जीत हासिल की और साल 2019 में भी इस जीत को बरकरार रखा।