जनता के दवाब में चुनाव लड़ना मेरी मजबूरी, आशीर्वाद मिला तो यह काम जरूर करूँगा: मतीन ( देखें मतीन का इंटरव्यू)

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हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम

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कांग्रेस पार्टी ने टिकटों के वितरण को लेकर पूरा अधिकार केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दिया है। अब चुनाव के लिए प्रदेश स्तर के क्षत्रप अपना जोर नहीं अजमा पाएंगे। ऐसे में कोई भी प्रदेश का नेता अपने गुट के दावेदार को टिकट दिलाने में कोई भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा पाएगा। ऐसे में कई महत्वपूर्ण सीटों पर कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द सामने आ सकता है। पार्टी की सर्वे के अनुसार हल्द्वानी में भी तीन चार प्रमुख दावेदारों के होने के चलते इस सीट पर भी मारामारी हो सकती है अभी तक कांग्रेस की परंपरागत सीट होने के चलते यहां पर कांग्रेस का ही प्रत्याशी जीता आया है । लेकिन अब इस सीट पर दावेदारों की लंबी लाइन लग चुकी है जिनमें से टॉप के तीन प्रत्याशी अपनी जीत का दावा करते हुए किसी भी स्थिति में मानने को तैयार नहीं होंगे इसीलिए प्रदेश हाईकमान ने यह फैसला केंद्रीय हाईकमान को सौंप दिया है ।

ऐसी ही सीटों मैं हल्द्वानी की चर्चित सीट भी शामिल है। काबीना मंत्री रही कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डॉ इंदिरा हरदेश के निधन के बाद अब इस चीज पर दावेदारों की लंबी लाइन लग चुकी है। कांग्रेस के पूर्व दर्जा राज्यमंत्री अब्दुल मतीन सिद्दीकी भी इस सीट के प्रबल दावेदारों में से एक है। वह उत्तराखंड बनने से ही यहां पर कई चुनाव लड़ चुके हैं जिनमें विधानसभा चुनाव से लेकर मेयर के चुनाव भी शामिल है। जनता का एक बहुत बड़ा हिस्सा उन्हें हर चुनाव में ताकत देता आया ।है

इस बार उन्होंने हाईकमान के सामने स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने तीन सीटों मैं से किसी एक सीट पर टिकट देने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर यह भी बता दिया है कि अगर पार्टी उन्हें टिकट देने से गुरेज करती है तो जनता के दबाव में उनके लिए चुनाव लड़ना मजबूरी है। उन्होंने हाईकमान को यह भी चेतावनी दी है कि अगर उन्हें किच्छा जसपुर और हल्द्वानी में से किसी एक सीट पर उनकी अनदेखी की तो वह हल्द्वानी को निर्दलीय विधानसभा के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए चुनेंगे। उनके इस निर्णय से पार्टी के लिए कशमकश की स्थिति बन सकती है। जसपुर विधानसभा क्षेत्र से सिटिंग विधायक आदेश चौहान तथा किच्छा विधानसभा क्षेत्र से भी स्थानीय लोगों के अलावा रुद्रपुर के पूर्व विधायक तिलकराज बेहड़ भी अपनी दावेदारी जता चुके हैं। ऐसे में यदि हल्द्वानी से उन्हें पार्टी अपना सिंबल नहीं देती है तो अब्दुल मतीन सिद्दीकी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हल्द्वानी विधानसभा से मैदान में खोज सकती हैं।

उनकी निर्दलीय के तौर पर मैदान में आने से निश्चित रूप से कांग्रेस के अलावा भाजपा के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बनभूलपुरा क्षेत्र मैं सघन पैठ होने के चलते लोग बाकी के क्षेत्र में उनका अपना व्यक्तिगत प्रभाव होने से वह इस सीट को जीतने की प्रबल संभावना में आ सकते हैं। बकौल अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि इस बार उन्हें जनता की ओर से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है वह पार्टी को ना देख कर जनता की ओर से किए जा रहे अनुरोध को विशेष रुप से शिरोधार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि वह बनभूलपुरा की जनता के साथ हमेशा खड़े रहे हैं बनभूलपुरा के सभी मुद्दों में वह हमेशा इस लड़ाई को अग्रिम पंक्ति में खड़ा होकर लड़ते आए हैं। चाहे रेलवे की भूमि होने का मामला हो गोला के खनन मजदूरों का मामला हो लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का मामला हो इसके अलावा किसी के साथ अन्याय हो उसके साथ खड़े होने का मामला हो वह हमेशा इस जनता के साथ खड़े रहे हैं। इसीलिए इन्हीं लोगों को प्रबल नेतृत्व देने के लिए वह इनकी बात पर निर्दलीय चुनाव लड़ने को मजबूर हो रहे हैं । उन्होंने पार्टी को स्पष्ट दो टूक बात कह दी है कि अगर उन्हें टिकट ना देने की गलती की गई तो नदी के तौर पर चुनाव लड़ना उनके लिए अंतिम हथियार होगा।

उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं जिनमें हरीश रावत प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव शामिल हैं को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि उन्हें इस बार चुनाव लड़ रही है अगर उन्हें इन तीनों सीटों में से किसी भी सीट पर चुनाव लड़ा जाएगा तो वह निश्चित रूप से इस सीट को कांग्रेस की झोली में डालने का वादा करते हैं कांग्रेस पार्टी हमेशा अल्पसंख्यकों को अपना वोट बैंक मानती है तो क्या वह अल्पसंख्यकों के नेता को अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दे सकती। उन्होंने पार्टी के नीति निर्धारकों को कहा कि हमारा वोट तो पार्टी को चाहिए लेकिन प्रतिनिधित्व देने में पार्टी हमेशा आनाकानी क्यों करती है इसी का जवाब देने के लिए जनता उन्हें चुनाव लड़ने के लिए तैयार बैठी है।

अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि चुनाव के समय कुछ लोगों द्वारा विभिन्न तरह की अफवाहें फैलाई जाती हैं जिससे वह चुनाव को प्रभावित करने का काम करते हैं लेकिन उनके दो दशक के राजनीतिक जीवन के बाद अब लोग उन्हें पूरी तरह से समझ चुके हैं कि अब्दुल मतीन सिद्दीकी सामाजिक गुलदस्ते कौमी एकता के लिए हमेशा अपने हितों को कुर्बान करते आए हैं इसीलिए उन पर सभी वर्गों के लोगों का भरोसा है और वह निर्वाचित होने के बाद इस कौमी एकता को मजबूत करने के लिए पुल का काम करेंगे। हल्द्वानी की जनता और कुमाऊं को वह एक आदर्श क्षेत्र के रूप में स्थापित करने के अपने सपने को पूरा करेंगे।।