भारतीय चिकित्सा परिषद में बड़ा खेल, 111 फर्जी डॉक्टरों के पंजीकरण फर्जी

ख़बर शेयर करें

फर्जी डॉक्टर प्रकरण में एक नया मोड आया है। भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अधिकारियों ने दो साल पहले 111 फर्जी डॉक्टरों के पंजीकरण पकडे गए थे। लेकिन इसकी शिकायत न तो पुलिस को दी गई थी न ही विभाग को इसकी सूचना दी थी।


आरोप है कि लेनदेन कर इस मामले को रफा- दफा कर दिया गया था। इस मामले में कोर्ट गए बाबू कि तरफ से उसके अधिवक्ता ने आरोप लगाया था। इसके लिए उन्होंने दो साल पहले कि जांच रिपोर्ट भी तलब कराने की मांग की है। बता दें शुरुवात से ही भारतीय चिकित्सा परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध लग रही थी। पंजीकरण के समय डॉक्टरों के सभी दस्तावेज की जांच की जाती है।


रजिस्ट्रार को भी किया गया नामजद
सम्बंधित शिक्षण संस्थान से बाकायदा रिपोर्ट ली जाती है। ऐसे में एसटीएफ ने जिन चिकित्सकों के ना बताए थे। उनके पंजीकरण कैसे हुए। जांच जब परिषद तक पहुंची तो तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। रजिस्ट्रार को भी नामजद किया गया। लेकिन अब एक आरोपी बाबू के अधिवक्ता डॉ प्रशांत पाठक ने परिषद के अफसरों की कार्यप्रणाली पर ही सवाल दाग कर कठघरे में खड़ा कर दिया।


डॉ प्रशांत पाठक का कहना है कि दो साल पहले अधिकारियों ने यहां पर 111 फर्जी डॉक्टरों के पंजीकरण पकड़े थे। कुछ अधिकारियों ने इसकी सूचना पुलिस को देने को भी कहा था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे अनसुना करते हुए मामले को वहीं रफा- दफा कर दिया। डॉ प्रशांत पाठक मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं।


जांच के बाद पुलिस ने तैयार की सूची
शुरुआत में इस मामले में केवल 26 चिकित्सकों के नाम बताए गए थे। लेकिन जांच आगे बढ़ते ही और नाम सामने आए। पुलिस ने दावा किया थे कि इस्नमेँ से अधिकांश डॉक्टर फरार हैं। पुलिस ने 55 डॉक्टरों कि सूची बनाई है। इनमें से 14 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि डिग्री देने वाले इमलाख और उसके भाई को भी पुलिस ने दबोचा है।

Ad Ad
Ad

Leave a Reply

Your email address will not be published.