हल्द्वानी- उत्तराखंड में अब संस्कृत बोलते नजर आएंगे लोग, सरकार ने कर ली ये तैयारी

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उत्तराखंड में अब संस्कृत बोलते नजर आएंगे लोग

उत्तराखंड के गांवों में अब जल्द ही आपको लोग संस्कृत में बातचीत करते दिखाई देंगे. राज्य के संस्कृत शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है. बता दें हॉल ही में हुई धामी कैबिनेट ने भी राज्य में संस्कृत ग्राम बनाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है.

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उत्तराखंड में अब संस्कृत बोलते दिखेंगे लोग

उत्तराखंड का संस्कृत शिक्षा विभाग राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल कर रहा है. उत्तराखंड में अब संस्कृत ग्राम बनाने की तैयारी चल रही है. धामी कैबिनेट ने भी इस पर मुहर लगा दी है. संस्कृत ग्राम बनाने का अहम मकसद न सिर्फ नई पीढ़ी को संस्कृत भाषा के ज्ञान से रूबरु कराना है बल्कि भारतीय दर्शन और ज्ञान परंपरा से भी जोड़ना है. संस्कृत शिक्षा विभाग राज्य के सभी 13 जिलों में से एक-एक गांव को चयनित कर उसे संस्कृत ग्राम बनाने की तैयारी कर रहा है.

इन गांव में बनेंगे संस्कृत ग्राम

  1. देहरादून के डोईवाला विकासखंड का गांव भोगपुर
  2. टिहरी के प्रतापनगर विकासखंड का गांव मुखेम
  3. उत्तरकाशी के विकासखंड मोरी का गांव कोटगांव
  4. रुद्रप्रयाग के विकासखंड अगस्तमुनि का गांव बैंजी
  5. चमोली के विकासखंड कर्णप्रयाग का गांव डिम्मर
  6. पौड़ी के विकासखंड खिर्सू का गांव गोदा
  7. पिथौरागढ़ के विकासखंड मूनाकोट का गांव उर्ग
  8. अल्मोड़ा के विकासखंड रानीखेत का गांव पाण्डेकोटा
  9. बागेश्वर का गांव सेरी
  10. चंपावत में गांव खर्क कार्की
  11. हरिद्वार में विकासखंड बाहदराबाद का गांव नूरपुर
  12. नैनीताल में विकासखंड कोटाबाग का गांव पाण्डेगांव
  13. उधमसिंह नगर के विकासखंड खटीमा का गांव नगला तराई

जल्द होगी शिक्षकों की तैनाती

संस्कृत शिक्षा के सचिव दीपक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड में बनने वाले इन संस्कृत गांवों में लोगों को सनातनी संस्कार, वेद, पुराण, उपनिषद, भारतीय दर्शन और ज्ञान परंपरा के बारे में बताया जाएगा. जिसके बाद लोग संस्कृत में ही अपनी रोजमर्रा की बातचीत भी करेंगे. बता दें उत्तराखंड में बनने वाले संस्कृत गांवों में संस्कृत के शिक्षकों की तैनाती भी अब जल्द होने वाली है. कैबिनेट से इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद अब माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य में संस्कृत ग्राम की अवधारणा धरातल पर दिखने लगेगी. ऐसे में सीएम धामी न सिर्फ अपनी एक और घोषणा को पूरा करने की तैयारी कर चुके हैं बल्कि देवभूमि को उसकी छवि के अनुरूप ही आकार देने की तैयारियों में दिख रहे हैं.