इस तरह से कमिश्नर रावत बन गए हल्द्वानी तहसील पार्किंग घोटाले की खुलासे की वजह, अब टेंडर निकाल रहे हैं अफसर
हलद्वानी एसकेटी डॉट कॉम
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत द्वारा हल्द्वानी तहसील का निरीक्षण एक बहुत बड़े घोटाले के पर्दाफाश होने का कारण बन गया। इसके अलावा तहसील एवं रजिस्ट्रार ऑफिस में कई तरह से लिए जाने वाले ऊपरी शुल्क के बारे में भी खुलासा हो गया। लोगों से मैरिज सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन में तय शुल्क से अधिक लिए जाने का मामला भी सामने आया।
सबसे बड़ा घोटाला तहसील में पार्किंग का सामने आया है। विगत 2 वर्षों में यहां पर ठेकेदार द्वारा पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है पार्किंग शुल्क मैं छोटे वाहनों से 20 तथा बड़े वाहनों से ₹40 वसूला जा रहाथा। विगत 2 वर्षों से यह लगातार बेधड़क चल रहा था ।
सूत्रों की माने तो बड़े अधिकारियों सभी इस बंदरबांट में शामिल थे। अधिकारियों और कर्मचारियों से पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाता था उसके अलावा तहसील में आने वाले सभी लोगों से यह शुल्क वसूला जाता था बकायदा रसीद भी हमारी जाती थी इसके बाद यह वसूली का पैसा सभी अधिकारियों में बटता था ।हल्द्वानी तहसील में भीड़भाड़ अधिक होने की वजह से तहसील के अधिकारियों ने इस तरह का एक पार्किंग का ठेका ठेकेदार को दे दिया जिसके बाद उसके गुर्गे रसीद देकर फरियादियों और तहसील आने वाले लोगों से वाहन शुल्क वसूल करते थे।
मंडलायुक्त दीपक रावत के तहसील के निरीक्षण के दौरान जहां फर्जी वंडर्स अराइज नवीस अपना बस्ता समेट कर फरार हो गए वही उस दिन कोई भी पार्किंग शुल्क वसूल नहीं रहा था ठेकेदार के अलावा उसके गुर्गे भी गायब थे इसकी भनक लगते ही इस मामले की जानकारी कमिश्नर तक पहुंचा दी गई जिसके बाद कमिश्नर ने इस संबंध में अधिकारियों से जवाब मांगा तो उनसे जवाब देते नहीं बना।
अधिकारियों ने अब इस मामले पर लीपापोती करने के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं पिछले 2 साल में करोड़ों रुपए की वसूली आम लोगों से वाहन पार्किंग के नाम पर हुई है और इसकी कर्मचारियों और अधिकारियों ने आपस में बंदरबांट की है। पार्किंग के नाम पर अवैध वसूली करने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई होगी यह तो कहा नहीं जा सकता है लेकिन अब इस मामले को दबाने का पूरा अभियान शुरू हो गया है पार्किंग के नाम पर अब टेंडर आमंत्रित किए गए हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था सुधारने के मामले में कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत माहिर माने जाते हैं वह हर मामले में कहीं न कहीं राजस्व के घाटे का कारण बन रहे लोगों को अपने निशाने पर लेते रहे हैं चाहे वह जिलाधिकारी के रूप में नैनीताल जिले में रहे हो अथवा कुमाऊँ मंडल विकास निगम के एमडी के अलावा अन्य जिलों में जहां भी उनकी तैनाती रही है उन्होंने कहीं ना कहीं अपनी कार्यशैली से ऐसे लोगों को निशाने पर लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की है
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