UKSSSC पेपर लीक मामले में आयोग रहा लापरवाह, क्या होगी एस राजू और संतोष बड़ोनी से पूछताछ?

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UKSSSC पेपर लीक मामले में उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग की लापरवाही सामने आने लगी है। आयोग के सचिव और अध्यक्ष के कामकाज पर सवाल उठने लगे हैं। हैरानी इस बात की है कि इस मामले में अभी तक इन दोनों से कोई पूछताछ तक नहीं की गई है।


दरअसल एसटीएफ की तहकीकात से इस बात के संकेत मिल रहें हैं कि आयोग ने कंपनियों के नवीनीकरण के लिए तमाम नियमों को ताख पर रख दिया। ऐसे संकेत मिल रहें हैं कि कंपनियों के चयन में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती गई। बताया जा रहा है कि आयोग के एक्ट के मुताबिक आयोग के साथ जुड़ी कंपनियों का प्रति वर्ष नवीनीकरण होना चाहिए लेकिन आरएमएस कंपनी के साथ ऐसा नहीं हुआ। खबरें हैं कि आयोग की मेहरबानी से ये कंपनी वर्षों से आयोग के लिए परीक्षा लेती आ रही है। आशंका है कि किसी बड़ी पहुंच के चलते कंपनी पर मेहरबानी जारी रखी गई।


यही नहीं, जिस कंपनी को जिस साल में काम दिया जाएगा उस कंपनी से बाकायदा एक शपथ पत्र लिया जाएगा कि किसी अन्य राज्य में किसी अन्य भर्ती प्रक्रिया में उनके खिलाफ कोई विवाद लंबित नहीं है। कंपनी के किसी अन्य राज्य में ब्लैक लिस्ट न होने के संबंध में भी शपथ पत्र लिया जाता है। लेकिन आरएमएस के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ और उसे लगातार परीक्षा कराने का काम मिलता है।


ऐसे में सवाल उठता है कि आयोग के चेयरमैन और सचिव आखिर क्या कर रहे थे? नियमों की अनदेखी पर ये दोनों ही आंखें क्यों मूंदे रहे। हैरत इस बात की भी है कि जब जांच शुरु हुई तो दोनों ही अधिकारी आयोग से चलते बने। पहले आयोग के चेयरमैन एस राजू ने नैतिकता का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया तो उसके कुछ दिन बाद आयोग के सचिव संतोष बडोनी अपने मूल विभाग में वापसी कर गए। हैरानी इसे लेकर भी है कि इन दोनों से अभी तक पेपर लीक मामले में कोई पूछताछ नहीं हुई है।


आखिर कैसे इतने बड़े पैमाने पर नकल का खेल खेला जाता रहा और आयोग के चेयरमैन और सचिव को भनक भी नहीं लगी। आयोग की परिक्षाएं पारदर्शी और नकल विहीन हो इसकी जिम्मेदारी इन दो अधिकारियों पर थी लेकिन दोनों ही इसमें नाकाम दिख रहें हैं।