कालाढूंगी में प्रकाश की गैरमौजूदगी में भाजपा से कौन लड़ायेगा पंजा भोला, महेश और संजय के त्रिकोण में फॅसा पंजा
हल्द्वानी /कालाढुंगी एसकेटी डॉट कॉम
कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। उत्तराखंड बनने के बाद पहले दो चुनाव में यह क्षेत्र नैनीताल विधानसभा क्षेत्र और हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्रों में सिमटा हुआ।2012 में कालाढूंगी नाम से अस्तित्व में आए इस विधानसभा सीट को पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने कब्जे में लिया।
इस पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बंशीधर भगत ने एक नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस के युवा तुर्क और राहुल गांधी की टीम के चहेते सितारे प्रकाश जोशी को हरा दिया था। उस चुनाव में कई लोगों ने भागीदारी की जिसमें बसपा यूकेडी और कई निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल रहे। अगर यह पहला चुनाव भारतीय जनता पार्टी के खाते में नहीं जाता तो हो सकता था कि यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ नहीं बन पाता।
खासा विरोध होने के बावजूद हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र के निवर्तमान विधायक बंशीधर भगत ने 2250 मतों से से यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी। इसके बाद लगातार उन्होंने वर्ष 2017 में बहुत बड़े अंतर से यह सीट दोबारा अपने कब्जे में ले ली।
इस सीट पर अब वर्ष 2022 के चुनावी डुगडुगी बज चुकी है आचार संहिता लग चुकी है। पहले 30 टिकेट की अंतिम सूची बन कर केंद्रीय चुनाव अभियान समिति के पास फाइनल के लिए जा चुकी है। 16 जनवरी तक यह सूची भी जारी होने की संभावना बताई जा रही है।
लेकिन कालाढूंगी की सीट का मामला फंसा हुआ है इस सीट पर किसे पंजे का निशान मिलेगा इसके लिए 3 दावेदारों में जोरआजमाइश चल रही है। किसे इस बार प्रकाश की ग़ैर मौजूदगी में यह पंजा हासिल होगा। इसके लिए 10 के करीब दावेदारों ने अपना दावा पेश किया है। मुख्य रूप से तीन दावेदार इस पंजे को अपनी ओर खींचने के प्रयास में लगे हैं।।
कांग्रेस की ओर से एक बार फिर इस सीट को कांग्रेस के पाले से खींच कर अपनी झोली में डालने के लिए पार्टी की ओर से जोर आजमाइश जारी है। सवाल यह है कि इस बार कांग्रेस की ओर से हाथ के पंजे का निशान लेकर भाजपा से दो-दो हाथ करने के लिए किसे कांग्रेसका टिकट मिलता है। प्रकाश जोशी के द्वारा इस बार चुनाव न लड़ने की बात सार्वजनिक तौर पर कहने के बाद अब कांग्रेस में करीब एक दर्जन लोग दावेदारी कर रहे हैं। जिनमें से मुख्य रूप से तीन दावेदार टिकट के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं।
हालांकि कांग्रेस के छात्र राजनीति से जुड़े हुए विजय सिंह सिजवाली ने भी इस सीट पर अभी अपनी दावेदारी ठोकी है दिल्ली में अपनी पकड़ के चलते वह भी कालाढूंगी से अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे हैं।
मुख्य तीन दावेदारों में से पूर्व में ब्लॉक प्रमुख रहे भोला दत्त भट कांग्रेस के महासचिव महेश शर्मा तथा कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन संजय सिंह किरोला प्रमुख रूप से शामिल है।
इन तीन दावेदारों में से किसे हाईकमान वरदहस्त प्राप्त होगा यह बड़ा यक्ष प्रश्न कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के सामने हैं । टिकट के मारामारी तो भाजपा में भी है लेकिन कांग्रेस की ओर से यक्ष प्रश्न है कि भाजपा के इस मजबूत गढ़ में भाजपा के प्रत्याशी को कौन चुनौती देगा और यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल लेगा।
सर्वे के अनुसार कॉन्ग्रेस की संभावना तभी मजबूत बनती है जब कांग्रेस एकजुट होकर चुनाव लड़े और भाजपा में टिकट के दावेदारों को लेकर घमासान मचने के साथ ही बगावती सुर भी उठे। लेकिन यहां पर हम कांग्रेस के उम्मीदवारों पर प्रकाश डाल रहे हैं जिनमें से किसी एक को टिकट मिल सकता है टिकट मिलने के बाद किस तरह के समीकरणों से वह भाजपा को चुनौती दे सकें।
भोला भट्ट
पूर्व ब्लाक प्रमुख एवं स्वतंत्र संग्राम सेनानी परिवार से संबंध रखने वाले भोला दत्त भट हल्द्वानी विकासखंड के इस क्षेत्र में अपनी दावेदारी मजबूती से रखे हुए हैं। पार्टी के कार्यक्रमों में भागीदारी करने तथा लगातार बड़े नेताओं के संपर्क में रहने की वजह से वह टिकट की लाइन में मजबूती से खड़े हैं। विकासखंड में ब्लॉक प्रमुख के रूप में कार्य के दौरान अपनी निष्पक्ष और बेदाग छवि की वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं का एक वर्ग उनके पक्ष में साफ दिखाई दे रहा है इसके अलावा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के नजदीकी होने के अलावा किसी भी तरह का विवाद व अपवाद उनके साथ नहीं होने से उनका पक्ष मजबूत है पार्टी के हर चुनाव में वह पार्टी के साथ खड़े रहे हैं और उन्होंने हमेशा पार्टी के नीतियों को जनता के बीच ले जाने कोरना काल में लोगों की मदद करने के अलावा पार्टी ने उन्हें कार्यक्रम आयोजित करने की जो भी जिम्मेदारी दी है उसे उन्होंने बखूबी निभाया है उनको टिकट मिलने की स्थिति में निश्चित रूप से वह भाजपा को कड़ी टक्कर देने तथा कालाढूंगी विधानसभा के हल्द्वानी विकासखंड क्षेत्र के अधिकांश मतदाताओं पर अपना असर रखते हैं। दावेदारी के करने के लिए उनके पास कई कारण है वह लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे हैं तो था उन्होंने कभी भी पार्टी के खिलाफ कदम नहीं उठाया है पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं के रूप में उनकी गिनती की जाती है। उन्हें टिकट मिलने की स्थिति में कर्मचारियों के अलावा कई अन्य सामाजिक संगठनों का भी उन्हें भरपूर समर्थन मिल सकता है।
महेश शर्मा
कॉन्ग्रेस प्रदेश महासचिव महेश शर्मा निसंदेह रूप से जनता के बीच पिछले 10,15 सालों से सक्रिय हैं विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से तथा कांग्रेस के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने की महारत होने के चलते वह टिकट के प्रबल दावेदारों में से गिने जा रहे हैं। महेश शर्मा पंचायत चुनाव में हमेशा विजयश्री हासिल करते आए हैं। उनके पक्ष में एक बहुत बड़ी बात यह भी है कि उन्होंने वर्ष 2008 साथ मे पूरे प्रदेश भर में जहां सभी जिला पंचायतों में भाजपा का कब्जा हो गया था उन्होंने नैनीताल जिले में अपनी पत्नी कमलेश शर्मा को जिला पंचायत अध्यक्ष पर काबिज करवाया। उन्हें पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव लड़ने तक का भी अनुभव है काफी लंबे समय से राजनीति में होने की वजह से उनकी लोगों में पकड़ भी है। कांग्रेस में वापस आये यशपाल आर्य की नजदीकी उन्हें टिकट दिलानेे में महत्वपूर्ण्ण्ण्ण भूमिका भी निभा सकताा है लेकिन उनकाा एक बड़ा ड्रॉबैक यह भी है कि उन्होंने वर्ष 2012 में कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें 10,000 से अधिक मत प्राप्त हुए थे और इन्हीं मतों की वजह से कांग्रेस का प्रत्याशी 2000 से कुछ अधिक मतों के अंतर से भाजपा से चुनाव हार गया था। इसके बाद जब कांग्रेस में उनकी दोबारा एंट्री नहीं हुई तो उन्होंने वर्ष 2017 में कालाढूंगी विकास मंच नाम संगठन तैयार कर फिर से निर्दलीय ताल ठोकी थी यहां पर उन्होंने अपने जनाधार को बढ़ाकर अपने मतों की संख्या 20000 से पार कर ली। वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं मैं यह बात भी चर्चा में रहती है कि पार्टी को चुनाव के दौरान पीठ दिखाने वाले नेताओं को कैसे पार्टी टिकट देती है। इसका पुरजोर विरोध भी किया जाएगा ।शर्मा के साथ सबसे बड़ा कार्यकर्ताओं का कुनबा यह भी तय करता है कि उन्होंने पार्टी से बगावत की भी तो दोबारा उन्होंने किसी अन्य पार्टी में ना जाकर कांग्रेश के ही मिशन को आगे बढ़ाया है।
संजय सिंह किरौला
एक अन्य मजबूत दावेदार संजय सिंह किरौला जोकि राजपूत वर्ग से संबंध रखते हैं और कांग्रेस के निष्ठावान पदाधिकारियों में गिने जाते हैं। उत्तराखंड कोऑपरेटिव कांग्रेस के महामंत्री के अलावा वह सहकारिता से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। दुग्ध संघ के अलावा डेयरी फेडरेशन के चेयरमैन के तौर पर वह सहकारिता के क्षेत्र के जाने पहचाने चेहरे हैं। संजय किरौला की निर्विवाद छबि रही है पार्टी के अंदर उनका कहीं भी विरोध नहीं है। पार्टी के कालाढूंगी क्षेत्र का विगत चुनाव में प्रतिनिधित्व के तौर पर जाने जाने वाले प्रकाश जोशी के निकट सहयोगी भी माने जाते हैं। टिकट वितरण में अगर भाजपा की ओर से भी कहीं फेरबदल हुआ तो निश्चित रूप से संजय केरला को राजपूत प्रत्याशी के तौर पर टिकट मिल सकता है। भाजपा की ओर से अगर किसी राजपूत को टिकट मिलता है तो निश्चित रूप से संजय किरौला को टिकट मिल सकता है। पार्टी के कार्यक्रम में हमेशा भागीदारी करने से उनका सभी बड़े नेताओं से संपर्क रहता है। पार्टी के कई विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी होने के चलते उनकी पहचान हाईकमान के नजदीक भी मानी जाती है। प्रकाश जोशी का कालाढूंगी विधानसभा में टिकट वितरण में निश्चित रूप से बड़ी भूमिका होगी पुष्टि भूमिका में संजय किरोला का नाम सबसे ऊपर माना जा सकता है। विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ इस संबंध में होने वाली चर्चा के बाद जो चीजें छन कर आ रही है उनमें यह बात तय है कि प्रकाश जोशी की भूमिका निश्चित रूप से महत्वपूर्ण होगी ।भोला दत्त भट्ट ,महेश शर्मा और संजय किरौला के अलावा भूपेंद्र सिंह भाई जी महेश कांडपाल तारा सिंह नेगी जया कर्नाटक, नीरज तिवारी भागीरथी बिष्ट समेत कई लोगों ने दावेदारी की है।
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