यहाँ सोशल मीडिया में अपनी बात रख हरदा ने नौकरियों की बंदरबाट पर कसा तंज

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देहरादून एसकेटी डॉट कॉम

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हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर 2 पेजों की उन नियुक्तियों पर तंज कसते हुए कहा कि किस तरह से पिछले 5-7 सालों में कुछ लोगों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इन नौकरियों पर प्रदेश के युवाओं का हक मार दिया.

आज के सिस्टम पर तंज कसते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि आज हमारी जमीनों पर रिजॉर्ट बन रहे हैं और हम चौकीदार बनकर रह गए हैं। विशेषतौर पर दो सूचियों को अपने फेसबुक पेज पर अपलोड करते हुए पूर्व सीएम रावत ने कहा है कि पिछले पांच-छह वर्षों में ऐसी सैकड़ों नियुक्तियां हुई हैं, जो नहीं हो सकती हैं।

शनिवार को उन्होंने फेसबुक पर अपने ऑफिशियल पेज पर कुछ नामों की सूचियां जारी करते हुए बीते पांच-छह सालों में उत्तराखंड के लोगों के हक की नौकरियों की बंदरबांट का आरोप लगाया है।

लिस्टें आ रही हैं, कितनी सच हैं, कितनी गलत हैं, वे नहीं जानते। लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब कैसे हुआ है।’ रावत आगे लिखते हैं कि ‘संस्थाएं हमने (कांग्रेस) खड़ी की हैं, चाहे कोई भी विश्वविद्यालय हो। उनमें यदि गड़बड़ियां हुई हैं तो चिंताजनक है। संस्थाएं नष्ट हो जाएंगी। वे तू-तू, मैं-मैं में नहीं पड़ना चाहते हैं।

ऐसे में इस सारे प्रकरण से खुद को असंबद्ध करते हुए वे उन संस्थाओं के प्रमुखों से कहना चाहते हैं कि ईमानदारी से नियुक्तियों का ब्योरा सार्वजनिक करें। नियुक्तियां किस आधार पर हुई हैं, सबका ब्योरा साझा होना चाहिए।’ रावत ने लिखा कि ‘वे व्रत नहीं तोड़ते, यदि उनके मन पर आघात नहीं लगता। क्योंकि यह संस्थाएं कांग्रेस के कार्यकाल में खड़ी हुई हैं।इन संस्थाओं पर गर्व करना चाहते हैं। जब संस्थाएं टूटती व बिखरती हैं तो उसका कितना नुकसान समाज व राज्य को होता है, इसका आभास हमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुई गड़बड़ी से हुआ है न? फिर भी कुछ लोग उनके दर्द को समझे बिना बुरा-भला कह रहे हैं।’ अंत में पूर्व सीएम ने लिखा कि ‘खैर विष पीने की उनकी आदत है, वो कहें तो विष भी पी लेंगे। लेकिन अब इन संस्थाओं को बचाने के लिए अपने दर्द को वे नहीं रोक पाए, उसके लिए वे उत्तराखंड से क्षमा ही मांग सकते हैं।

सोशल मीडिया में छिड़े सूची वार में आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कूद गए हैं और उन्होंने कहा कि स्पष्ट तौर पर उत्तराखंड के लोगों का हक मारकर लोगों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने निकटस्थ व परिवार के लोगों की नियुक्तियां की हैं। उसी तरीके से प्रदेश में तमाम ठेके दिलवाए गए हैं। इनमें पीडब्ल्यूडी, इरीगेशन, यूपीसीएल आदि विभागों में साज-सज्जा के सामान खरीद के ठेके भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि यदि यह सारी लिस्ट जनता के संज्ञान में आ जाएं तो पिछले छह वर्षों में किस तरह से उत्तराखंड को लूटा गया या लूटवाया गया है, उसकी एक तस्वीर सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कुछ और खोजी लोग और गहराई तक जाकर सत्य को उजागर करेंगे।