हल्द्वानी में दावेदारो को लेकर हरदा का बयान

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हल्द्वानी एसकेटी डॉटकॉम

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पंडित नारायण दत्त तिवारी स्मृति यात्रा में प्रतिभाग करने के लिए हल्द्वानी पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हल्द्वानी विधानसभा के दावेदारों को लेकर बड़े ही अनोखी अंदाज में कहा कि जब पहाड़ में जागर लगती है तो एक नहीं कई देवता नाचते हैं लेकिन आसन (गद्दी) उसी को दी जाती है जिसके पर्चे फरियादियों को सटीक लगते हैं अर्थात जिस के कहे हुए वचनों के अनुसार भक्तों को फायदा होता है।

हरीश रावत ने कहा कि उसी को टिकट मिल सकता है जो लोकतंत्र के भक्तों अर्थात जनता को अपनी सेवा से फल दे सकें। उनके इस तरह के जवाब से कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं वहीं दावेदारों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके बाद प्रदेश की प्रतिष्ठित सीटों में से एक हल्द्वानी जिस पर डॉक्टर इंद्रा हिरदेश की मृत्यु के बाद अब कई कांग्रेसियों ने दावा ठोक रखा है जिससे पूरे कुमाऊं की जनता की नजरें इस सीट पर लगी हुई है।

इंद्रा हिरदेश के बाद इस सीट पर कांग्रेस किस चेहरे पर दाव लगाती है इस बार यह सीट सभी दावेदारों के लिए खुली हुई है जबकि इससे पहले इस सीट पर डॉक्टर इंद्रा हिरदेश के अलावा कोई भी दावेदारी नहीं कर पाता था। इस बार भाजपा भी इस सीट को किसी भी हालत में अपने कब्जे में लेना चाहती है उनको क्योंकि इस बार उन्हें डॉ इंदिरा हरदेश जैसा मजबूत कैंडिडेट नहीं मिलेगा।

यहां लड़ने वाले प्रत्याशी अपनी अपनी ताकतें गिना रहे हैं तथा विभिन्न तर्कों से से अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। इस सीट पर जहां सुमित हृदेश अपनी माता स्वर्गीय डॉ इंदिरा हरदेश के नाम के सहारे लोगों की ओर मुखातिब हैं वही डॉक्टर दीपक बलुटिया भी पंडित नारायण दत्त तिवारी के द्वारा विकास के विजन को अपनी धरोहर बताते हुए उनके कांसेप्ट को आगे बढ़ाने की बात करते हैं वही ललित जोशी भी यह कहते हैं कि उन्हें नारायण दत्त वारी जी के सानिध्य में दर्जा राज्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला उनका ही विजन था कि आज सिडकुल समेत कई उद्योग धंधे हजारों युवाओं को रोजगार दे रहे।

आंदोलनकारी एवं मुखर नेता हुकुम सिंह कुंवर भी कहते हैं कि भले ही उन्होंने नारायण दत्त तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ा हो लेकिन उनके जैसी विकास की सोच बहुत ही कम नेताओं में होती है । सभी इस बार किसी भी तरह से टिकेट पाने को लायलित हैं।