हाकम सिंह की सत्ता के हॉकीमो से नजदीकी सोशल मीडिया पर हो रही है ट्रोल, पूर्व सीएम एवं डीजीपी की फोटो हाकम का बता रही हैँ रसूख

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देहरादून एसकेटी डॉटकॉम

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यूके एसएससी पेपर लीक घोटाले में एसटीएफ के गिरफ्त में आए भाजपा के जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह की सत्ता की नज़दीकियां और उसकी पहुंच इतनी ऊंची है कि एसटीएफ उस पर हाथ डालने से पहले पुख्ता सबूत हासिल कर चुकी थी. वरना फॉरेस्ट गार्ड भर्ती और वीडीपीओ भर्ती घोटाले में नाम आने के बाद जिस तरह से सत्ता की नजदीकी की वजह से उसका नाम f.i.r. से हटा दिया गया और उसके बाद वह इस मामले से साफ बच गया.

उसके पकड़ में आने के बाद जैसे-जैसे उससे जानकारियां जुटाई जा रहे हैं वह अपना मुंह खोल रहा है उससे बड़े-बड़े नेताओं से उसके संबंध खुलकर सामने आ रहे हैं. प्रदेश के पूर्व सीएम के साथ जिस तरह से उसकी नज़दीकियां सामने आ रही है उसी का परिणाम है कि उसे फॉरेस्ट भर्ती घोटाले में एफ आई आर दर्ज होने के बाद भी उसका नाम मामले से हटा दिया गया लेकिन लगता है अब इसके पाप का घड़ा भर चुका है इस बार एसटीएफ ने किसी पुख्ता सबूतों के साथ गिरफ्तार कर लिया है जिस तरह से वह राज उगल रहा है उससे निश्चित रूप से बड़ी मछलियों का भी घेरे में आना निश्चित है

हालांकि हम यह नहीं कहते हैं कि किसी के साथ फोटो खींचने से वह उसके साथ अपराध का साथी माना जाए लेकिन जिस जिस तरह से उसके खिलाफ f.i.r. हो चुकी थी एक जिम्मेदार पद पर रहने के बावजूद डीजीपी उसके रिसोर्ट में रुकते हैं और वहां पर हाकम जारा उस उनकी खातिरदारी की जाती है स्वच्छता के प्रश्न के हिसाब से क्या उत्तरकाशी जिले के पुलिस अधिकारियों ने उन्हें यह भी बताने का प्रयास नहीं करना चाहिए था कि हाथों में के खिलाफ f.i.r. हो चुकी है और उन्हें उसके रिजॉर्ट में मेहमान बाजी के लिए जाने से परहेज करना चाहिए डीजीपी अशोक कुमार एक बहुत बड़े पद पर आसीन थे

जिस तरह से भारतीय आयोग ने ब्लूटूथ से मंगलुरू हरिद्वार में नकल पकड़े जाने के बाद यह परीक्षा रद्द नहीं किए जाने सिर्फ एक ही परीक्षा केंद्र पर कार्रवाई करने का अनुरोध मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से किया गया लेकिन आयोग के अनुरोध के बाद भी मुख्यमंत्री ने यह परीक्षा रद्द कर दी वह किसी भी तरह से इस मामले से हाथों को बाहर करना चाहते थे जब परीक्षा ही रद्द हो गई तो उस पर क्या कार्रवाई होती. लेकिन जिस तरह से हाकम सिंह सिंह की तस्वीरें पूर्व मुख्यमंत्री के साथ दिख रही है और सोशल मीडिया में फैली हुई है उससे रूप से यह लगता है कि उसकी पहुंच कितनी गहरी है. 2016 में जब वीपीडीओ घोटाले में उसका नाम आया था और उसके बाद फॉरेस्ट भर्ती घोटाले में उसके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज हुई थी तब सत्ता के केंद्र में त्रिवेंद्र सिंह के रहने की वजह से वह अपना नाम f.i.r. से बाहर करने में सफल रहा था जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र से टोल हो रहे हैं.

रुद्रपुर काशीपुर एनएच घोटाले मैं जिस तरह से पकड़े गए लोग बाहर हो गए और नेता साफ बज गए उससे कहीं ना कहीं अब प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पर बहुत दबाव बढ़ गया है यह मामला प्रदेश के बेरोजगारों से जुड़ा हुआ है और इसके अलावा 30 से 35 लाख रुपए देकर जिस तरह से एई और जेई की भर्तियां हुई है जिसकी पोल उत्तर प्रदेश के जौनपुर से इंजीनियर के गिरफ्तार होने के बाद खुल जाती है अगर ऐसे मामले निर्णय पर नहीं पहुंचते घूस देकर नौकरी पर लगे लोगों को बाहर नहीं किया जाता तो उत्तराखंड के बेरोजगार लोगों और युवा शक्ति के साथ अन्याय होगा.

इसीलिए प्रदेश के मुख्य पुष्कर सिंह धामी को इस मामले में कोई भी कितना बड़ा क्यों न हो अगर उसकी इसमें संलिप्तता साबित हो जाती है निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. ताकि यहां के लिखे युवाओं के साथ न्याय हो सके.