गंगा आरती में होगी अब मातृशक्ति की भागीदारी, महिलाएं भी घाटों पर करवाती आएंगी नजर

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राष्ट्रीय नदी गंगा के अलग-अलग घाटों पर आने वाले दिनों में महिलाएं भी गंगा आरती कराती नजर आएंगी। अलग अलग राज्यों की चयनित महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जाएग। इसकी शुरुवात देवभूमि उत्तराखंड से की जाएगी।बता दें 16 जून को ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड की चार महिलाओं का चयन किया गया है।


ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयागराज समेत सभी प्रमुख स्थलों में गंगा घाटों में आरती की परंपरा सदियों से चली आ रही है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) का प्रयास है कि मंदिरों में महिलाओं की भागीदारी बढे। इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। कुछ समय पहले एनएमसीजी ने गंगा से लगे सभी मंदिरों में गंगा भोग प्रसाद की शुरुआत की थी।

इसमें भी इस बात पर जोर दिया गया था कि मंदिरों में स्थानीय महिलाओं द्वारा तैयार किसी एक उत्पाद को प्रसाद का हिस्सा बनाया जाए। आपको बता दें इसकी शुरुआत भी देवभूमि उत्तराखंड के ऋषिकेश से की गई थी।

आमजन से जोड़ने की पहल
जानकारी के मुताबिक गंगा आरती प्रशिक्षण के नोडल अधिकारी पुरन चंद्र कापड़ी के अनुसार गंगा को आमजन से जोड़ने की पहल के तौर पर ही घाटों पर गंगा आरती पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गंगा घाटों पर पुरुष तो आरती कराते ही हैं। लेकिन अब इसमें मातृशक्ति को भी जोड़ा जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग राज्यों से 30 महिला प्रतिनिधियों का चयन हुआ है।

अलग-अलग राज्यों की 30 महिला प्रतिनिधियों का चयन
जानकारी के अनुसार नोडल अधिकारी पूरन चंद्र कापड़ी ने बताया कि 16 जून से ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में होने वाले प्रशिक्षण के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार के 30 प्रतिनिधियों का चयन किया गया है। इसमें उत्तराखंड की चार महिलाएं शामिल है। जयंती थपलियाल चमोली, सुनीता सेमवाल चमोली, पुष्पा देवी हरिद्वार, कमला हरिद्वार शामिल हैं।

इन जिलों के गंगा घाटों की संभालेगी जिम्मेदारी
नोडल अधिकारी के अनुसार प्रशिक्षण में मां गंगा की आरती, विधि विधान, ड्रेस कोड समेत अन्य जानकारियां दी जाएगी। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं की सहभागिता और मार्गदर्शन में आरती की जाएगी। उत्तराखंड में प्रशिक्षण लेने वाली महिलाएं हरिद्वार और चमोली जनपद के गंगा घाटों की जिम्मेदारी संभालेगी।