महा घोटाला- आखिर किसके इशारे पर बीएसएनल ने नही वसूले साढे 1700 करोड़, जियो पर किसकी मेहरबानी!

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BSNL, Reliance Jio and Modi Govt: CAG की रिपोर्ट के अनुसार, BSNL और Reliance Jio के बीच पासिव इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग (passive infrastructure sharing) का एक समझौता था, जिसके तहत Jio को BSNL के टावर, फाइबर और अन्य नेटवर्क सुविधाओं का उपयोग करने के लिए भुगतान करना था। लेकिन BSNL ने 10 वर्षों तक इस समझौते को लागू ही नहीं किया, जिससे सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।

  • सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL की एक बड़ी गलती से मोदी सरकार (Modi Govt) को 1,757.56 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है।
  • CAG ने बताया कि BSNL मई 2014 से मार्च 2024 तक 10 वर्षों तक Reliance Jio से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के इस्तेमाल का बिल नहीं वसूल पाई, जिससे सरकार को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
  • BSNL ने टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (TIPs) को किए गए भुगतान से लाइसेंस शुल्क की कटौती भी नहीं की, जिससे कंपनी को 38.36 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ।

BSNL , Reliance Jio and Modi Govt : सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL की एक बड़ी गलती और मोदी सरकार (Modi Govt) को 1,757.56 करोड़ का भारी नुकसान हो गया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India-CAG) ने मंगलवार को बताया कि BSNL मई 2014 से मार्च 2024 तक 10 वर्षों तक रिलायंस जियो (Reliance Jio) से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के इस्तेमाल का बिल नहीं वसूल पाई, जिससे सरकार को इतना बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

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CAG Report में सामने आईं BSNL की कई गड़बड़ियां

PTI के मुताबिक, CAG की रिपोर्ट के अनुसार, BSNL और Reliance Jio के बीच पासिव इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग (passive infrastructure sharing) का एक समझौता था, जिसके तहत Jio को BSNL के टावर, फाइबर और अन्य नेटवर्क सुविधाओं का उपयोग करने के लिए भुगतान करना था। लेकिन BSNL ने 10 वर्षों तक इस समझौते को लागू ही नहीं किया, जिससे सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।

इतना ही नहीं, BSNL ने टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (TIPs) को किए गए भुगतान से लाइसेंस शुल्क की कटौती भी नहीं की, जिससे कंपनी को 38.36 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ।

बिलिंग में भी भारी लापरवाही

PTI के मुताबिक, CAG की रिपोर्ट में BSNL की शॉर्ट बिलिंग (कम बिल भेजना) का भी खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस जियो से इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग चार्ज सही से नहीं वसूला गया, जिससे 29 करोड़ रुपये (GST सहित) का नुकसान हुआ।

बता दें कि BSNL ने RJio के साथ हुए मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (MSA) के नियमों का पालन नहीं किया, जिससे अतिरिक्त टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने के बावजूद कंपनी कोई शुल्क नहीं वसूल पाई। इतना ही नहीं, एग्रीमेंट में तय एस्केलेशन क्लॉज (चार्ज बढ़ाने का प्रावधान) लागू नहीं किया गया, जिससे BSNL की आय और प्रभावित हुई।

सरकार को कैसे हुआ ₹1757 करोड़ का नुकसान?

CAG के अनुसार, यदि BSNL ने समय पर रिलायंस जियो (RJio) से अपनी सर्विसेज का भुगतान वसूला होता, तो सरकारी खजाने में ₹1,757.76 करोड़ अधिक आते। इसके अलावा, इस राशि पर ब्याज भी जोड़ें, तो यह नुकसान और अधिक बढ़ सकता है।

क्या होगी कार्रवाई?

CAG की इस रिपोर्ट के बाद अब BSNL और टेलीकॉम मंत्रालय पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में कोई कड़ा कदम उठाती है या नहीं। फिलहाल, BSNL के इस लापरवाह रवैये से सरकारी खजाने को भारी झटका लगा है।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार विभाग और राज्य के स्वामित्व वाली दूरसंचार प्रमुख भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को मई 2014 से मार्च 2024 तक जियो को बिल देने में बीएसएनएल द्वारा विफल रहने के कारण 1,700 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया है, “बीएसएनएल मेसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) के साथ मास्टर सर्विस एग्रीमेंट (एमएसए) को लागू करने में विफल रहा और बीएसएनएल के साझा निष्क्रिय बुनियादी ढांचे पर इस्तेमाल की गई अतिरिक्त तकनीक के लिए बिल नहीं दिया, जिसके परिणामस्वरूप मई 2014 और मार्च 2024 के बीच सरकारी खजाने को 1,757.76 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और उस पर दंडात्मक ब्याज भी देना पड़ा।”

उल्लेखनीय है कि 2007 के बाद यह पहला मौका है जब बीएसएनएल ने पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 262 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया है।

बिल प्राप्त करने में विफलता के अलावा, बीएसएनएल द्वारा अन्य “उचित परिश्रम, गैर-बिलिंग और दोषपूर्ण योजना” के परिणामस्वरूप नीचे सूचीबद्ध नुकसान हुए, जैसा कि सीएजी ने नोट किया है –

  1. खराब योजना और उपकरण खरीदने के लिए अपने स्वयं के मैनुअल से विचलन के परिणामस्वरूप बीएसएनएल ने बड़ी मात्रा में पॉलीइथिलीन इंसुलेटेड जेली फिल्ड (पीआईजेएफ) भूमिगत केबल खरीदे, जिनकी जरूरत नहीं थी। 80.64 करोड़ रुपये की केबलें बिना इस्तेमाल के ही छोड़ दी गईं।  
  2. 28 में से 22 क्षेत्रों में, बीएसएनएल टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स (टीआईपी) को किए गए भुगतान से आवश्यक लाइसेंस शुल्क काटने में विफल रहा, जैसा कि उनके समझौते में कहा गया था। इस गलती के कारण 2019 से 2022 तक ₹38.36 करोड़ का नुकसान हुआ।  
  3. बीएसएनएल ने रिलायंस जियो (आरजेआईएल) के साथ अपने समझौते की शर्तों का भी पालन नहीं किया। यह मूल्य वृद्धि खंड को लागू करने में विफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप बुनियादी ढांचे के बंटवारे के शुल्क से 29 करोड़ रुपये (जीएसटी सहित) का राजस्व नुकसान हुआ।  
  4. इसके अलावा, बीएसएनएल ने निर्धारित समय में डक्ट हायरिंग चार्ज के बिलों की जांच और प्रक्रिया नहीं की। इस वजह से उसे जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट में 5.43 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।  
  5. अग्रिम भुगतान प्राप्त किए बिना परियोजना पर काम शुरू करने और बीएसएनएल द्वारा समझौते के विवाद समाधान खंड को लागू करने में विफलता के परिणामस्वरूप ₹4.80 करोड़ का नुकसान हुआ। देयता खंड को शामिल न करने से ₹2.31 करोड़ के ब्याज की संभावित हानि हुई।

दूरसंचार विभाग के अंतर्गत दोनों सार्वजनिक उपक्रमों – बीएसएनएल और भारतीय टेलीफोन उद्योग (आईटीआई) को कुल मिलाकर 1,944.92 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।