डीसीजीआई ने उत्तराखंड की 45 दवा कंपनियों पर लगाई रोक,ड्रग मार्किट में हड़कम्प

ख़बर शेयर करें

दिल्ली एसकेटी डॉट कॉम

Ad
Ad

स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाली दवा बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने कड़ा रुख दिखाते हुए जहां 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस निरस्त करने का आदेश जारी किया है वही देश भर के 20 राज्यों में नकली एवं घटिया क्वालिटी की दवाई बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं तथा इनसे वह सारी दवाइयां वापस लेने को कहा है जिनके सैंपल फेल हुए हैँ.

नकली दवाइयों और खराब क्वालिटी की दवाई बनाने वाली फार्मा कंपनियों पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. सरकार ने 18 फार्मा कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इसके साथ ही इन कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग बंद करने का आदेश भी जारी कर दिया गया है. इनमें से 3 फार्मा कंपनी के खास प्रोडक्ट का परमिशन कैंसल किया गया है.


ज्ञात हो कि विश्व स्तर पर भारतीय दवाओं में गड़बड़ी पाए जाने के लगातार तीन बड़े मामले सामने आए हैं, कुछ जानकारों का कहना हैं की इससे जागरूक हुए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेष मुहिम में तेजी आई हैं.

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया नकली और खराब क्वालिटी की दवाइयों के खिलाफ स्पेशल ड्राइव चला रहा है. डीसीजीआई ने 76 दवाई कंपनियों की जांच की है. 20 राज्यों में टीम ने ये कार्रवाई की. डीसीजीआई ने 26 फार्मा कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी भी जारी किया है. ये अभियान करीब 15 दिनों से चलाया जा रहा है.


बता दे कि विशेष अभियान के तहत नियामकों ने 203 फर्मों की पहचान की है. सूत्रों ने कहा कि अधिकांश कंपनियां हिमाचल प्रदेश (70), उसके बाद उत्तराखंड (45) और मध्य प्रदेश (23) से हैं.


बता दे कि हाल ही में भारत स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं. फरवरी में, तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अमेरिका में दृष्टि हानि से कथित रूप से जुड़े अपने सभी आई ड्रॉप को वापस बुला लिया था, इससे पहले, पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से कथित तौर पर भारत निर्मित कफ सिरप को जोड़ा गया था.

हैदराबाद की कंपनी की कैंसर की दवा में जानलेवा बैक्टीरिया : WHO

इस बीच एक और तीसरा भारतीय दवा में गड़बड़ी का मामला सामने आया हैं, प्राप्त खबरों के अनुसार लेबनान और यमन में स्वास्थ्य अधिकारियों ने हैदराबाद स्थित एक कंपनी द्वारा बनाई गई कैंसर की दवा का परीक्षण करने के बाद उन्हें घटिया बताया हैं.


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सेलोन लैब के मेथोट्रेक्सेट, एक इंजेक्टेबल कीमोथेरेपी एजेंट और प्रतिरक्षा प्रणाली दमनकारी, के एक बैच में जानलेवा बैक्टीरिया पाए जाने के बाद इसके खिलाफ अलर्ट जारी किया है.


डब्ल्यूएचओ ने बताया कि अनौपचारिक बाजारों के माध्यम से दवा दोनों देशों तक पहुंच सकती है. यह बैच, MTI2101BAQ, केवल भारत में बेचा जाना था और दोनों पश्चिम एशियाई देशों ने इसे “विनियमित आपूर्ति श्रृंखला के बाहर” खरीदा था.

मेथोट्रेक्सेट क्या है?
मेडलाइन प्लस के अनुसार, मेथोट्रेक्सेट एक एंटीमेटाबोलाइट है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करके तीव्र लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया और गैर-हॉजकिन के लिंफोमा जैसे कैंसर का इलाज करता है.

सेलोन लेबोरेटरीज को जाने

सेलोन लेबोरेटरीज एक विशिष्ट जेनरिक फर्म है जो ऑन्कोलॉजी और क्रिटिकल केयर में दवाओं का निर्माण करती है।


इसे नवंबर 2020 में यूके स्थित बायोफार्मा प्लेयर ZNZ Pharma 2 Limited द्वारा 364 करोड़ रुपये में अधिग्रहित किया गया था। ZNZ Pharma, जिसने 74 प्रतिशत हिस्सेदारी ली थी, ब्रिटेन के सार्वजनिक स्वामित्व वाले प्रभाव निवेशक CDC Group Plc द्वारा समर्थित है.

इधर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से दवाओं को लेकर अमेजन और फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजा गया है. इसमें अमेजन और फ्लिपकार्ट को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के उल्लंघन करने की बात लिखी हुई है. यह नोटिस ऑनलाइन दवा बेचने वाली अमेजन और फ्लिपकार्ट सहित करीब 20 कंपनियों को दिया गया है. नोटिस में पूछा गया है कि पिछले कई वर्षों से कोर्ट ने ऑनलाइन दवा बेचने पर कई बार रोक लगाई है.


डीसीजीआई ने पूछा है कि इस उल्लंघन पर उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. डीसीजीआई के नोटिस पर अभी अमेजन और फ्लिपकार्ट की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. डीसीजीआई के मुताबिक, ऑनलाइन बिना वैलिड लाइसेंस के दवा की बिक्री से इसकी क्वालिटी पर खराब असर पड़ता है. ऐसे में लोगों की हेल्थ को ध्यान में रखते हुए डीसीजीआई ने यह कदम उठाया है.


उल्लेखनीय हैं कि कुछ दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन ई-फार्मेसिज को बिना डीजीसीआई वैलिड लाइसेंस के दवा बेचते पाया था. इस मामले में ड्रग कंट्रोलर को कार्रवाई करने के लिए कहा गया था.