मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 के लिए प्रस्तावित महारैली से पहले धामी का बड़ा एक्शन

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देहरादून skt. com

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उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए कट ऑफ डेट 1950 को घोषित करने विभिन्न प्रमाण पत्र के लिए मूल निवास पत्र लागू करने और सरकारी सेवाओं के लिए मूल निवास को प्राथमिकता देने के लिए हो रहे जन जागरण महा रैली से पहले पुष्कर धामी ने बड़ा एक्शन ले लिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सचिव विनोद सुमन ने किया आदेश जारी। मूल निवास प्रमाण-पत्र धारकों को अब स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की बाध्यता नहीं होगी।सचिव विनोद सुमन ने बताया कि राज्य में सेवायोजन, शैक्षणिक संस्थाओं, प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों हेतु अब स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की बाध्यता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जिन प्रयोजनों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, उनके लिए मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए जाने हेतु बाध्य न किया जाए।

हालाँकि धामी के इस एक्शन से 24 के इस प्रस्तावित महारैली पर क्या असर पड़ता हैयह तो आगामी दिनों में पता चलेगा। हालांकि यहा के नीति नियंताओ ने राजनैतिक लाभ के लिए मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 से परहेज किया था। जबकि राज्य आंदोलन की मूल धारणा यह बिंदु मुख्य रूप से शामिल था।

इस बार आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है प्रदेश के वृद्धि एवं युवा इस बार बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार दिख रहे हैं इनका कहना है कि अगर इस बार मूल निवास की कट ऑफ डेट 1985 हटाकर सभी प्रदेशों की भांति 1950 नहीं की गई तो आर पार की लड़ाई हो जाएगी प्रदेश के सभी राज्यों में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 है जबकि बड़े अधिकारियों की मिली भगत से यह कट ऑफ डेट इस राज्य में अनिल राज्यों के लोगों को जबरदस्ती घुसने के लिए इसे 1985 किया गया तथा अधिकारियों के दबाव के चलते यह कानून भी बनाया गया। वर्तमान में राज्य आंदोलन की मूल अवधारणा में शामिल कट ऑफ डेट 1950 के लिए अब युवा अगर जाग गया तो उसे वरगलाना मुश्किलहो जाएगा।