पैदा होते ही जिंदा दफनाई गईं, नौ साल की उम्र में हुई सगाई, जानें कौन हैं Gulabo Sapera? जो बाधाओं को पार कर बनीं देश का गौरव
वैसे तो राजस्थान (Rajasthan) में कई लोकनृत्य फेमस है। लेकिन घूमर और कालबेलिया (Kalbelia Folk Dance) नृत्य काफी लोकप्रिय है। इसी कोलबेलिया नृत्य को राजस्थान के एक छोटे से कस्बे से आई एक महिला ने विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। हम बात कर रहे हैं पद्मश्री गुलाबो सपेरा (Gulabo Sapera) की।
साल 1973 में राजस्थान के पुष्कर में जन्मी गुलाबो का जीवन बेहद कठिनाईयों से गुजरा। उनका जीवन किसी सनसनीखेज फिल्म की कहानी से कम नहीं है। खानाबदोश परिवार में जन्म गुलाबो को जन्म होने के एक घंटे बाद ही जिंद दफना दिया था। लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था। उनकी मां और मौसी ने उन्हें बाहर निकाला और आज वो देश का गौरव बन गई है। उन्होंने अपने जीवन में कई बाधाओं को पार कर एक फेमस लोक नर्तकी के रूप में अपनी दुनियाभर में पहचान बनाई।
पैदा होते ही Gulabo Sapera को जिंदा दफना दिया था
गुलाबो धनतेरस के शुभ दिन में पैदा हुई थी। जिससे उनका नाम धन्वंतरि पढ़ा। जन्म के वक्त उन्हें दाइयों ने जंगल में जिंदा दफना दिया। इसका कारण था कि उनकी मां की पहले से ही तीन बेटियां थीं। ऐसे में उनके परिवार वाले चौथी लड़की के पैदा होने के खिलाफ थे।
बच्चे के लिंग के बारे में गुलाबो की मां को नहीं बताया गया था। लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनकी बच्ची को कोई जिंदा दफना आया है। तो उन्होंने अपने समुदाय के लोगों से बच्ची को दफनाने वाली जगह के बारे में बताने की गुहार लगाई। जिसके बाद मौसी ने उन्हें पता बताया और वो दोनों बच्ची को बचाने के लिए जगंल में गईं।
दो साल की उम्र से ही नृत्य का था शौक
गुलाबो के पिता सेपेरे थे। गुलाबो का बचपन भी सांपों के बीच गुजरा। वो अक्सर सांपों को अपने पिता की धुनों पर नाचता हुआ देखती थी। दो साल की उम्र से ही उन्होंने भी नाचना शुरू कर दिया था। जब वो बड़ी हुई तो उनकी समुदाय की महिलाएं गुलाबो को भी पैसे कमाने के लिए अलग-अगल जगह लेकर जाती थी। जहां वो प्रदर्शन कर पैसे कमाते थे। गुलाबो आकर्षण का केंद्र होती थी। हालांकि उसके बावजूद भी समुदाय के सद्स्य उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे।
नौ साल की उम्र में हो गई थी सगाई
गुलाबो की किस्मत तब बदली जब 1981 में एक सरकारी अधिकारी की नजर उनपर पढ़ी। उस दौरान वो अपने समुह के साथ मेले में कालबेलिया नृत्य कर रही थी। हालांकि जैसे ही उनके समुदाय के लोगोंके ये बात पता चली उन्होंने उनके पिता को गुलाबो की शादी करने को कहा। गुलाबो महज नौ साल की थी जब एक 35 साल के व्यक्ति के साथ उनकी सगाई कर दी गई। लेकिन उस व्यक्ति ने गुलाबो को कालबेलिया नृत्य में रुचि देखकर सगाई तोड़ दी।
पद्म श्री से सम्मानित हैं Gulabo Sapera
इस घटना के करीब 10-15 दिन बाद जयपुर के राम बाग में गुलाबो को परफॉर्म करने के लिए बुलाया गया। इस परफॉर्मेंस के बाद गुलाबो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1985 में उन्होंने वाशिंगटन में भी परफॉर्म किया।
साल 2016 में उन्हें भारत सरकार की तरफ से लोक नृत्य संस्कृति को बढ़ावो देने और उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया।
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