Braking #Election@One nation एक देश एक चुनाव के मोदी के मास्टर स्ट्रोक से विपक्ष बेचैन
नई दिल्ली skt.com
लोकसभा चुनाव समय से पूर्ण होने के साथ ही सभी राज्यों में एक साथ होंगे चुनाव
कांग्रेस का विरोध तो ओवैसी का बयान
18 सितंबर से बुलाए गए विशेष सत्र में पास किया जा सकता है नया बिल
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One nation one election news : I.N.D.I.A के जरिये एकजुट हुआ विपक्ष मोदी सरकार को कुर्सी से हटाने की रणनीति बनाने में जुटी है और इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक मास्टर स्ट्रोक से पूरा विपक्ष बेचैन हो गया है।
माना यह जा रहा है कि इस बार देश में आम चुनाव समय से पूर्व हो जाएंगे सरकार की ओर से एक सूत्रों के अनुसार तैयारियां जारी है इसी का उदाहरण उत्तराखंड में ईवीएम मशीनों की जांच के लिए भेजे गए डाटा एंट्री इंजीनियर भी इस काम में लग गए हैं यह प्रक्रिया पूरे देश में चल रहा है
‘एक देश एक चुनाव’ की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है और भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। इस कमेटी के सदस्यों को लेकर आज यानी 1 सितम्बर 2023 को ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। मतलब इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम की जानकारी साझा की जा सकती है। ऐसे में केंद्र के इस फैसले से एक बार फिर उन अटकलों को हवा मिल गई है कि इस बार लोकसभा चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें कई अहम बिल पेश हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन, यूनिफॉर्म सिविल कोड और महिला आरक्षण का बिल सरकार ला सकती है और पूरा विपक्ष और एकजुट I.N.D.I.A की बेचैनी बढ़ गई है।
कांग्रेस ने का विरोध, ओवैसी का ट्वीट
सरकार के इस फैसले की जानकारी आते ही कांग्रेस ने विरोध जताते हुए कहा, ‘पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की क्या जल्दी है? देश में महंगाई समेत कई मुद्दे हैं जिनपर सरकार को पहले एक्शन लेना चाहिए।’ कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि इस मुद्दे पर केंद्र की नीयत साफ नहीं है। वहीं AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है।
बार-बार चुनाव से बर्बाद हो रहा सरकारी खजाना
बीजेपी के कई नेताओं ने इसे देश के बेहतर भविष्य के लिए उठाया जाने वाला सही फैसला बताया है। वहीं इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर केंद्र की दलील है कि लॉ कमीशन ने रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि देश में बार-बार चुनाव कराए जाने से सरकारी खजाने के पैसे और संसाधनों की जरूरत से अधिक बर्बादी होती है। संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है। इसलिए हमने कुछ जरूरी संवैधानिक संशोधन करने के सुझाव दिए हैं। वहीं आयोग ने सुनिश्चित किया है कि संविधान में आमूलचूल संशोधन की जरूरत है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए।
देश में पहले भी एक साथ हो चुके हैं चुनाव
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के वास्ते मामले को आगे की जांच के लिए विधि आयोग के पास भेज दिया गया है। संवैधानिक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर एक देश-एक चुनाव कानून बिल को लागू किया जाता है तो इसके लिए संविधान में कम से कम 5 संशोधन किए जाने चाहिए। आपको बता दें कि इससे पहले देश में 1951-1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराए गए थे।
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