बोरा फरारी केस- गले से नहीं उतर रही है लालकुंआ थानाध्यक्ष के लाइन हाजिर की कार्यवाही,

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पुलभट्टा से फरार होने के बाद पुलिस लकीर पिटती रही लेकिन मुकेश हाथ नही लगा, लेकिन कहानी कुछ और ही इशारा कर रही

लालकुंआ/नैनीताल/भीमताल skt. com


महिला के साथ दुष्कर्म और पास्को एक्ट में फरारी काट रहे नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा पुलिस के लिए पहेली बने हुए हैं पुलिस की कई टीमें दबोचने के लिए उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में खाक छान रही है। लेकिन अभी तक बड़ा उनके हाथ नहीं लगा है।

इसके अलावा सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बोरा के मददगार दो लोगों को पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था । इनमें से एक महिला प्रतिनिधि और एक ट्रांसपोर्टर है लेकिन सबसे बड़ी बात की परिवहन विभाग के जसपुर मे तैनात है एआरटीओ का मोबाइल तो जांच के लिए पुलिस ने जब्त कर लिया है लेकिन उस ड्राइवर के फोन को पुलिस ने क्या जब्त किया , क्या सीडीआर निकालने की की कोशिश की जिनके वाहन में बोरा सवार था।

पुलिस को अगर बोरा की लोकेशन के बारे में जानकारी जुटानी थी तो वह ड्राइवर की फोन से लोकेशन की जानकारी ले सकती थी।

इस सब के बीच पुल भट्टा की पुलिस ने इस ड्राइवर को लाल कुआं पुलिस के हवाले किया। उससे जानकारी जुटाना के लिए पूछताछ की तो उसने टैक्सी बुक कराने वाले एआरटीओ का नाम बता दिया।

वही सूत्र यह भी बता रहे हैं कि परिवहन विभाग के जिस अधिकारी के फोन को पुलिस ने जब्त किया उससे उसे महिला नेत्री के अलावा एक अन्य व्यक्ति जो ट्रांसपोर्टर है को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन उससे भी कुछ नहीं हासिल कर पाई।

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि फरारी काट रहे मुकेश बोरा के लिए इस परिवहन अधिकारी में पांच गाड़ियां बुक कराई थी तथा पल-पल की जानकारी भी के इस अधिकारी से मुकेश बोरा तक पहुंच रहे थे।

वही यह भी सूत्र बता रहे कि मुकेश बोरा को नेपाल एवम भारत के सीमावर्ती इलाके में पुलिस ने पकड़ लिया था लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते एवं बड़े लेनदेन के चलते पुलिस ने गेम खेलते हुए ड्राइवर को तो पकड़ लिया तथा बोरा को वहां से जाने दिया।

पुलिस ने यहां पर जैसा हमेशा होता है और रस्सी का सांप और सांप की रस्सी बनाते हुए इस मामले को पुल भट्टा में दिखाया।

इस सीमावर्ती इलाके की जो कि उद्यम सिंह नगर का नेपाल से मिलता है कि पुलिस को नैनीताल पुलिस को सूचना देनी थी और नैनीताल पुलिस को वहां पहुंचना था आखिर क्यों सीमावर्ती इलाके की पुलिस ने इसकी सूचना नहीं दी अगर दी तो नैनीताल पुलिस इस सीमावर्ती इलाके में क्यों नहीं गई इसके पीछे भी राजनीतिक दबाव भी काम कर गया।

लगातार पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहे मुकेश बोरा हो सकता है पैदल अथवा नदी पार कर भी पड़ोसी देश में जा सकता है। यहाँ तो रस्सी के सहारे भी नदी पार की जा सकती है। लेकिन जब सारी घटना उधम सिंह नगर में घटी हो और मदद करने वाला ए आरटीओ भी उधम सिंह नगर जिले में ही तैनात हो तो लाल कुआं के थाना अध्यक्ष को बलि का बकरा बनाना भी कानून के जानकारो की समझ में नहीं आ रहा है।

ऐसे में अगर बोरा भीमताल की चाफी इलाके में रुका था तो भीमताल पुलिस को इसकी जानकारी नही थी क्या ! लापरवाही के लिए यहाँ के थानाध्यक्ष पर भी कार्यवाही होनी चाहिए थी। जबकि बोरा का निवास ही इसी थाना अंतर्गत पड़ता है साथ ही वह कोर्ट से मिली राहत के दौरान अल्मोड़ा में अपनी हाजिरी लगा रहा था जब अल्मोड़ा में वह हाजिरी लगा रहा था तो अल्मोड़ा पुलिस को भी इसकी सूचना नैनीताल जिले की पुलिस को दी होगी। लेकिन यह पूरा राजनीतिक दबाव का मामला रहा की एक थाने में हाजिरी लगाने वाला व्यक्ति नजरों में धूल झोंककर फरार हो गया हो।

पुलिस ने बोरा की मदद करने वाले चार लोगों पर मामला दर्ज कर उन्हें जांच में सहयोग करने को कहा है इनमें मुख्य रूप से धारी की ब्लॉक प्रमुख आशा रानी एक ट्रांसपोर्टर सुरेंद्र सिंह परिहार ने वर्तमान भीमताल अध्यक्ष देवेंद्र सिंह चुनौतियां और एआरटीओ नंदन आर्य शामिल है