इस चुनाव में भाजपा के बिगड़ने लगे समीकरण,कईयों टूटे दिल
भले ही भाजपा सत्ता में आने का दावा कर रही है और सत्ता में आने के सपने संजोए हैं लेकिन ऐसी कई सीटें हैं जहां भाजपा से बागी हुए प्रत्याशी मुसीबत खड़ा कर रहे हैं। एक ओर जहां खुली बगावत कर विधायक ने चुनाव ताल ठोकी तो वहीं दूसरी ओर मौन धारण करना ही सही समझा गया। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों काशीपुर और रुद्रपुर की जहां भाजपा पर गंभीर सियासी संकट में दिख रहे हैं।
आपको जैसे मालूम ही है कि रुद्रपुर से भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल टिकट कटने से बेहद नाराज हुए और उन्होंने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडने की ठानी तो वहीं काशीपुर से भाजपा विधायक चीमा के बेटे को टिकट देने से वो दिग्गज नेता नाराज हो गए जो सालों से टिकट का इंतजार कर रहे थे और क्षेत्र में जनता के बीच जाकर काम कर रहे थे। लेकिन काशीपुर में दिग्गज भाजपाई मौन से विरोध कर रहे हैं।
ये है काशीपुर सीट के समीकरण
आपको बता दें कि इस सीट पर भाजपा 20 साल से कब्जा जमाए हैं। 20 साल से विधायक हरभजन सिंह चीमा को प्रत्याशी बनाया गया और जीते भी। लेकिन भूचाल तब आया जब भाजपा ने इस बार टिकट उनके बेटे को दिया। इससे उन नेताओं का दिल टूट गया। 20 साल के टिकट का इंतजार रहे नेताओं को भाजपा का ये परिवारवाद रास नहीं आया और उन्होंने खुली बगावत की। ठुकराल ने तो हाईकमान को चेतावनी तक दी लेकिन फिर भी टिकट उनको नहीं दिया गया। कई नेताओं ने तो चुप्पी साधे हुए मौन धारण कर लिया और ऐसे ही पार्टी का विरोध करना सही समझा।
काशीपुर मेयर ऊषा चौधरी गायब!
बात करें काशीपुर मेयर की तो मेयर ऊषा चौधरी की तो वो कहीं दिख नहीं रही है और वरिष्ठ नेता राम मेहरोत्रा काशीपुर की बजाय जसपुर सीट पर सक्रिय हैं। इन नेताओं के हजारों समर्थक भी भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक से दूरी बना चुके हैं। पिछले दिनों चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर न तो कार्यकर्ता दिखे और न ही दिग्गज नेता। ऐसे में विधायक को भीड़ दिखाने के लिए पापड़ बेलने पड़े।
राजकुमार ठुकराल ने निर्दलीय ठोकी ताल
वहीं बात करें रुद्रपुर सीट की तो 10 साल से वहां राजकुमार ठुकराल विधायक हैं जिन्होंने भगवा पहनकर हिदुत्व की लड़ाई लड़ी और जनता के बीच जमकर गाली गलौच की जिसके बाद उन्हें गालीबाज विधायक भी कहा जाने लगा। उनके कई वीडियो-ऑडियो वायरल हुए…और शायद इसी छवि के कारण भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया लेकिन वो भी बगावत करने से दूर नहीं रहे उन्होंने चेतावनी देते हुए बगावत की और निर्दलीय मैदान में उतरे। पार्टी ने राजकुमार ठुकराल का टिकट काट कर जिलाध्यक्ष शिव अऱोरा को दिया है। ठुकराल का साफ तौर पर कहना है कि वो हिंदुत्व एजेंडे पर चुनाव लड़ेंगे।
वहीं ठुकराल के निर्दलीय चुनाव के मैदान में आने से उनके हजारों समर्थक भाजपा प्रत्याशी से दूरी बना चुके हैं और ठुकराल की तरफ आ गए हैं और यही वजह है कि शिव के साथ नाममात्र के ही भाजपाई दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि ठुकराल की ये बगावत पड़ोस की सीटों किच्छा और गदरपुर में भी भाजपा प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ा सकती है। भाजपा को इन सीटों पर ‘गंभीर चोट’, भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। सालों की सत्ता को भाजपा के पास थी वो खिसक सकती है।
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