लिटरेचर फेस्टिवल में कथाकार, साहित्यकारों, पत्रकारों, कवियों और थिएटर से जुड़ी हस्तियों ने साझा किए अपने ऐसे अनुभव

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हल्द्वानी इसकेटी डॉट कॉम

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हल्द्वानी में आयोजित दूसरे लिटरेचर फेस्टिवल में देशभर के कथाकार और साहित्यकारों कवियों पुरातत्व वेताओं ने अपने जिंदगी के खट्टे मीठे अनुभव को साझा किया

इस लिटरेचर फेस्टिवल में युवा पीढ़ी से लेकर प्रौढ़ और वृद्धावस्था की ओर जा रहे लोगों ने अपने समय और आज के समय के अनुसार आज मैं आ रहे परिवर्तनों को अपनी जुबानी में मौजूद लोगों के सामने रखा.

इस फेस्टिवल में जहां अंशुल सक्सेना जैसा युवा सोशल हैकर,, अंबुज जैसा युवा पत्रकार रिचा अनिरुद्ध जैसी चिंतक कंचन पंत जैसी एंकर अभिनेत्री ललित मोहन रयाल जैसे गद्य साहित्यकार रणवीर सिंह चौहान जैसे कथाकार कहानीकार अशोक कुमार जैसे खाकी में छिपे हुए कवि के अलावा कई ऐसे अनगिनत भाषा साहित्य लोक गाथा लोक साहित्य से जुड़े हुए टीवी एंकर अशोक श्रीवास्तव पत्रकार अनुराग पुनेठा विजय द्विवेदी डॉक्टर चंद्रशेखर जोशी मालिनी अवस्थी गौरी मिश्रा समेत कई अन्य साहित्यकारों अपने अनुभव साझा किये.

एथिकल हैकर अंशु सक्सेना ने पहले दिन जहां साइबर सिक्योरिटी पड़ोसी देशों के साथ होने वाली खटपट के बाद जिस तरह से साइबर अटैक किया जाता है उससे उस देश के लोग सुरक्षा एजेंसियां भी नहीं समझ पाती है कि कैसे यह सब कुछ संभव हो सकता है

वही पुरातत्व वेदा पद्मश्री यशोधर मठपाल ने बताया कि चित्रकारी कलाकारी और भित्ति चित्र करीब 40 हजार साल पुराने समय से चले आ रहे हैं लेकिन इसके बारे में लोगों को पूरी जानकारी नहीं है उन्होंने कहा कि संस्कृत इस पूरे ब्रह्मांड की सबसे पुरानी भाषा है उन्होंने महाभारत काल को 5200 पुराना बताया इसके अलावा उन्होंने कहा कि स्याल्दे विकासखंड में भ्रमण के दौरान जब वह एक गांव में गए तो वहां 50 मीटर चौड़ा गड्ढा देखा तो कहां के युवाओं से इसके बारे में पूछा तो उन्हें इनकी कोई जानकारी नहीं थी जबकि इतना चौड़ा गड्ढा किया जाना संभव नहीं था. वही क्षेत्र की एक वृद्धा ने बताया कि आकाश से गिरे उल्का पिंड की वजह से बना हुआ है अशिक्षित होने के बावजूद उसका अनुमान बिल्कुल सटीक था जबकि पढ़े-लिखे युवा इसके बारे में सोच भी नहीं सकते थे.

गद्य साहित्यकार के रूप में अपनी साहित्य विधा से उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय हो चुके उत्तराखंड के पीसीएस टॉपर आगामी दिनों में आईएएस बनने वाले ललित मोहन रयाल ने एक गद्य साहित्य के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने अपनी बचपन की स्मृतियों को एक पुस्तक में लिपिबद्ध किया. इसके अलावा इलाहाबाद में अध्ययन के दौरान की बोली भाषा एवं संघर्षों के दिनों में पढ़ाई के दौरान हुई विभिन्न गतिविधियों को एक पुस्तक के माध्यम से लोगों के सामने रखा. इसके अलावा व्यंग के माध्यम से वर्तमान समय में छोटे तबके के कर्मचारी से लेकर बड़े अधिकारी तक के क्रियाकलापों को पुस्तक में उकेरा. इसके अलावा एक अन्य पुस्तक में उन्होंने अपने पिताजी के बालपन से लेकर स्वर्गवास होने तक के संघर्ष को को जो उन्होंने अपनी आंखों से देखा था को भी एक पुस्तक के माध्यम से पिरो कर दिया.

कार्यक्रम के दौरान जहां हल्द्वानी के पूरणमल एंड संस की ओर से पुस्तक मेला भी लगाकर इन सभी साहित्यकारों कवियों की पुस्तकों को लोगों के लिए उपलब्ध कराया.महिलाओं केवर्ग में मंजू पांडे उदिता और कंचन पंत द्वारा लेखन फिल्म की एक्टिंग डायरेक्शन और कंचन पंत के द्वारा टीवी चैनल में स्क्रीन के साथ ही स्त्री के जीवन में आने वाली कई दिक्कतों को जिस तरह से हो क्या और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के सामने आने वाले संघर्ष सामने नारी की पूरी व्यथा रखी.

आईएएस अधिकारी रणवीर सिंह चौहान द्वारा अपने बाल निकाल से लेकर पिताजी और उन्हें लखनऊ में शिक्षा दिलाने वाले तिवारी जी के साथ बिताए क्षणों को एक गद्य के माध्यम से बड़ी बखूबी से लिखा है अंतिम दिनों में पिताजी की बीमारी और रेल में ही हार्ट अटैक के आने यह बात की दिक्कतों और इसी दौरान मृत्यु हो जाने के बाद जिस तरह से उनके मन मजबूती के साथ उनके साथ खड़ा रहा वह उसकी आज कल्पना भी कर नहीं सकते हैं कि कैसे नहीं है मजबूती आ गई. उनकी यह किताब को पढ़कर उनके साथ क्या कर रही रिचा अनिरुद्ध जब यह किताब नोएडा से आते वक्त पड़ी तो वह कई बार रोई.

इसके अलावा वर्तमान में उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार के अब तक के जीवन के अनुभव उनके द्वारा किए गए पुलिसिंग के माध्यम से लोगों की मदद हुई है जो वास्तविक रूप से पीड़ित थे पुलिस ने उनकी मदद के बजाय उन्हें दिक्कतों में डाला था ऐसे में किस तरह से उन्होंने ऐसी पीड़ित लोगों की मदद की और जेलर को जेल में ही सजा दिला दी सीओ को नौकरी से ही सस्पेंड करवा दिया. और किस तरह से उधम सिंह नगर में 1989 के बाद तराई में हुए आतंक को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सभी आगंतुकों का कुमाऊनी तरीके से टोपी पहना कर कार्यक्रम में उ उपस्थिति का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया तथा महिलाओं को कुमाऊनी पिछड़ा भी भेंट किया गया सभी उपस्थित लोगों द्वारा पांचजन्य एवं कार्यक्रम के संयोजक दिनेश मानसेरा एवं उनकी टीम की कंठ में की सराहना की