जानवर प्रेम- लड़ाई के बीच अपने कुत्ते को छोड़ वापस नहीं लौटना चाहते ऋषभ

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रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है। युद्ध के कारण यूक्रेन में हालत बेहत खतरनाक हो गए हैं। वहां, बम और गोलियों की गूंज के साथ लोगों की चीखें सुनाई दे रही हैं। हर कोई डरा और सहमा हुआ है। इस बीच वहां फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाया जा रहा है। उत्तराखंड के भी कई छात्र वहां फंसे हुए हैं। उनमें देहरादून के ऋषभ भी शामिल हैं। ऋषभ अकेले नहीं हैं, उनके साथ उनका कुत्ता भी है, जिसे छोड़कर वो वापस नहीं लौटना चाहते हैं।


पूर्वी यूक्रेन में खार्किव नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ रेडियो इलेक्ट्रॉनिक्स में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष के छात्र ऋषभ कौशिक ने अपने पालतू कुत्ते मालिबू के बिना यूक्रेन छोड़ने से मना कर दिया है। दून के किशननगर के रहने वाले ऋषभ की इस जिद ने सबको चौंक दिया है। इस वक्त वो दुनियाभर में चर्चा में हैं।


ऋषभ का कहना है कि उन्होंने अपने पालतू कुत्ते को अपने साथ भारत लाने के लिए विपरीत परिस्थितियों में तमाम औपचारिकताएं पूरी कीं, लेकिन अब तक उन्हें अनुमति नहीं मिली है। उन्होंने फैसला किया कि अगर उनका कुत्ता साथ नहीं जा सकता है, तो वह भी नहीं लौटेंगे। ऋषभ को यह भी पता है कि वहां रहने में जोखिम है, लेकिन वो कुत्ते को छोड़कर नहीं लौटना चाहते हैं। उन्होंने मालिबू को गोद लिया था।


ऋषभ ने बताया कि जब यूक्रेन में युद्ध के हालात बन रहे थे, तभी उनके पिता ने उनके लिए दुबई का बीजा और टिकट बुक करवा दिया था। तब वह खार्किव में थे। जब सब लोग कीव से भाग रहे थे, तब वह खार्किव से पांच सौ किलोमीटर दूर यूक्रेन की राजधानी कीव इस उम्मीद से पहुंचे की, वहां एबेंसी में जाकर कुछ बात बन जाएगी। उन्होंने कीव पहुंचकर एक होटल में कमरा लिया और सो गए।


लेकिन, सुबह पांच बजे उनकी आंख बम के धमाकों की आवाज से खुली। यह 23 फरवरी का दिन था और मालिबू उनके साथ था। इस दौरान उनके बहुत से परिचितों ने सलाह दी कि वह अपने पालतू कुत्ते को सेल्टर होम को सौंप दें और खुद अपने वतन लौट जाएं, लेकिन वो नहीं माने। 20 फरवरी को कुत्ते के लिए एनओसी भी मांगी।


ऋषभ के पिता मधुकांत कौशिक ने कहा कि वह अपने कुत्ते को किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि स्थिति सामान्य हो जाए और दोनों सुरक्षित रूप से देश से बाहर निकलकर घर वापस आ जाएं। उन्होंने बताया कि फिलहाल वह सुरक्षित स्थान पर है।