गजब!, उत्तरकाशी में बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची दुल्हन…, जानें क्या है जोजोड़ा परंपरा ?- jojoda

Uttarkashi jojoda Marriage: उत्तराखंड के उत्तरकाशी से एक अनोखा शादी का मामला सामने आया है। यहां दूल्हे की जगह दुल्हन बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर पहुंची। आप भी ये सुनकर हैरान रह गए ना?, हालांकि ये सच है। दरअसल जौनसार बावर इलाके में इस तरह की शादियां काफी आम हैं।
हालांकि बंगाण इलाके में ये परंपरा करीब पांच दशक पहले लुप्त हो चुकी है। लेकिन इसे अब दौबारा से जीवित किया गया है। इस आयोजन के गवाह ना सिर्फ स्थानीय ग्रामीण बल्कि बाहर से आए लोग भी बने।

गजब!, उत्तरकाशी में बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची दुल्हन…Uttarkashi jojoda Marriage
बारात लेकर आई दुल्हन के साथ बाराती तो सोमवार को लौट जाएंगे। लेकिन दुल्हन अपने ससुराल ही रहेगी। यहां दुल्हन की विदाई नहीं होती। दरअसल उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील में आराकोट के कलीच गांव के रहने वाले पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की रविवार को शादी हुई।

दुल्हे की तरफ से बारात का किया गया स्वागत
मनोज की शादी ग्राम जाकटा के जनक सिंह की पुत्री कविता के साथ हुई। हालांकि ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ दुल्हन कविता बारात लेकर लड़के के घर पहुंची। इस दौरान दुल्हे की तरफ से भी रिति रिवाजों के साथ बारात का आदर-सत्कार किया गया।
शादी में नहीं लिया दहेज
इस शादी की एक खास बात रही कि दोनों की ओर से दहेज या कोई अन्य मांग नहीं की गई। लड़के के पिता कल्याण सिंह ने कहा कि हमें ही अपनी संस्कृति को बचाना होगा और पुराने रीति रिवाजों को जिंदा रखना होगा।

धीरे-धीरे विलुप्त हो रही जोजोड़ा परंपरा Kya hai Uttarkashi jojoda Marriage
बताते चलें कि ऐसे विवाह को जोजोड़ा कहा जाता है। इसमें दुल्हन दूल्हे के घर बारात लेकर पहुंचती है। इसका साफ अर्थ है जो जोड़ा भगवान खुद बनाते हैं। इसमें बारातियों को जोजोड़िये कहा जाता है। ये परंपरा बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ ना होने की वजह से शुरू हुई थी। वक्त के साथ ये परंपर विलुप्त हो गई। लेकिन नई पीढ़ी ने एक बार फिर इस परंपरा को जीवित करने का बीड़ा उठाया।
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