जागेश्वर के बाद अब कसार देवी में पेड़ काटने की तैयारी, पेड़ों पर लगे लाल निशान

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जागेश्वर में अभी देवदार के पेड़ काटने का विरोध कम हुआ ही था कि अब अल्मोड़ा के ही कसार देवी में पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी हो गई है। सड़क चौड़ीकरण के लिए अब कसार देवी में पेड़ काटने की तैयारी हो रही है। यहां पर पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं।


जागेश्वर के दारुक वन काटने का विरोध अब तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है कि अब कसार देवी में पेड़ काटने की तैयारी की जा रही है। कसार देवी को जोड़ने वाली सड़क के चौड़ीकरण के लिए देवदार, चीड़ और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे जा रहे हैं। जागेश्वर के बाद यहां भी हरे पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। सड़क को चौड़ा करने के लिए अब यहां भी देवदार के विशालकाय हरे पेड़ों, चीड़ और बांज पर आरी चलने जा रही है।

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चिन्हित किए गए पेड़—-
कसारदेवी को जोड़ने वाली सड़क की कवायद शुरू
मानसखंड मंदिर मिशन माला के तहत अल्मोड़ा में जागेश्वर धाम, कसारदेवी, सूर्य मंदिर कटारमल और चितई गोलू के साथ ही अन्य मंदिरों का विकास किया जाना है। जिसके लिए इन मंदिरों को जोड़ने वाली सड़क को बेहतर बनाया जाया है। इसीलिए सड़क को चौड़ा किए जाने का प्लान बनाया गया है। इसके लिए सड़क के आस-पास के पेड़ों को काटा जाना है। जिसके लिए वन विभाग ने तैयारी भी शुरू कर दी है।

देवदार के पेड़ो पर लगाए गए लाल निशान
कसार देवी मंदिर के आस-पास देवदार, चीड़ और बांज सहिंत अन्य पेड़ मौजूद हैं। पपरशली के पास सड़क के आस-पास वन विभाग द्वारा देवदार के कई पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए हैं। इसके साथ ही चीड़ और बांज के पेड़ों पर भी निशान लगाए गए हैं। सड़क चौड़ीकरण की जद में कितने पेड़ आ रहे हैं इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। वन विभाग इसकी स्पष्ट जानकारी देने से बच रहा है। लाल निशान से अंदाजन 640 से ज्यादा पेड़ों पर आरी चलने जा रही है।

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पेड़ों पर लगे निशान—-
कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है ईको पार्क
आपको बता दें कि कसार देवी के पपरशली में जिन पेड़ों पर लाल निशान लगाए गए हैं वहां से थोड़ी ही दूरी पर ईको पार्क है। ये इलाका पर्यटन की दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है। यहां के देवदार, चीड़ और बांज के विशालकाय पेड़ कसार देवी और इसके आस-पास के क्षेत्र की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।

लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि जहां एक ओर ईको पार्क में कई पेड़-पौधों की कई प्रजातियों को संरक्षित करने की बात कही जाती रही है तो वहीं दूसरी ओर इस से थोड़ी ही दूरी पर संरक्षित प्रजाति के विशालकाय देवदार के साथ ही चीड़ और बांज के पेड़ों को काटा जा रहा है।