अजब सोच गजब का काम एक अनोखा शादी कार्ड बन गया चर्चा का विषय, जिसमें कन्या के पिता ने सरकारी योजनाओं का ही दे दिया विवरण

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हल्द्वानी skt. com

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आमतौर पर लोग अपने बच्चों की शादी में अपने रिश्तेदारों का नाम तथा कार्यक्रम की सूची देते हैं लेकिन उद्योग विभाग में महाप्रबंधक के पद से रिटायर होने की योगेश पांडे ने एक अजूबा काम किया । उन्होंने अपनी बेटी की शादी के कार्ड में सरकारी योजनाएं छपवा दी इसके बाद यह कार्ड पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें सरकार की विभिन्न योजनाएं प्रकाशित की हुई है अधिकतर होता है ऐसा है की योजनाएं सरकार की ओर से आती हैं लेकिन लोगों के मन मस्तिष्क में सिर्फ अपने संबंधी योजना ही रहती हैं सभी योजनाएं सभी लोगों को याद रहे इसलिए रिटायरमेंट हुए इस अधिकारी ने अपनी बेटी की शादी के अवसर को इसके लिए भुना लिया।

रिटायर होने के बाद अधिकारी-कर्मचारियों को अपने संबंधित विभाग से संपर्क और उससे जुड़ा कामकाज करते कम ही देखा जाता है। रिटायरमेंट के पांच साल बीतने के बाद भी वे उद्योग विभाग से जुड़ी गतिविधियों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बराबर शिरकत करते रहते हैं। स्वरोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम चाहे विभागीय हों या किसी एनजीओ के माध्यम से संचालित योगेश पांडेय सूचना मिलने भर में ही उस कार्यक्रम में शामिल होकर युवाओं और बेरोजगारों को अपने अनुभव और सरकारी योजनाओं के आधार पर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं।


आपने शादी कार्ड में मेरी बुआ, मेरी मौसी या मेरे चाचा की शादी में जलूल-जलूल आना तो जरूर पढ़ा होगा। मगर हल्द्वानी में रहने वाले एक रिटायर अफसर ने अपनी बिटिया के शादी कार्ड में निमंत्रण कार्यक्रम की सूचना के साथ ही स्वरोजगारपरक योजनाएं भी प्रकाशित कराई हैं। मकसद है बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना। कार्ड में स्वरोजगार अपनाने, आत्मनिर्भर बनने, पलायन रोकने के साथ ही उत्तराखंड को समृद्ध बनाने का आहवान किया गया है।
इन योजनाओं में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुद्रा योजना, स्र्टाअअप योजना, स्टैंड अप योजना, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नैनो, महिला विशेष प्रोत्साहन योजना, स्व. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन रोजगार योजना, दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास योजना, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास योजनाएं आदि हैं।

30 साल की सरकारी नौकरी के बाद भी उसी विभाग के हित में निस्वार्थ भाव से सेवा कर योजनाओं के प्रचार-प्रसार करने की रिटायर अफसर की पहल की लोगों ने सराहना की है।