2 दिन बाद पेट्रोल 33 रुपए और बियर हो सकती है 17 रुपए सस्ती, इस कॉउंसिल की बैठक मे लग सकती है मुहर!
चंडीगढ़ /दिल्ली एसकेटी डॉट कॉम
हमारी इस खबर की हेडिंग( शीर्षक ) को पढ़कर आपको जरूर और पता लग रहा होगा लेकिन उन्नति जून को चंडीगढ़ में आयोजित होने वाली जीएसटी काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक में अगर पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा शराब जीएसटी के दायरे में लाने पर निर्णय हो गया तो आपको ₹100 में डेढ़ लीटर पेट्रोल मिलने लगेगा इसके अलावा ₹100 में मिलने वाली बियर आपको 83 रुपए में मिलने लगेगीl
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष विवेक देवराय ने इस बात की संभावना भी जताई कि जीएसटी की काउंसिल मैं इस निर्णय पर भी मुहर लगने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता l पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने से निश्चित रूप से महंगाई पर लगाम लगेगीl पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से खुशी है लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं चाहती है क्योंकि इससे उन्हें राजस्व का अच्छा खासा घाटा सहना पड़ेगा
केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी दायरे में लाने से इसलिए डरती है इससे कहीं उनका खजाना खाली ना हो जाए l पेट्रोल और डीजल को जीएसटी को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार इसलिए जीएसटी से इसलिए बाहर रखते हैं क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें इनमें से प्रति लीटर 48 रुपए लेती हैं l जिसमें से सरकार ₹27. 90 पैसे तथा राज्य सरकार ₹20.44 पैसे वसूलती हैं l अगर जीएसटी लागू की जाए तो लोगों को पेट्रोल ₹71.97 पैसे में मिल जाएगाl हिसाब जोड़ा जाए तो ₹53 पेट्रोल का बेस प्राइस पर तथा भाड़ा है l अगर जीएसटी अधिकतम 28% लगाई जाए तो ₹14.91 जोड़ दिया जाए इसके साथ ही डीलर प्राइस ₹3. 71 को भी लगा कर एक कुल ₹71.97 पैसा बैठता है
इस तरह से वर्तमान के मूल्य से लगभग ₹33 सस्ता आम लोगों को पेट्रोल उपलब्ध हो पाएगा l लेकिन राज्य सरकारें इसके लिए तैयार नहीं लगती है राज्य सरकार के आर्थिक हितो पर कुठाराघात होता हैl केंद्र और राज्य सरकारों ने वर्ष 20-21 6लाख करोड़ की कमाई टैक्स के माध्यम से की थी की थी l केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी मुआवजे मैं अब छूट देने के मूड में नहीं है इसके लिए कई सरकारों को काफी घाटा उठाना पड़ सकता है जिनमें मुख्य रुप से महाराष्ट्र की सरकार है जिसे 60 हजार करोड़ अधिक की चपत लगेगी उत्तराखंड को 9000 करोड़ की चपत लग सकती हैl
राज्य सरकारें शराब को भी जीएसटी के दायरे से मैं लाने से डरती इसलिए है कि उनका बहुत बड़ा इनकम का सोर्स घटकर काफी कम हो जाएगा इनकम टैक्स सूत्रों की माने तो पेट्रोलियम के बाद शराब की बिक्री से से अधिक टैक्स प्राप्त होता है l शराब की बिक्री से पूरे देश में पौने दो लाख करोड़ की इनकम हुई है l राजस्थान सरकार का अगर उदाहरण लें तो अगर जीएसटी की अधिकतम दर 28 परसेंट भी शराब पर लगाई जाएगी तो एक बीयर की बोतल जो वर्तमान में ₹100 की मिलती है वह ₹83 की मिलेगी सरकार की जेब में ₹45 की जगह सिर्फ ₹27 ही आएंगेl इसी वजह से सरकारी पेट्रोल डीजल और शराब को जीएसटी के दायरे में लाने से बचती हैl जीएसटी कलेक्शन की बात करें तो सिर्फ पांच राज्य ऐसे हैं जिन्होंने 14% से अधिक का जीएसटी कलेक्शन किया है l जिनमें मुख्य रुप से पंजाब-हरियाणा उड़ीसा महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश शामिल है l 10% से अधिक कलेक्शन करने वाले राज्यों में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल झारखंड मध्य प्रदेश तमिलनाडु तेलंगाना उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान है बाकी के सभी राज्यों में 5% से कम जीएसटी कलेक्शन किया है
केंद्र सरकार पर ज्यादा निर्भर रहने वाले राज्य जीएसटी मुआवजे में केंद्र द्वारा अब मुआवजा नहीं दिया जाएगा विभिन्न राज्यों को फिक्र हो रही है इनमें उत्तराखंड में मुख्य रूप से शामिल है केंद्र सरकार अपनी ओर से जीएसटी लागू किए जाने के बाद नुकसान की भरपाई के लिए सिगरेट तंबाकू खैनी गुटखा एलपीजी पैट्रोल व डीजल वाहनों से भी सेस के रूप में लेगाल
कुल मिलाकर जीएसटी काउंसिल में जो भी निर्णय होंगे आने वाले दिनों में देश में प्रदेश की राजनीतिक तथा आर्थिक लाभों को प्रभावित करेंगेl पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के निर्णय पर कोई फैसला होता है या नहीं यह तो देखने वाली बात है जीएसटी के टैक्स स्लैब में जरूर फेरबदल होने की संभावना है l
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