कीड़ा जड़ी की सेटेलाइट से की जाएगी रिसोर्स मैपिंग, शासनादेश में किया जाएगा बदलाव
बेशकीमती कीड़ा जड़ी अपने फायदों के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। कीड़ा जड़ी के विदोहन का फायदा माफिया और कालाबाजारियों को ना मिलकर स्थानीय लोगों को मिले इसके लिए सरकार ने नया प्रयास शुरू किया है। अब प्रदेश में कीड़ा जड़ी की सेटेलाइट से रिसोर्स मैपिंग से की जाएगी।
अपने फायदों के लिए दुनियाभर में मशहूर कीड़ा जड़ी के दोहन को रोकने और कालाबाजारियों के बजाय स्थानीय लोगों को इसका फायदा देने के लिए धामी सरकार ने नए प्रयास शुरू किए हैं। इसके तहत सेटेलाइट के माध्यम से रिसोर्स मैपिंग और ग्राउंड सर्वे किया जाएगा।
शासनादेश में किया जाएगा संशोधन
कीड़ा जड़ी को यारसा गंबू या फिर हिमालयन वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में सेटेलाइट के माध्यम से रिसोर्स मैपिंग और ग्राउंड सर्वे किया जाएगा, ताकि कीड़ा जड़ी के क्षेत्र को सूचीबद्ध किया जा सके। इसके साथ ही शासनादेश में जल्द ही संशोधन किया जाएगा। जल्द ही इसका ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। ताकि इसकी कालाबाजारी को रोका जा सके।
कीड़ा जड़ी से स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ाया जाएगा
हिमालयन वियाग्रा यानी कीड़ा जड़ी से अब स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ाया जाएगा। उत्तराखंड सरकार की ओर से इस संबंध में 2018 में विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई थी। इस गाइडलाइन में कीड़ा जड़ी की तस्करी रोकने के लिए योजना तैयार की गइ थी।
इसके साथ ही स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की योजना भी बनाई गई थी। इसमें कीड़ा जड़ी के संग्रह, विदोहन और रॉयल्टी को लेकर नियम बनाए गए थे। लेकिन इन नियमों के बावजूद भी कीड़ा जड़ी की तस्करी पर अब तक लगाम नहीं लग पाई है।
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