आखिर क्यों केदारनाथ रोपवे है पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट

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केदारनाथ रोपवे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है। पीएम मोदी धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की परेशानी को देखते हुए बहुत पहले ही इस बात का ऐलान कर चुके थे कि केदारनाथ धाम पहुंचने का मार्ग वो सुगम बनाएंगे। पीएम मोदी खुद कई बार बाबा केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं।


कैसे पहुंचते हैं केदारनाथ
केदारनाथ पहुंचने के लिए फिलहाल पैदल पहाड़ी ट्रैक है। इस ट्रैक पर डंडी कंडी या फिर खच्चर पर बैठकर भी जा सकते हैं। तकरीबन 12 किमी की ये यात्रा करने में आपको सात से आठ घंटे तक समय लग सकता है। इसके लिए आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। हाई एल्टीट्यूड और मौसम प्रतिकूल होने से आपको चुनौतियां मिल सकती हैं। आमतौर पर बुजुर्ग लोगों के लिए ये मार्ग बेहद कठिन होता है।


हेलिकॉप्टर का भी है विकल्प
केदारनाथ जाने के लिए आप हेलिकॉप्टर का विकल्प भी प्रयोग कर सकते हैं। मौजूदा वक्त में नौ हेली कंपनियां यहां सर्विस दे रहीं हैं। आमतौर पर हेलिकॉप्टर का विकल्प आम लोगों के कुछ महंगा होता है। आप चाहें तो एक तरफ या फिर आने और जाने दोनों के लिए हेलिकॉप्टर का विकल्प ले सकते हैं।


रोपवे बनने से आसान होगा सफर
केदारनाथ के लिए रोपवे बनने से बाबा के धाम पहुंचने वालों को सहूलियत होगी। ये रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक बनाया जाएगा। इस रोपव में स्टेशन गौरीकुंड, चीड़बासा, और लिंचौली बनाए जाएंगे। इस रोपवे के बन जाने के बाद केदारनाथ धाम तक श्रद्धालुओं की पहुंच बेहद आसान हो जाएगी। सोनप्रयाग से केदारनाथ पहुंचने का समय भी कम हो जाएगा।

इसके साथ ही श्रद्धालुओं को सहूलियत भी होगी। इस रोपवे के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद भी है। केदारनाथ रोपवे के निर्माण प्रोजेक्ट में 26.43 हेक्टेयर वनभूमि आ रही है। केदारनाथ रोपवे के निर्माण में तकरीबन 1000 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है। म्मीद भी है। केदारनाथ रोपवे के निर्माण प्रोजेक्ट में 26.43 हेक्टेयर वनभूमि आ रही है। इसके बनने के बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए करीब 13 किलोमीटर लंबे रोपवे के बनने से धाम तक की दूरी 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी।


हेमकुंड में भी रोपवे
इसके साथ ही गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक बनने वाले रोपवे के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं है लिहाजा इस मार्ग पर भी अब रोपवे निर्माण शुरु हो सकेगा। एनएचएआई की एजेंसी नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड ने दोनो रोपवे की डीपीआर तैयार की है।