सीएम धामी द्वारा भ्रस्टाचार को उखाड़ने के लिए डाली बाल को आखिर नो क्यों करार दे रहा रहा है यह अधिकारी

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आखिर जालसाज को क्लीन चिट देने की क्या है मजबूरी

जिस डिग्री के बल पर नौकरी कर रहा है जालसाज , उसकी उपस्थिति पंजिका गायब,

जिस अस्थाई पद को नकार रहा है जालसाज, वहाँ है पूरी उपस्थिति, मानदेय लेने का भी है प्रमाण

जालसाज की नियुक्ति की फाइल आखिर गुम हुई तो कैसे इसे मिला उत्तराखंड कैडर और कैसे मिली प्रोन्नति

बार बार शिकायत होने के बाद भी एसआईटी जांच क्यो नही करा रहा है यह बड़ा अधिकारी

शिकायतकर्ता द्वारा उसकी शिकायत गलत सिद्ध होने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करने का स्वयं दिया है एफिडेविट, उसके खिलाफमुकदमा हो दर्ज तथा भेज जाय जेल

देहरादून /haldwani Skt. com

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रवैया बनाए हुए हैं फर्जी डिग्री के माध्यम से नौकरी कर रहे कई अध्यापकों और पुलिस कर्मियों को नौकरी से निकाल कर योग्य पत्रों को नौकरी देने का निर्णय लिया है इसके अलावा हर रोज विजिलेंस के माध्यम से भ्रष्टाचार कर रहे लोगों को पड़कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।

(सीएम हेल्पलाइन टीम का वह मेल जिसमे सचिव शिक्षा द्वारा मुकुल सती के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करने की बात कही गई है)

लेकिन शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर तैनात इस बड़ेआईएएस अधिकारी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस अभियान की हवा निकल कर रखी हुई है। शिक्षा विभाग में संयुक्त निदेशक के पद पर काबिज मुकुल सती के खिलाफ तमाम तरह के सबूत यह स्पष्ट कह रहे हैं कि उन्होंने B.Ed की डिग्री प्रोक्सी अथवा जलसाजी के माध्यम से हासिल की है कि यह मामला लगातार कई बार विभिन्न सूचनाओं के माध्यम से सरकार के संज्ञान में डाला गया लेकिन जब विभाग का आला अधिकारी ही भ्रष्टाचार के समुद्र में डूब चुके हैं इस अधिकारी को बचाने का निर्णय ले चुका है तो मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंचेगी।

(एसएसपी नैनीताल का वर्ष 2019 में शासन को लिखा पत्र जिसमें जांच में यह सामने आया है कि मुकुल सती ने हल्द्वानी के एच एन इंटर कॉलेज में शिक्षक के तौर पर पढ़ाया है और अल्मोड़ा के B.Ed कॉलेज में उनकी उपस्थिति के कोई प्रमाण नहीं है )

मुख्यमंत्री कार्यालय में स्थित सीएम पोर्टल टीम के द्वारा भी यह बात कही गई है कि बार-बार पत्र लिखने के बाद भी सचिव द्वारा मुकुल सती के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है बल्कि वह तो उन्हें क्लीन चिट देने पर आमदा है वर्तमान में नैनीताल निवासी एक पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने इस मामले में किसी भी तरह का निर्णय नहीं लेने पर इसकी शिकायत राष्ट्रपति के विशेष सचिव तक की गई तथा वहां से मुख्य सचिव को इस संबंध में कार्रवाई करने का निर्देश भी मिला लेकिन मुख्य सचिव के आदेश के बावजूद भी शिक्षा सचिव ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है मुख्यमंत्री के सीएम पोर्टल द्वारा भी इस मामले में सचिव द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने की बात कही है

महानिदेशक शिक्षा बंशीधर तिवारी का सचिव रवि नाथ रमन को लिखा पत्र क

समग्र शिक्षा में निदेशक के पद पर कार्यरत मुकुल सती के खिलाफ महानिदेशक शिक्षा को भी एसआईटी की जांच करने का अनुरोध किया गया लेकिन महानिदेशक ने इस मामले में जांच की गेंद शासन के पाले में डाल दी है। वर्ष 2019 में एसएसपी के द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट के सामने आया कि मुकुल सती ने वर्ष 1989 से 90 के बीच में हल्द्वानी के न इंटर कॉलेज में रसायन के प्रवक्ता के रूप में अस्थाई अध्यापक के रूप में कार्य किया जिसके सारे सबूत उनके द्वारा वाहन उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर तथा उनके द्वारा मानदेय लिए जाने की पुष्टि भी करते हैं जबकि अल्मोड़ा स्थित बीएड कॉलेज में डिग्री कर रहे मुकुल सती की उपस्थिति का कोई रजिस्टर नहीं मिल पाया तथा उन्हे डिग्री तो मिली लेकिन उनके वहां उपस्थित होकर अध्ययन करने का कोई प्रमाण नहीं मिला ।

प्रमाण मिलने भी कैसे हल्द्वानी से अल्मोड़ा तक 90 किलोमीटर की दूरी को कोई व्यक्ति हल्द्वानी में एच एन इंटर कॉलेज में क्लास लेने के बाद कैसे वहां 10:00 बजे पहुंच सकता है साथ ही B.Ed कॉलेज की ओर से यह कहा गया है कि उनकी उपस्थिति का कोई रजिस्टर यहां पर उपलब्ध नहीं है तथा इस मामले में रजिस्टर गायब होने की एफआईआर भी दर्ज कराया गई है जबकि एच एन इंटर कॉलेज के रजिस्टर और मानदेय प्राप्त करने की रसीदे स्पस्ट कर कह रही है कि मुकुल सती ने यहां पर वर्ष 1989 से 90 तक बच्चों को शिक्षक के तौर पर पढ़ाया है।

मुकुल की नियुक्ति की फाइल उत्तर प्रदेश से नहीं आने की बात भी जांच में अधिकारियों ने कई बार कही है अगर उसकी फाइल उत्तर प्रदेश में ही गुम हुई है तो उसे उत्तराखंड कैडर कैसे मिला और उसे बिना फाइल के सरकार कैसे प्रोनन्ति दे रही है।

वही इस संबंध में मुकुल सती से बार-बार अपना वर्जन देने को कहा गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया