लगातार क्यों आ रहे हैं भूकंप ?, स्टडी से हुआ चौंकाने वाला खुलासा, सामने आई वजह

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उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों से लगातार भूकंपों की खबरें आ रही हैं। बार-बार आ रहे भूकंपों के कारण वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है और इसी चिंता के बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पुराने भूकंपों के रिकॉर्ड का एनलिसिस कर वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है।

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फट रही है इंडियन टेक्टोनिक प्लेट
वैज्ञानिकों की एक स्टडी में ये बात कही गई है कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट फट रही हैं। वो तेजी से यूरेसियन प्लेट से नीचे जा रही है। जिस वजह से हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है और हिमालयन बेल्ट के आसपास के इलाकों में भूकंपों की संख्या भी बढ़ रही है।

बता दें कि ये वही हिमालय है जहां पर 8 किमी से ऊंची दुनिया की 14 चोटियों में से 10 चोटियां मौजूद हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे इलाकों वाला हिमालय तब बना था जब भारतीय प्लेट की टक्कर यूरेशियन प्लेट से हुई थी। पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत यानी क्रस्ट के सिकुड़ने से हिमालय के पहाड़ बने हैं।

जमीनी सतह से 100 किमी नीचे बन रही है दरार
अब स्टडी में पाया गया है कि जो इंडियन टेक्टोनिक प्लेट फट रही है उसकी दरार जमीनी सतह से 100 किलोमीटर नीचे बन रही है। जिसका असर धरती के केंद्र तक जाएगा और धरती का केंद्र हिमालय है। वैज्ञानिकों की मानें तो नीचे हो रही हलचल से भारतीय टेक्टोनिक प्लेट डिलैमिनेशन (Delamination) की प्रक्रिया से गुजर रही है। यानी दो हिस्सों में बंट रही है।

भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के फटने की वजह से जमीन के नीचे एक विचित्र भौगोलिक स्थिति देखने को मिल रही है। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का ऊपरी हिस्सा तिब्बत की जमीन को ऊपर रखने में मदद करता है लेकिन भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा धरती के मेंटल में धंस रहा है।

स्टडी में हुए हैरान कर देने वाले खुलासे
बता दें कि इस स्टडी को करने के लिए वैज्ञानिकों ने भारतीय और यूरेशियन प्लेट के टक्कर वाली जगह पर भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) भेजीं। फिर उनसे मिले डेटा से ये स्टडी की गई है। भूकंपीय तरंगों ने साफ बताया कि भारतीय प्लेट फट रही है। वैज्ञानिकों ने जब 3D S-Wave Receiver के जरिए हिमालय के नीचे की स्टडी की तो हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं।

तिब्बत के दक्षिण में 90 डिग्री नीचे लिथोस्फेयर-एस्थेनोस्फेयर बाउंड्री है, वहीं पर ये हलचल हो रही है।
यारलंग-जांग्बो दरार से 100 km दूर उत्तर की तरफ दरारें बननी शुरू हुई हैं, ये तिब्बत के नीचे हैं।
पूर्व की तरफ भारत के नीचे का मेंटल के पास ग्रैविटी के असर से ऊपरी हिस्सा सेपरेट हो रहा है।
यादोंग-गुलू और कोना-सांगरी रिफ्ट में हीलियम आइसोटोप की तीव्रता बढ़ी है. यानी धरती के केंद्र से हीलियम आ रहा है।
इस इलाके में लगातार भूकंप आ रहे हैं जिससे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और तेजी से टूट रही है