Who is Laddu Mutya Baba: कौन थे चमत्कारी “लड्डू मुट्या”, सोशल मीडिया पर क्यों वायरल हो रहे पंखे वाले बाबा
अगर आप इंस्टाग्राम चलाते है तो आपने पंखे को हाथ से रोकने वाले बाबा की रील तो जरूर देखी होगी। लोग इस बाबा को चमत्कारी मानते है। इस पंखे वाले बाबा की वीडियो के बैकग्राउंड में एक गाना बजता है। जिसको लड्डू मुट्या (Laddu Mutya) नाम दिया गया है। ऐसे में चलिए जानते है कि कौन है ये लड्डू मुट्या (Who is Laddu Mutya) और ये क्यों ट्रैड (Why Laddu Mutya is Trending?) हो रहा है। साथ ही हाथ से पंखा रोकने वाले बाबा के बारे में जानते है।
इंस्टा पर पंखे वाले बाबा का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। दिव्यांग बाबा अपने हाथों से फैन को रोकते हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग बाबा को गोद में उठाते है। इस दौरान बाबा अपने हाथ से पंखा रोकते है। बाबा के पंखा रोकने के इस टैलेंट को लोग चमतकारी बता रहे हैं। इस रील के बैकग्राउंड में एक गाना बजता है। जिसका नाम लड्डू मुट्या है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि इंस्टाग्राम रील्स में छाने वाले ये बाबा आखिर है कौन?
वायरल वीडियो वाले बाबा नहीं है असली लड्डू मुट्या
वायरल रील में दिखाई दे रहे बाबा असली लड्डू मुट्या नहीं है। सिर्फ इस गाने को रील में लगाया गया है। वीडियो में दिखाई दे रहा बाबा लड्डू मुठ्या’ या पंखा बाबा के मदिंर का पुजारी है। इन्हीं की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
कौन थे असली लड्डू मुठ्या? (Who is Laddu Mutya Baba)
ऐसे में आपके मन में सवाल होगा कि वायरल रील वाले बाबा असली लड्डू मुट्या नहीं है तो कौन है असली बाबा? चलिए आपको बताते है। असली लड्डू मुट्या बाबा की कहानी काफी दिलचस्प है। लड्डू मुठ्या बचपन से विकलांग थे। कहा जाता है कि शादी से बचने के लिए वो घर से भाग गए थे। भागकर वो कर्नाटक से बागलकोट आए। करीब 20 सालों तक वो इसी जगह पर रहे और भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे। इस दौरान उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया।
चमत्कारी बाबा लड्डू मुट्या
इन कठिनाइयों के बावजूद भी वो जहां भी जाते थे उसके पीछे-पीछे सुख समृद्धि आती थी। जिस भी घर में जाते वो जाते थे उस घर में आर्थिक लाभ होता था। जिस भी दुकान पर वो रुकते थे उसका व्यवसाय भी अच्छा चल जाता था। जिसके चलते लोगों ने बाबा के चमत्कार को माना। लोग उन्हें लड्डू मुट्या नाम से पुकारने लगे। धीरे-धीरे वो फेमस हो गए। लोग उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से जानने लगे। साल 1993 में उनकी मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद लोगों ने उनका बागलकोट में मंदिर बनवाया।
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