केदारनाथ के लिए हेली सेवा बुक करते समय आप हो सकते हैं ठगी का शिकार, ऐसे करें फर्जी वेबसाइट की पहचान

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केदारनाथ यात्रा के लिए अगर आप हेली सेवा बुक कर रहे हैं तो जरा यहां ध्यान दें। वरना आप भी ठगी का शिकार हो सकते हैं। केदारनाथ हेली सेवा बुकिंग में हो रही ठगी को लेकर एसटीएफ ने एडवाइजरी जारी की है।

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केदारनाथ हेली सेवा बुक करने के नाम पर कुछ लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। लोग नकली वेबसाइट की के माध्यम ले लोगों को ठग रहे हैं। अब तक ऐसे 30 से ज्यादा मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज किए गए हैं। अब मिली शिकायतों और सर्विलांस के आधार पर एसटीएफ 28 फर्जी वेबसाइट को बंद करा चुकी है।

एसटीएफ ने जारी की नई एडवाइजरी
एसटीएफ ने केदारनाथ हेली सेवा बुक करने के नाम पर ठगी रोकने के लिए नई एडवाइजरी जारी की है। एसटीएफ ने टिप्स को सोशल मीडिया पर साझा किया है।

एसटीएफ ने असली-नकली वेबसाइट करने के तरीके बताए हैं। अगर आपसे हेली सेवा बुकिंग वेबसाइट पर केवाईसी की जानकारी मांगी जाए तो ये वेबसाइट फर्जी हो सकती है। असली वेबसाइट पर इस तरह की कोई भी जानकारी नहीं मांगी जाती है।

इसके साथ ही वेबसाइट के टोल फ्री नंबर, यूआरएल एड्रेस, पेज पर मौजूद लिंक की पहचान के बारे में भी बताया गया है। जिस से आप वेबसाइट फर्जी है या नहीं इसकी पहचान कर सकते हैं।

पिछले साल कई लोगों के साथ हुई थी ठगी
पिछले साल चारधाम यात्रा के दैरान देशभर के दर्जनों लोगों से हेली बुकिंग के नाम पर ठगी हुई थी। जिसके बाद एसटीएफ और साइबर थाना पुलिस इस साल की शुरुआत से ही अभियान चला रही है। अब तक 28 फर्जी वेबसाइट बंद हो चुकी हैं जबकि साइबर थाने में एक मुकदमा भी दर्ज किया गया है।

फर्जी वेबसाइट की ऐसे करें पहचान
फर्जी वेबसाइट की ठगी से बचने के लिए आपको इसकी पहचान करनी आनी चाहिए। आप किसी फर्जी वेबसाइट की पहचान ऐसे कर सकते हैं।

ज्यादातर फर्जी वेबसाइट एक पेज की होती हैं। इनमें ऑप्शन चुनने पर भी दूसरा पेज नहीं खुलता। जबकि असली आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर बहुत से अलग-अलग पेज होते हैं।
फर्जी वेबसाइट पर कई सरकारी विभागों के लिंक दिए हुए होते हैं। लेकिन ये लिंक आपको इन विभागों की वेबसाइट पर नहीं ले जाते हैं। बल्कि ऐसे लिंक पर क्लिक करने पर एरर आ जाता है।
फर्जी वेबसाइट पर टोल फ्री नंबर की जगह एक या ज्यादा मोबाइल नंबर लिखे होते हैं। जो कि ठगों के होते हैं। जबकि टोल फ्री नंबर अलग होते हैं।
असली वेबसाइट पर मोबाइल नंबर नहीं होते हैं।
फर्जी वेबसाइट का यूआरएल एड्रेस चेक कर लें। इसमें कोई न कोई व्याकरण की गलती जरूर होती है। इसमें या तो विभाग की स्पेलिंग गलत लिखी होगी या फिर कुछ शब्द आगे पीछे कर लिखे गए होंगे।
वेबसाइट कब बनी है ये जरूर देखें। ये वेबसाइट में सबसे नीचे लिखा होता है। ज्यादातर वेबसाइट पर रिसेंटली क्रिएटेड यानी हाल ही में बनाई गई है लिखा होता है।