विस अपडेट-विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को डिमोट करने की तैयारी पर

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विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों की जांच कर रही समिति की रिपोर्ट ने एक और बड़ा खुलासा किया है। समिति ने नियुक्तियों में अहम भूमिका निभाने वाले विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिको भी संदिग्ध माना है। यही वजह है कि समिति ने उन्हे डिमोट करने का सुझाव दिया है।


दरअसल विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल की भूमिका पहले भी सवालों के घेरे में रही है। नियुक्तियों की अधिकतर फाइलें वो अपने पास ही रखते थे। उनपर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की भी खूब कृपा रही। यही वजह रही कि मुकेश सिंघल को ताबड़तोड़ प्रमोशन दिए गए। अब जब जांच हुई तो पूरा सच सामने आया है। पता चला है कि सचिव रहते हुए मुकेश सिंघल ने 32 पदों पर नियुक्ति के लिए भर्ती परीक्षा के आयोजन के लिए आरएमएस टेक्नो कंपनी को 59 लाख रुपये का भुगतान किया। ये वही आरएमएस टेक्नो कंपनी है जो UKSSSC पेपर लीक मामले से चर्चा में आई है। ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ 32 पदों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा के लिए 59 लाख का भुगतान किस आधार पर किया गया?

वहीं जांच समिति ने सचिव मुकेश सिंघल की नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर भी टिप्पणी की है। जांच समिति ने मुकेश सिंघल को मिले प्रमोशन को अवैध बताया है और इसके साथ ही मुकेश सिंघल को डिमोट करने की सिफारिश की है। आपको बता दें कि मुकेश सिंघल को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने एक ही दिन में दो प्रमोशन देकर आईएएस संवर्ग की वेतन श्रेणी में ला दिया था। वो लेवल 14 की पे स्केल तक पहुंच गए। जबकि वो विधानसभा में बतौर शोध अधिकारी नियुक्त हुए थे।


फिलहाल मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष ने मुकेश सिंघल को सस्पेंड जरूर कर दिया है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या महज इसी जांच समिति की रिपोर्ट से सबकुछ साफ हो गया या फिर किसी और सच का सामने आना अभी बाकी है? क्या बिना किसी बड़े राजनीतिक संरक्षण के मुकेश सिंघल इतना खेल खेलते रहे? क्या विधानसभा अध्यक्ष को इन सब खेलों और खिलाड़ी के बारे में नहीं पता था?