उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला मामला, हाईकोर्ट ने सरकार से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

Ad
Ad
ख़बर शेयर करें




उत्तराखंड में विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाला मामले में दायर अभिनव थापर की जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने सुनाई की है. जिसमें हाई कोर्ट ने सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के दिए आदेश दिए हैं.


बता दें विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता के विषय में देहरादून निवासी अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है. जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका में थापर ने मांग की थी था की उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर अभीतक गलत प्रकिया से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों, मुख्यमंत्रियों और भ्रष्टाचारियों से लूटा हुआ सरकारी धन वसूला जाए. इसके अलावा युवाओं की नौकरियों की लूट करवाने वाले “माननीयों” के खिलाफ सरकारी धन की रिकवरी व कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. इस मामले में कोर्ट ने सरकार से दिन हफ्ते में जवाब मांगा है.

थापर ने याचिका में कोर्ट को बताया था कि विधानसभा ने एक जांच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी. इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है. वहीं विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने के लिए व लूट मचाने वालों से सरकारी धन की रिकवरी के लिए थापर ने हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर की.

28 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए की 2021 से 2022 तक सभी विधानसभा बैकडोर भर्तियों को बिना नियमों के नियुक्त किया गया था. जिसमें कहा था कि छह फरवरी 2003 के कार्यवाही पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. लेकिन आज उत्तराखंड सरकार ने फिर कार्मिक सचिव को जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा है. याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 6 फरवरी के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, सरकारी धन के दुरुपयोग की वसूली, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है।

बेरोजगार युवाओं के लिए लड़ रहे लड़ाई : थापर
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में सभी तथ्यों सहित रिपोर्ट हाईकोर्ट के कार्यवाही के लिए दाखिल कर दी गई है। हम प्रदेश के 12 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलवाने की लड़ाई लड़ रहे है। याचिका में हमारे तथ्यों को 28 फरवरी 2024 को मान लिया गया है की राज्य निर्माण के साल 2000 से 2022 तक विधानसभा में बैकडोर में भ्रष्टाचार से नियुक्तियों करी गयी है। अतः हमारी मांग है कि गलत प्रक्रिया से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों व मुख्यमंत्रियों भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय और युवाओं की नौकरियों की लूट करवाने वाले “माननीयों” के खिलाफ सरकारी धन की रिकवरी व कानूनी कार्यवाही हो.

सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है, यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है. जनहित याचिका के हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा युक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड से भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर 28.02.2024 को सहमत हुए है।

6 फरवरी के 2023 शासनादेश के अनुरूप कार्यवाही के लिए निर्देश दिए थे, जिसमें “माननीयों से रिकवरी ” व अन्य प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है किंतु कई महीनों बाद भी राज्य सरकार का कोई जवाब नहीं आया, अतः आज हाईकोर्ट ने सरकार को कड़े निर्देश दिये कि कार्मिक सचिव को 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2024 को होगी।