भू कानून न लाना सरकारो की साजिश : एलएम भट्ट (ट्रेड यूनियन के नेता की सुने जुबानी देखे वीडियो)
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
उत्तराखंड में भू कानून को लेकर यहां का जनमानस लगातार मांग करता आ रहा है लेकिन यहां की सरकार उनकी इस मांग पर अनदेखी कर रहा है जिसका खामियाजा एक दिन यहां के शासकों को भुगतना पड़ेगा। अब तक की सरकारों ने उत्तराखंड की इस लोकतांत्रिक मांग को दरकिनार किया हुआ है इस संबंध में कई युवा आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं कई दिनों तक युवाओं ने जन जागरूकता चलाने के लिए धरना प्रदर्शन तथा हस्ताक्षर अभियान भी चलाया लेकिन सरकारों के एजेंडे में यह भू कानून अभी भी शामिल नहीं है। ।
साजिश के पीछे सरकार की क्या मंशा है इस संबंध में हमने ट्रेड यूनियन के नेता एवं आईटीआई विभाग के प्रधाना चार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए ले ललित मोहन भट्ट से विस्तार से बात की उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के कर्मचारियों ने अपनी नौकरियों को दांव में लगाकर स्थानी मुद्दों के साथ उत्तराखंड राज्य के लिए आंदोलन किया उनकी मांग थी ताकि स्थानीय स्तर की छोटी इकाइयों के अलावा यहां के संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल कर पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार पैदा किया जाए ताकि यहां के लोग अपने घर जमीन तथा माटी से जुड़े हुए रहे।
लेकिन यहां के उत्पादों को सरकारों ने भू माफियाओं के हाथों में बागडोर दे दी। यहां उत्पन्न होने वाला लीसा जिससे कई उत्पाद बनते हैं इन उत्पादों को स्थानीय स्तर पर ही छोटी इकाइयां लगाकर उनका दोहन किया जाना था लेकिन सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया इसके अलावा खड़िया से कई प्रोडक्ट बन रहे हैं इसका भी लाभ स्थानीस्तर के लोगों को नहीं मिल रहा है। कुछ गिने-चुने लोग वहां पर इस कार्य में लगे हुए हैं।
उन्होंने दोनों राष्ट्रीय दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि इन इन दलों ने यहां पर राज करके ऐसी योजनाएं संचालित की है जिससे यहां का नौजवान कुछ हजार रुपे की नौकरी के लिए पहाड़ से पलायन कर गया है और वहां पर भी वह स्थापित नहीं हो पा रहा है। कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन से जुड़कर ही स्थापित हो सकता है यह काम दोनों दलों ने नहीं किया और जो भी लोग थोड़ा कार्य करते थे उन्हें फ्री का राशन देकर अकर्मण्य बना कर रख दिया है।
इसके अलावा सरकारों ने स्थानीय स्तर पर कृषि को किनारे रख दिया है साजिश के तहत वहां जंगली जानवर छोड़े गए हैं जो वहां के स्थानीय लोगों को अब घरों पर भी रहने नहीं दे रहे हैं।
माना यह जा रहा है कि यदि भू कानून समय से लागू कर दिया जाता तो बाहरी क्षेत्रों से आने वाला बिल्डर इसे खरीद नहीं पाता और ना ही स्थानीय स्तर पर अपनी जमीनों को बेचने के लिए मजबूर किया जाता। ललित मोहन पांडे ने बताया कि क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल ने राज्य की लड़ाई लड़ी और उसमें स्थानीय लोगों के अलावा कर्मचारियों ने योगदान दिया उत्तराखंड के कर्मचारियों का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है यह ऐसा एकमात्र क्षेत्र है जहां के कर्मचारियों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन किया।
उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस ऐसे लोगों को राज्य आंदोलनकारियों का दर्जा दे दिया है जो कि वास्तविक रूप से राज्य आंदोलनकारी नहीं रहे उनमें से कई ऐसे लोग हैं जो किसी झूठे मुकदमे चोरी चकारी ओबीसी आंदोलन मैं जेल में गए थे ऐसे लोगों के जेल में होने के प्रमाण पर ही उन्हें राज्य आंदोलनकारी घोषित कर दिया और वास्तविक रूप से जिन लोगों ने आंदोलन किया है वह अभी भी वैसे ही है। उन्होंने कहा कि पंतनगर किच्छा काशीपुर जसपुर रुद्रपुर समीर कई ऐसे स्थान हैं जहां के व्यापारियों ने एक भी दिन अपनी दुकानें बंद नहीं की और राज्य का भरपूर लाभ है उठा रहे हैं।
ललित मोहन भट्ट ने कहा कि उन्होंने मोटहल्दु में 39 दिन तक आंदोलन किया जिस आंदोलन में वर्तमान में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत और एमएलसी रहे तत्कालीन नवीन तिवारी भी उन्हें समर्थन देने के लिए पहुंचे। भू कानून को लागू करना इसलिए आवश्यक है कि अभी भी उत्तराखंड की बची हुई जमीन को स्थानीय लोगों के हाथों से ना जाने दिया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां नौकरी नहीं होने की वजह से रास्तों से भटक न जाएं और अपनी जमीन से जुड़कर तरक्की करें।
*सच की तोप ने भू- कानून के लिए जन जागरूकता चलाने का निर्णय लिया है। लगातार लोगो से संपर्क कर इस अभियान को चलाकर इस ज्वलंत मुद्दे को सरकार के समक्ष रखा जा सकेगा।*
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