उत्तराखंड की अनोखी राखी : ब्रह्मकमल और भोजपत्र से बनी राखियां हैं बेहद खास, रक्षाबंधन पर भाई को आएगी पसंद
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है। इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती है जिसके लिए वो कुछ समय पहले से ही खरीददारी करती हैं। यूं तो आजकल मार्किट में कई तरह की राखियां उपलब्ध हैं लेकिन उत्तराखंड की ब्रह्मकमल और भोजपत्र से बनी नेचुरल राखियां आपके भाई को बहुत पसंद आएंगी। उत्तराखंड की महिलाएं राज्यपुष्प ब्रह्मकमल, देववृक्ष भोजपत्र और दिव्य सुगंध से युक्त केदारपाती से राखियां बना रही हैं। जो लोगों को बहुत पसंद आ रही हैं।
ब्रह्मकमल और भोजपत्र से बनी राखियां हैं बेहद खास
उत्तरकाशी जिले की स्वयं सहायता समूहों की महिलाएंं ब्रह्मकमल, देववृक्ष भोजपत्र और दिव्य सुगंध से युक्त केदारपाती से राखी बना रही हैं। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने इन दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों को राखी की डोर में जोड़कर इस बार रक्षाबंधन (raksha bandhan) पर नई तरह की राखियां बनाई हैं।
लोगों को पसंद आ रही हैं ये नेचुरल राखियां
ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से सजी इन अनूठी राखियों को लेकर आम लोगों में काफी आकर्षण देखा जा रहा है। खुद जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट और मुख्य विकास अधिकारी जय किशन ने इन अनूठी राखी (rakhi) को खरीद कर महिला समूहों के प्रयासों को न केवल सराहा बल्कि उन्हें विणपन के लिए यात्रा मार्ग पर बेहतर सुविधा और स्थान उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया है।
उत्तराखंड की अनोखी राखियों को महिलाएं कर रहीं तैयार
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री सशक्त बहना योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा ‘रीप‘ के द्वारा जिले के स्वयं सहायता समूहों की सदस्य महिलाओं को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए जिले में चार हजार चार सौ अड़तालीस समूहों का गठन किया गया है। इनमें से कुछ समूह सक्रियता से कार्य कर अभिनव पहल करने में जुटे हुए हैं।
ऐसे ही समूहों में सीमांत गांव धराली की सोमेश्वर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस बार रक्षा बंधन पर्व को देखते हुए ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से युक्त राखियां तैयार की हैं। महिलाओं आज पहली बार कलक्ट्रेट परिसर में स्थापित स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शन व बिक्री के लिए प्रस्तुत किया। इसके साथ ही मॉं दुर्गा स्वयं सहायता समूह नेताला की महिलाओं द्वारा निर्मित ‘गंगा डॉल‘ राखी भी स्टॉल पर उपलब्ध कराई गई।
हिमालयी वनस्पतियों से बनी राखियां बाजार में पहली बार
हिमालयी वनस्पतियों तथा स्थानीय रेशों से बनी इन पर्यावरण हितैषी राखियों को को लेकर आम लोगों में काफी उत्सुकता देखी जा रही है। पहले ही दिन काफी लोगों ने इन राखियों की खरीद कर पर्यावरण व परंपरा के प्रति अपने अनुराग को प्रदर्शित करने के साथ ही महिला समूहों की अभिनव पहल को जमकर सराहा।
बता दें कि जिले की महिला समूहों ने पिछले साल से ‘गंगा डॉल‘ राखी बनाने की शुरूआत की थी। इससे पहले पिरूल की राखियां बनाकर भी महिला समूहों ने की वाहवाही बटोरी थी। सरकारी समर्थन व सहयोग से महिला समूहों के ये उत्पाद अब ऑनलाईन प्लेटफॉर्म्स पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
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