#Tigeress मजबूरी -ग्रामीण तेंदुए के डर से सहमे हुए हैं वहीं विभाग ट्रेंकुलाइजर करने की इजाजत का कर रहा है इंतजार (देखें बाघिन का वीडियो)

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हल्द्वानी विकासखंड अंतर्गत ग्राम रामडी जसवा में एक मादा तेंदुआ अपने दो शावकों के साथ घूम रही है जिससे ग्रामीण भयभीत हैं और घर से बाहर निकलने मैं उनकी परेशानी साफ देखी जा सकती है ।

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वन विभाग को सूचना दे दी गई है लेकिन वन विभाग इस इस मादा तेंदुए को ट्रेंकुलाइज करने के लिए विभाग से इजाजत मांग रहा है लेकिन 5 दिन गुजरने के बावजूद भी विभाग की ओर से कोई परमिशन नहीं आई है तथा क्षेत्र के लोग डर के माहौल में जी रहे हैं मादा तेंदुआ अपने दो शावकों के साथ यहां डेरा डाले हुए हैं

ग्रामीण इलाकों में तेंदुए का भय लोगों के दिलो दिमाग से बाहर निकलने का नाम नही ले रहा है। लोग रात को बाहर निकलने से भी डर रहे हैं। मादा तेंदुआ अपने 2 शावकों के साथ खेतो एवं पेड़ो में डेरा डाले हुए हैं।

ताज़ा मामला हल्द्वानी रामडी जसवा का है जहां एक मादा तेंदुआ अपने दो शावकों के साथ सोयाबीन और गन्ने के खेत में खेलते हुए दिखे, जिसके बाद से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

बताया जा रहा है कि यह फार्म उत्तराखंड सरकार में पूर्व दर्जा मंत्री तारा दत्त पाण्डेय का है।

उनके पुत्र प्रकाश पांडेय ने वन विभाग को तेंदुए की सूचना दी, जिसके बाद मौके पर वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरा लगा दिया, लेकिन तेंदुआ अपने शावकों के साथ खेलने में इतना व्यस्त है की वह उन खेतों और आसपास के पेड़ो के अलावा एक परिधि से बाहर नहीं जा रहा है,

यही वजह है की वन विभाग पांच दिन से अभी तक तेंदुए को पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाया है। प्रकाश पांडेय ने बताया की मादा तेंदुआ दिन में सोयाबीन और गन्ने के खेत में अपने शावकों के साथ घूमती दिख रही है,
जिसकी वजह से गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है, कस्तकार अपने खेतों में काम करने नहीं जा पा रहे हैं, गांव की महिलाएं अपने मवेसियों के लिए चारा तक नहीं ला पा रही हैं, बच्चों को भी अभिवावक सुरक्षा के बीच स्कूल छोड़ रहे हैं। प्रकाश पांडेय द्वारा भेजी गई तस्वीर में आप देख सकते हैं मादा तेंदुआ पेड़ में बैठकर अपने शावकों पर नज़र बनाए हुए है।

रोजाना पेड़ पर तेंदुए को देख ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ, फिलहाल ग्रामीणों की वन विभाग से यही मांग है कि वह मादा तेंदुए को दोनों शावकों के साथ जल्द से जल्द पकड़े जिससे ग्रामीणों को तेंदुए के भय से राहत मिले और कस्तकार अपने खेतों में काम करने जा सकें।