उत्तराखंड में यहां मिले हजारों साल पुरानी सभ्यता के अवशेष, ASI जल्द करेगी खुदाई
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सैकड़ों साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। जल्द ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्तराखंड के अल्मोडा जिले में रामगंगा नदी के तट पर स्थित गेवाड घाटी में इसको ढूंढने के लिए खुदाई करेगी।
अल्मोड़ा में मिले लुप्त शहर के निशान
उत्तराखंड के अल्मोडा जिले में रामगंगा नदी के तट पर स्थित गेवाड घाटी में खुदाई की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक यहां मिट्टी के नीचे एक प्राचीन शहर दबा हो सकता है। इस शहर को खोजने के लिए एएसआई विशेषज्ञों की एक टीम पहले ही घाटी का सर्वेक्षण कर चुकी है। इस खोई हुई बस्ती का पता लगाने के लिए जल्द ही कवायद शुरू हो सकती है।
गेवाड घाटी के नीचे एक प्राचीन शहर था – एएसआई
देहरादून सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज सक्सेना का कहना है कि “हमारी सर्वेक्षण रिपोर्ट काफी ठोस है। अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली घाटी के आगे के अध्ययन के लिए एक उन्नत सर्वेक्षण चल किया जा रहा है। उत्खनन के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।”
उनका कहना है कि रामगंगा के साथ 10 किमी तक फैले इस क्षेत्र में समतल भूमि शामिल है जिसमें 9वीं और 10वीं शताब्दी के कई मंदिर हैं, जो इनका निर्माण कत्यूरी शासकों द्वारा किया गया था। सदियों पुराने मंदिरों के समूह की उपस्थिति ये दर्शाती है कि मंदिरों के निर्माण से पहले भी वहां कोई सभ्यता रही होगी
इलाके से मिले हैं कई मंदिर
आपको बता दें कि रामगंगा नदी के तट पर स्थित गेवाड घाटी के इस इलाके में पहले भी खुदाई की थी। साल 1990 में भी यहां पर एक सर्वे किया गया था। इसके बाद साल 2017 में भी यहां पर सर्वे के बाद खुदाई की गई। जिसमें छोटे-छोटे शिव मंदिर मिले हैं। जिनकी ऊंचाई एक से दो फीट के लगभग है। खदाई में मिले इन मंदिरों के 900 से 1000 साल पुराने होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
खुदाई के दौरान मिले कक्ष और बड़े जार समेत कई सामान
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर राकेश चंद्र भट्ट जो कि यहां पर 1993 में सर्वेक्षण करने वाली टीम का हिस्सा थे उन्होंने बताया कि खुदाई के दौरान उन्हें माध्यमिक दफनियां, कक्ष और बड़े जार मिले। जिनमें मृतकों के अवशेष रखे गए थे।
इसके साथ ही उन्हें चित्रित मिट्टी के बर्तन और कटोरे भी मिले थे। जो मेरठ के हस्तिनापुर और बरेली के अहिच्छत्र में गंगा के दोआब में पाए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों के समान हैं। जो पहली-पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व के हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें वहां पर कोई मानव बस्ती नहीं मिली थी। लेकिन उनके निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि एक खोया हुआ शहर खोजे जाने का इंतजार कर रहा है।
सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -
👉 सच की तोप व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें