पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के वो 5 फैसले जिसने बदली देश की तस्वीर, जानें यहां
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार 26 दिसंबर को देर रात 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। वे भारत के ऐसे नेता थे जिन्होनें देश की राजनीति को न सिर्फ नई दिशा दी, बल्कि आम लोगों की जिंदगी में बड़े बदलाव लाने वाले अधिकारों की नींव भी रखी। दो बार अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होनें ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिए जिनकी गूंज आज भी सुनाई देती है। 1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, तो उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल ने भारत के हर नागरिक को बुनियादी अधिकार देकर सामाजिक सुरक्षा का एक नया अध्याय लिखा। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का ही कार्यकाल था जब देश को शिक्षा, भोजन, नौकरी और सूचना जैसे अधिकारों की कानूनी मान्यता मिली। शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, मनरेगा के तहत रोजगार, भोजन का अधिकार जैसे कानूनों ने करोडों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
मनरेगा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय गारंटी अधिनियम मनरेगा 2005 मे लागू हुई। इस योजना ने गरीब तबके के लिए रोजगार का ऐसा मजबूत सहारा दिया, जिसने न सिर्फ आमदनी बढ़ाई बल्कि गांवों में नए अवसरों का रास्ता भी खोला। 100 दिन की रोजगार गारंटी वाली ये योजना हर परिवार के लिए उम्मीद की किरण बन गई। इस योजना ने महिलाओं को भी काम देकर आत्मनिर्भर बनाया। लॉकडाउन में लाखों प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटे और उनके लिए मनरेगा ही जीवनरेखा बनी।
RTI: जनता के हाथों में पारदर्शिता की ताकत
12 अक्टूबर 2005 को भारत में एक ऐसा कानून लागू हुआ जिसने शासन-प्रशासन की तस्वीर बदल कर रख दी। सूचना का अधिकार अधिनियम। यह कानून आम जनता के लिए एक ऐसा हथियार साबित हुआ, जिसने पारदर्शिता और जवाबदेही की नई इबादत लिखी। इस कानून ने हर नागरिक को यह अधिकार दिया कि वे सरकारी प्राधिकरणों से किसी भी तरह की जानकारी मांग सकें। सरकारी कामकाज की परतें, जो कभी आम जनता की पहुंच से बाहर थीं, अब उनके सामने खुलने लगीं। इसे भ्रष्टाचार से लड़ने का सशक्त माध्यम माना गया। कुछ ही सालों में यह कानून आम आदमी की आवाज बन गया।
राइट टू एजुकेशन RTE
1 अप्रैल 2010 को राइट टू एजुकेशन कानून लागू हुआ। डॉ मनमोहन सिंह ने इस मौके पर कहा था, शिक्षा सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि हर बच्चे का हक है। इस कानून के तहत हर छह से चौदह साल के बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया।
राइट टू फूड एक्ट- हर थाली में भोजन की गारंटी
2013 में पारित हुआ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम मनमोहन सिंह सरकारी की एक ऐतिहासिक पहल थी। इसका मकसद देश के हर जरुरतमंद व्यक्ति तक पर्याप्त पोषण से भरपूर भोजन पहुंचाना। इस कानून के तहत करीब 67 प्रतिशत आबादी को रियायती दरों पर अनाज मुहैया कराया गया।
कानून के अनुसार, गरीब और वंचित परिवारों को प्रति व्यक्ति हर महीने 5 किलो गेंहू, चावल या मोटा अनाज दिया जाता है। इसकी कीमत भी नाममात्र है- जैसे चावल सिर्फ 3 रुपये प्रति किलो और गेंहू 2 रुपये प्रति किलो। ये पहल इस तरह भी खास थी कि इसमें परिवार की मुखिया महिला को बनाया गया जिससे महिलाएं सशक्त हुईं।
भूमि अधिग्रहण कानून
इस कानून के जरिए, अगर किसी की जमीन विकास कार्यों के लिए ली जाती है, तो उन्हें इसका उचित मुआवजा दिया जाएगा। इससे किसानों और जमीन मालिकों के अधिकारों की रक्षा होती है
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