क्या इस बार एमबीपीजी में एबीवीपी का चमेकगा सूरज !

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मजबूत संगठन के दावे के बीच पिछले 7 चुनाव में सिर्फ दो ही अध्यक्ष बना पाया है एबीवीपी

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पिछले चुनाव में निर्दलीय के हाथों मात खाने के बाद सतर्क हो गया है संगठन


हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
पूरे प्रदेश भर में राजकीय महाविद्यालयो में चुनावो की डुगडुगी बज चुकी है सितंबर के दूसरे पखवाड़े तक चुनाव पूरे करवाए जाने की तैयारियां भी अंदर खाने चल रही हैं।

कुमाऊं के सबसे बड़े इस डिग्री कॉलेज में पिछली बार की हार से तमतमाए संगठन ने इस बार सूरज सिंह रमोला पर दांव लगाने का निर्णय लिया है हालांकि अभी आधिकारिक रूप से उनके नाम की घोषणा नहीं हुई है लेकिन यह लगभग तय माना जा रहा है कि संगठन इस बार सूरज सिंह रमोला पर दाव लगाकर अध्यक्ष की कुर्सी अपने कब्जे में करना चाह रहा है।


सूरज सिंह रमोला पिछले 6-7 वर्षों से लगातार कॉलेज में सक्रिय हैं संगठन के कई पदों पर रहकर वह छात्र-छात्राओं के बीच अच्छी तरह से जाना पहचाना वाला चेहरा है।

सत्ताधारी दल का छात्र संगठन होने के चलते पिछली बार हार से संगठन की किरकिरी हुई थी तथा संगठन की ही एक छात्रा ने प्रतिदिन दी एनएसयूआई समेत एबीवीपी को पछाड़कर अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया था।


बीते 7 चुनाव की बात करें तो संगठन के सिर्फ कुलदीप कुलयाल और गौरव कोरंगा ही अध्यक्ष पद पर जीत पाए हैं। सब की शेष पांच चुनाव में एक बार एन यू एस आई तथा चार बार निर्दलीयों ने अध्यक्ष पद पर कब्जा किया है।

निर्दलीय जीतने की परंपरा और राष्ट्रीय संगठनों को धूल चटाने की शुरुआत वर्ष 2014-15 में हुई। जब संजय रावत ने निर्दलीय के तौर पर पर्चा भर कर एबीवीपी और एनएसयूआई को हराकर अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद अगले चुनाव में एनएसयूआई के देवेंद्र नेगी जीते जिनकी जीत में भी संजय रावत की बड़ी भूमिका रही। संजय रावत पहले एबीवीपी के ही सक्रिय कार्यकर्ता रहे थे लेकिन आम चुनाव में उनके स्थान पर दूसरे को टिकट देकर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई गई जिसका बदला उन्होंने निर्दलीय चुनाव में उतर कर जीत हासिल करके लिया ।

इसके अलावा अन्य निर्दलीय अध्यक्षों में नीरज मेहरा, राहुल धामी और अब एकमात्र छात्रा के रूप में रश्मि लमगड़िया का नाम आया है।रश्मि ने भी एबीवीपी को पछाड़कर पहली छात्रा अध्यक्षा का गौरव हासिल किया है।


सत्ताधारी दल का संगठन होने के चलते इस बार संगठन ने किसी भी कीमत में अध्यक्ष पद पर कब्जा करने की तैयारियां शुरू कर दी है इसके लिए कर्मठ एवं छात्र छात्राओं के बीच पिछले 7 वर्षों से सक्रिय रहे सूरज सिंह रमोला पर दाँव खेलने का निर्णय किया है सूरज पूर्व में नगर मंत्री, जिला संयोजक और वर्तमान में विभाग संयोजक के पदों पर रहकर छात्र-छात्राओं के बीच लगातार काम कर चुका है तथा पिछले 7 वर्षों में जिस तरह से वह कॉलेज में सक्रिय है उससे सभी छात्र छात्राएं उससे अच्छी तरह से वाकिफ है लगातार सक्रिय होने की वजह से वह छात्र-छात्राओं के कार्यों के लिए हमेशा उपलब्ध रहता है।

वही प्रतिद्वंदी छात्र संगठन एनएसयूआई की ओर से सुजल सचिन का नाम सामने आ रहा है लेकिन अभी तक संगठन की ओर से उसके नाम पर हरी झंडी नहीं दिखाई दे रही है जबकि निर्दलीय के तौर पर संजय जोशी और करण बिष्ट लगातार छात्र-छात्राओं के बीच जनसंपर्क में जुटे हुए हैं सूरज सिंह रमोला जिस तरह से छात्र छात्राओं के संपर्क में रहे हैं और संगठन ने उन्हें लगभग हरी झंडी दे दी है उससे वह बढ़त बनाते हुए दिख रहे हैं

जब निर्दलीय चुनाव लडाने के माहिर रहे संजय रावत एवं उनके समर्थकों ने अभी किसी के नाम पर हामी नहीं भरी है हालांकि संजय जोशी और करण बिष्ट उनसे समर्थन मांगने के लिए संपर्क बनाए हुए हैं कुल मिलाकर यह अभी तक सामने आ रहा है कि एनएसयूआई ने अपने कैंडिडेट को हरी झंडी नहीं दी है वहीं एबीवीपी ने अपने कैंडिडेट को लगभग तय कर लिया है जिससे वह छात्र छात्राओं के बीच अपनी बात रखते हुए बढ़त बना रहा है वहीं निर्दलीय भी आपस में यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि दोनों में से कौन किसे समर्थन देकर चुनाव लड़वायेगा। जिस तरह का माहौल इस बार एबीवीपी के पक्ष में दिखाई दे रहा है जिसकी वजह है कि सूरज सिंह रमोला छात्र-छात्राओं के बीच लगातार जन संपर्क बनाए हुए हैं इसी दम पर एमबीपीजी कॉलेज में एबीवीपी का सूरज चमक जाए तो कोई अतिशयोक्ति न होगी!