कांग्रेस पर टिकट बेचने का आरोप लगाने वाली इस कांग्रेस नेत्री को विपक्ष ने बनायाअपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार

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न्यू दिल्ली एसकेटी

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राजस्थान उत्तराखंड गोवा और गुजरात राज्यों के राज्यपाल का प्रभार संभाल चुकी कांग्रेस की इस वयोवृद्ध महिला नेत्री को विपक्ष ने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है.

राजीव गांधी नरसिम्हा राव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मार्गेट अल्वा चार बार कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए मनोनीत हुई. कर्नाटक से संबंध रखने वाली महिला नेत्रिका नेहरू गांधी परिवार से नजदीकी रिश्ता रहा है. 1991 में कांग्रेस की टिकट बेचने का आरोप लगाने के बाद मार्गेट अल्वा पार्टी की ओर से उस समय महासचिव थी जिन्हें उनके पद से हटा दिया गया.

1999 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने से पूर्व श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा 1974 से निरंतर चार बार छः वर्ष की अवधि के लिए राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुईं।

1984 की राजीव गाँधी सरकार में श्रीमती आल्वा को संसदीय मामलों का केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाया गया। बाद में आप मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री के दायित्व का निर्वाह किया। 1991 में कार्मिक, पेंशन, जन परिवेदना तथा प्रशासनिक सुधार (प्रधानमंत्री से सम्बद्ध) की केंद्रीय राज्य मंत्री बनायी गयीं, जहाँ आपने शासन को जनसामान्य तक पहुंचाने और प्रशासन के विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को आरंभ किया। कुछ समय के लिए विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री के रूप में सेवाएँ दीं।

प्रतिष्ठित सांसद के रूप में 30 वर्षों की अवधि में भारतीय संसद की बहुत महत्त्वपूर्ण समितियों यथा सार्वजनिक निकायों की समिति, (सी.ओ.पी.यू.), लोक लेखा समिति, (पी.ए.सी.),विदेश मामलों की स्थायी समिति, पर्यटन और यातायात, विज्ञान एवं तकनीकी, पर्यावरण व वन तथा महिला अधिकारों की चार महत्त्वपूर्ण समितियाँ- जैसे दहेज निषेध अधिनियम (संशोधन) समिति, विवाह विधि (संशोधन) समिति, समान पारिश्रमिक समीक्षा समिति तथा स्थानीय निकायों में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण हेतु 84वें संविधान संशोधन प्रस्ताव के लिए बनी संयुक्त चयन समिति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1999 से 2004 तक महिला सशक्तीकरण की संसदीय समिति की सभापति रहीं।

श्रीमती आल्वा 1986 में यूनिसेफ द्वारा दक्षिण एशिया के बच्चों पर हुई प्रथम कांफ्रेंस तथा महिला विकास पर हुई सार्क देशों की मंत्री स्तर की बैठक की सभापति निर्वाचित हुईं जिसमें बालिकाओं की स्थिति सुधार पर चिन्तन हुआ। परिणामस्वरूप  सार्क देशों के शासनाध्यक्षोें ने 1987 को ‘बालिका वर्ष‘ घोषित किया। 1989 में भारत सरकार ने महिलाओं के विकास की विस्तृत रणनीति की भावी योजना का मसौदा तैयार करने के मूल समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह मसौदा आज भी केन्द्र और राज्य सरकारों के नीति निर्धारण का मार्गदर्शक बना हुआ है। 

महिला दशक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सभी महत्त्वपूर्ण सम्मेलनों में श्रीमती आल्वा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 1986 में शांति के लिए विश्व महिला सांसदों के प्रतिनिधिमंडल  की अध्यक्ष बनीं। ऐतिहासिक ‘रीगन-गोर्बोचोव समिट‘ की वांशिगटन बैठक के प्रतिनिधिमंडल की सदस्य रही हैं। महिलाओं का निर्णय लेने में योगदान तथा महिलाओं के विरुद्ध हिंसा पर महिला दशक के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञ दल में संयुक्त राष्ट्र के महिला प्रभाग ने आपको 1989 में आमंत्रित किया। 1992 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सिओल में महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा के विरुद्ध बैठक में ESCAPE का अध्यक्ष चुना गया तथा 1994 में ESCAPE के द्वारा बैंकाक में आयोजित बैठक में प्रख्यात व्यक्तित्व के रूप में आमंत्रित किया गया। 1976 में संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा में राष्ट्रीय प्रतिनिधिमण्डल की सदस्य रहीं। 1997 में अन्तरराष्ट्रीय विकास समिति (रोम) के संचालन परिषद कार्यकारणी मेें तीन वर्ष तक निर्वाचित सदस्य रहीं। काहिरा कांफ्रेंस की पालना में बने जनसंख्या नीतियों के निर्माण की पुनश्चर्या के लिए UNFPA के विशेष सलाह-समूह की सदस्य रही हैं। 1997 में कैमरून के राष्ट्रीय चुनावों में काॅमनवैल्थ के पर्यवेक्षक दल में रही हैं। संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं की प्रास्थिति पर बने आयोग की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 1999 में यूनिसेफ द्वारा बाल अधिकारों की संहिता के मसौदे को तैयार करने के लिए बनाए गए विशेषज्ञ समूह में सेवाएँ दी हैं। बालश्रम की राष्ट्रीय समिति तथा नेशनल चिल्ड्रन बोर्ड की आप उप-सभापति रही हैं।

वह राजीव गांधी,पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल के दौरान कई देशों में जाने वाले प्रतिनिधिमंडल सभी सदस्य भी रहे