साढ़े चार साल के भीतर बदले 7 HOFF, 8वें की भी जल्द होगी छुट्टी, शुरू से ही चर्चाओं में है ये कुर्सी

ख़बर शेयर करें
Forest department

उत्तराखंड वन विभाग में प्रमुख वन संरक्षक (HOFF) की कुर्सी सबसे ज्यादा चर्चाओं में रही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले साढ़े चार साल में सातवीं बार इस कुर्सी पर बदलाव हुआ है.

उत्तराखंड वन विभाग में HOFF की कुर्सी पर फिर बढ़ा विवाद

बता दें प्रमुख वन संरक्षक इस विवाद की शुरुआत 2021 से हुई जो लगातार बनी हुई है. वहीं इस कुर्सी में अब नया सस्पेंस धनंजय मोहन के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) से शुरू हुआ है. हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि धनंजय मोहन ने वीआरएस किया लिया है. लेकिन इस पूरे मामले पर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है.

ये भी पढ़ें : उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया धनंजय मोहन ने अचानक लिया VRS, चर्चाओं का बाजार गर्म

साढ़े चार साल के भीतर बदले 7 HOFF

उत्तराखंड वन विभाग में पिछले साढ़े चार साल के भीतर ही 7 प्रमुख वन संरक्षक हॉफ बदल चुके हैं. विभाग में ये इस समयावधि में 8वें हॉफ हैं. वन विभाग के नए मुखिया समीर सिन्हा को अब यह जिम्मेदारी दी गई है. चौकाने वाली बात ये है कि समीर सिन्हा को भी इस कुर्सी पर बैठने के बाद काम करने का कम ही वक्त मिल पाएगा.

8वें हॉफ समीर सिन्हा भी जल्द होंगे रिटायर

दरअसल समीर सिन्हा 30 नवंबर को सेवानिवृत्ति (HOFF Sameer Sinha Retirement) होंगे. लिहाजा, उन्हें इस पद पर करीब 5 महीने का ही वक्त मिला है. ऐसे में पिछले साढ़े चार साल में जिस तरीके से बड़ा फेरबदल इस कुर्सी पर हुआ उसके बाद कांग्रेस ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

कांग्रेस ने सरकार पर लगाए अधिकारी को प्रताड़ित करने के आरोप

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने समीर सिन्हा के जल्द सेवानिवृत्ति को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया है. माहरा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार ने एक खास व्यक्ति को इस पद पर बैठाने के लिए पहले से ही योजना बना रखी थी. जिसके कारण पूर्व हॉफ धनंजय को कुर्सी से हटाने के लिए प्रताड़ित किया गया. जिसके चलते मजबूरन उन्हें वीआरएस लेना पड़ा.

भट्ट ने दी सफाई

वहीं इस पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का बयान भी सामने आया है. भट्ट ने कहा कि सरकार अधिकारियों और कर्मचारियों की नियमावली को ध्यान में रखते हुए ही कार्य करती है. उन्होंने कहा कि पूरी सरकार द्वारा पारदर्शिता के साथ अधिकारियों को पदोन्नति किया जाता है. जितना वरिष्ठ अधिकारी होता है उसके सेवानिवृत्ति की अवधि भी कम होती है