इन दस जिलों से कुछ ही महीनों में हुआ इतना पलायन, जानकर रहे जाओगे हैरान

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उत्तराखंड को बने पूरे 22 साल हो गए लेकिन राज्य में पलायन एक ऐसी समस्या है जिसका आज तक कोई समाधान नहीं निकला। 22 साल में चाहे किसी भी दल की सरकार आई लेकिन पलायन को लेकर किसे ने भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड के दस पहाड़ी जनपदों से बीते नौ महीने में 58 हजार से अधिक मतदात अपने विधानसभा क्षेत्रों से पलायन कर चुके हैं। निर्वाचन कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों में 9 महीने में इन दस पहाड़ी जनपदों से मतदाता बनने, नाम जोड़ने, नाम हटाने और पते में परिवर्तन आदि को लेकर ये आंकड़ा सामने आया है। वहीं विधानसभा की मतदाता सूची से हटने और पता बदने सहित पहाड़ से पलायन होना पूरी तरह दर्शा रहा है।


मीडिया के हवाले से जारी आंकड़ों के अनुसार गौर करने वाली बात है कि इनमें से 32 हजार 997 नाम ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो गई है। जबकि 15 हजार 772 नाम ऐसे थे जो कि दोहराये गए थे। वहीं एक लाख 20 हजार 760 नाम ऐसे सामने आए हैं जो कि अपनी विधानसभा से पलायन कर गए हैं। बता दें कि राजधानी देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर मैदानी और घनी आबादी वाले जिलों से कुल 62 हजार 658 मतदाताओं ने पलायन कर चुके हैं, जबकि बाकी दस पर्वतीय जिलों से 58 हजार 102 मतदाताओं ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है।


इस मामले में संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप शाह मुताबिक यह आंकड़ा अपनी विधानसभा छोड़कर जाने वालों का है। इनमें एक विधानसभा से दूसरी विधानसभा या पर्वतीय जिलों से मैदानी जिलों या दूसरे राज्यों के पलायन वाले शामिल हो सकते हैं।


गौरतलब है कि पलायन को लेकर जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पहाड़ी जिलों में मतदाताओं के पलायन के मामले में 11,883 संख्या के साथ नैनीताल पहले, 11,474 के साथ अल्मोड़ा दूसरे और 11,093 के साथ पौड़ी जिला तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा पिथौरागढ़ से 8388, टिहरी से 6120, चमोली से 3852, रुद्रप्रयाग से 1910, बागेश्वर से 1883, चंपावत से 1017 और उत्तरकाशी से 482 मतदाताओं ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है। वहीं, मैदानी जिलों में 35 हजार 512 मतदाताओं के साथ ऊधमसिंह नगर पहले, 14 हजार 399 के साथ हरिद्वार दूसरे और 12 हजार 747 के साथ देहरादून तीसरे स्थान पर है।


इन विधानसभाओं में हैं मानकों से अधिक मतदाता
निर्वाचन आयोग ने किसी भी विधानसभा की सूची में अधिकतम चार प्रतिशत मतदाता जुड़ने और अधिकतम दो प्रतिशत मतदाता हटाए जाने का मानक बनाया हुआ है। उत्तराखंड के 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें दो प्रतिशत से अधिक मतदाताओं के नाम हटे हैं। इनमें सात विधानसभा क्षेत्र पहाड़ी जनपदों के हैं।

पहाड़ी जनपदों की चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से 2.17 प्रतिशत, पिथौरागढ़ से 2.32 प्रतिशत, प्रतापनगर से 2.34 प्रतिशत, डीडीहाट विधानसभा से 3.51 प्रतिशत, लैंसडौन से 3.54 प्रतिशत, अल्मोड़ा से 3.80 प्रतिशत और रामनगर से 4.16 प्रतिशत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। जबकि मैदानी जनपदों में, खटीमा सीट से 2.01 प्रतिशत, नानकमत्ता से 3.01 प्रतिशत, रुड़की से 4.11 प्रतिशत, काशीपुर से 5.62 प्रतिशत और जसपुर से 5.96 प्रतिशत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। इन सभी विधानसभा क्षेत्रों की जांच की जाएगी कि इतनी बड़ी संख्या में नाम कैसे हटाए व जोड़े गए हैं।