आत्मनिर्भर होने के लिए शुरू किया स्वरोजगार लेकिन मोदी की मंशा के आड़े आ गए बैंक अधिकारी क्या अब होगी कार्यवाही!

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कोरना के बाद प्रॉपर्टी का व्यवसाय करने वाले कई लोगों के काम धंधे बंद हो गए थे जिसके बाद उन्हें रोजी रोटी के लिए कोई दूसरा रास्ता चुनना पड़ता है ऐसा ही कुछ हल्द्वानी की प्रेम पुर लोसज्ञानी गांव में ही हुआ। जहां 2 युवाओं रविंद्र सिंह और उमेश बधाई द्वारा अपने घर पर डेयरी फार्म शुरू किया । डेयरी को मजबूती से विस्हांतार करने के लिए इन्होंने बैंक में लोन के लिए आवेदन किया लेकिन बैंक अधिकारियों की टरकाऊ नीति के चलते इनकी फ़ाइल पास नही की गई।।

इन लोगों ने दूध उत्पादन करने की योजना बनाई और दर्जनों गाय और भैंस खरीद कर दूध का काम शुरू किया और बीएस डेयरी के नाम से यह फर्म शुरू की गई। लेकिन कई ऐसे अधिकारी होते हैं जो नियम कानूनों का मकड़जाल बनाकर ऐसे युवाओं के सपनों के आगे खड़े हो जाते हैं। इन लोगों ने हल्द्वानी की ग्रामीण बैंक में अपनी फाइल बनाकर लोन स्वीकृति के लिए आवेदन किया जहां पर उन्हें 10लाख का लोन मिलना था लेकिन हुआ वही अधिकारियों की द्वारा फाइल पर तमाम तरह की आपत्तियां लगा दी जिससे इन युवाओं को सरकार की मंशा के अनुरूप स्वरोजगार करने के लिए लोन नहीं मिला। डेरी विस्तारीकरण एवम नए अत्त्याधुनिक उपकरणों की मदद से दुघ उतपादन करने के इनके सपने धरे के धरे रह गए।

तंगी से जूझ रहे रविंद्र सिंह ने अपने दोस्तों मित्रों और अन्य लोगों से उधार लिया और काम को आगे बढ़ाया। उमेश बधानी ने इस काम के लिए सभी तरह की की दिक़्क़तों को दूर करने का प्रयास किया। लेकिन इसके बाबजूद लोन नही मिला।

इन युवाओं के मन में यह बात गहरी बैठ कर गई की सरकार की मंशा चाहे स्वरोजगार बढ़ाने के लिए लोन देने की हो लेकिन आज के वर्तमान परिपेक्ष में जब तक अधिकारियों की जेब गर्म नहीं होती है तब तक उन्हें सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिलता है ।

वास्तविकता यह है कि उन लोगों द्वारा कई दर्जनों जानवरों के माध्यम से डेरी का संचालन किया जा रहा है और उनके द्वारा दुग्ध उत्पादन का कार्य कर हल्द्वानी के आसपास के लोगों को ढाई सौ से 300 लीटर दूध का उपार्जन कर पूर्ति की जा रही है।

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की स्वरोजगार योजना के तहत इन युवाओं को कोई लाभ नहीं मिला इनका कहना है कि इन्हें सरकार ऋण उपलब्ध कराएं और वह ब्याज समेत पूरे ऋण को समय से चुका देंगे ।

सच की तोप द्वारा मौके पर इनकी डेरी का मुआयना किया गया और वास्तव में उनके द्वारा दुग्ध उत्पादन के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है और इन युवाओं के स्वरोजगार के अलावा करीब 4 अन्य लोगों को उन्होंने रोजगार उपलब्ध कराया है। भैंस गाय के अलावा उन्होंने बकरी और मुर्गी का भी व्यवसाय शुरू किया है जो कि क्षेत्र में लोगों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। बकरियों का व्यवसाय करने से उन्हें लाभ तो होगा लेकिन जानवरों के भरण पोषण मैं आने वाले खर्चे को मेंटेन करने में इन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार सरकार को बैंक अधिकारियों को निर्देश देने चाहिए कि वास्तविक रूप से स्वरोजगार को आत्मनिर्भरता बनाने वाले तुम लोगों की फाइलों को प्रार्थना करता के साथ ले और उनकी ऋण की दिक्कत को दूर करें। युवाओं से सच की तो अपने बात की उन्होंने अपना दुखड़ा कैसे व्यक्त किया यह आप हमारी वीडियो में देखें।