आपदा के मौसम में क्या नया गुल खिलाएगी प्रीतम-हरक की जुगलबंदी !

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देहरादूनएसकेटी डॉटकॉम

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उत्तराखंड में एक और जहां आपदा भारी पड़ी हुई है लोगों को उनके दुख दर्द से राहत देने का काम सरकार और राहत देने की मांग विपक्षी पार्टी कर रही है वही इस माहौल में राजनीतिक गलियारे भी आपदा की तरह अपने उफान पर हैं। एक और जहां मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किए जा रहे हरीश रावत हल्द्वानी में आपदा का मौका मुआयना कर अपनी उपस्थिति जनता के बीच दर्ज करा रहे थे।

वही सत्ताधारी पार्टी के एक बड़े कैबिनेट मंत्री और मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष चाय की छुट्टियों के साथ वीडियो बनाकर ऐसा माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि वह अपनी अपनी ओर से कुनबे को बढ़ाने के लिए बैठक कर रहे हैं जबकि प्रदेश के आपदा के माहौल में इन दोनों बड़े नेताओं को कहीं ना कहीं अपने क्षेत्र अथवा प्रदेश के किसी कोने में आपदा का हाल जानने के लिए जनता के बीच होना चाहिए था लेकिन प्रदेश के यह दोनों नेता अकेले ही नहीं थे बल्कि उनके साथ उनके 1 -1 अन्य नेता भी जिस राजनीतिक माहौल को बड़ा घटनाक्रम बनाते हुए नजर आ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस हरक के घर में जहां चाय की चुस्कियों का आनंद लेने गए हो या यह दिखाने गए हो की वह अपनी पार्टी के मिशन में लगे हुए हैं । या माना आय की वह उस मिशन की भी हवा निकालने गए थे जो कुछ दिन पहले दिग्गज कांग्रेसी एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा था कि महा पापियों और राजनीतिक अपराधियों को प्रदेश की जनता से बिना माफी मांगे पार्टी में एंट्री नहीं होने दी जाएगी। वही इस बयान के तुरंत के बाद नेता प्रतिपक्ष कैबिनेट मंत्री के यहां पहुंचे रहते हैं और वहां से जो वीडियो वायरल होता देखा उसमें कैबिनेट मंत्री कह रहे हैं कि उन्हें भी जगह दो।।

जहां राजनीतिक मौसम कर होता दिखा उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारे की मंगलवार की सबसे बड़ी खबर वायरल होती नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की मुलाकात की एक तस्वीर है।

उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आसमानी आफत से हुए नुकसान का हवाई सर्वे करने निकले इधर जमीन पर सियासी आपदा की पटकथा लिखने को प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत की मुलाकात शुरू हो गई।

इस खास मुलाकात में कांग्रेस की तरफ से न अकेले प्रीतम थे और न ही बीजेपी की तरफ से हरक सिंह रावत। रायपुर से बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ, वही काऊ, जो बीजेपी आलाकमान के इशारे पर राहुल गांधी के घर तक पहुंच गए थे यशपाल आर्य को कांग्रेस में जाने से रोकने-मनाने को! वह वहाँ का हालचाल लेकर वापस भाजपा के केम्प में पहुँचे।जबकि प्रीतम के साथ डॉ हरक के आवास पहुँचे थे ब्रहमस्वरूप ब्रह्मचारी।

अब सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि आखिर जिनको कांग्रेस के कैंपेन कमांडर और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ‘लोकतंत्र के महापापी’ और ‘उत्तराखंड के अपराधी’ कहते फिर रहे तब उनके अँगना में प्रीतम-ब्रह्मस्वरूप चाय की चुस्कियां लेने क्यों दस्तक दे रहे? वैसे इस सवाल का आसान और सीधा जवाब तो यही है कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह परस्पर विरोधी दलों में भी नेताओं के दोस्त और संबंध होते है लिहाजा चाय पर गपशप होना कौनसी बड़ी बात हुई. भला!

पर क्या राजनीति में सबकुछ ऐसा आसान और सीधा सपाट होता है जो दिख रहा होता है! आखिर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी मौसम सुहाना है इसिलिए चाय-पकोड़े खाने तो हरगिज नहीं गए होंगे। यह कैसा इत्तेफाक है कि हाल में एक ही जहाज से हरक-काऊ और प्रीतम दिल्ली दौड़ लगा आए। ऐसे में क्या हरक सिंह रावत के आवास पहुंचकर प्रीतम सिंह ने हरीश रावत को बड़ा मैसेज देने का दांव चल दिया है? क्या यह खास रणनीति का हिस्सा नहीं कि जह ठीक 48 घंटे में दो बार हरदा ने कांग्रेस के बाग़ियों पर तीखा हमला बोला और लोकतंत्र के महापापी और अपराधी तक ठहराया, तब प्रीतम खुद हरक के घर काऊ संग दोनों नेताओं से मुलाकात करते हैं। वह ऐसा दावा चल रहे हो जिससे हरीश दवाब में आये और महापापियो की वापसी मे रोड न बने।

सवाल है कि अगर कांग्रेस आलाकमान प्रीतम-ब्रह्मस्वरूप को हरक-काऊ को अपने खेमे लाने के टास्क पर लगाता तो क्या ऐसे फोटो ऑप और वीडियो रिकॉर्डिंग कराकर सेंधमारी की पटकथा लिखी जाती? जाहिर है जवाब नहीं ही होगा क्योंकि काऊ तो पहले ही राहुल गांधी के दिल्ली दरबार होकर लौट आए और प्रीतम संग ही घर वापसी करने गए थे लेकिन जाने किस फ़ोन ने मन भटका दिया कि टॉयलेट खोजते खोजते बीजेपी लौट गए। हाईकमान अगर प्रीतम ऒर ब्रह्मस्वरूप को इस टास्क पर लगाता तो यह फोटोबाजी व वीडियो बाजी नही कही भी नही दिखती।

ऐसे में सवाल है कि क्या यह हरदा-प्रीतम कैंप में खुली जंग का ऐलान नहीं? आखिर हरदा चाहते हैं बाग़ियों को किसी क़ीमत पर खासकर हरक-काऊ और सतपाल महाराज जैसे नेताओं को कांग्रेस में घर वापसी न करने दी जाए। लेकिन अब प्रीतम-हरक-काऊ मुलाकात साफ इशारा करती है कि हरदा कैंप के उलट प्रीतम कैंप चाहता है कि किसी भी क़ीमत पर ज़्यादातर बाग़ियों की घर वापसी कराई जाए। सवाल है कि अगर प्रीतम की हरदा के आगे आलाकमान के सामने नहीं चल पाई तब उनका रुख क्या होगा? प्रीतम के इसी रुख पर ऑपरेशन लोटस के भाजपाई रणनीतिकार आजकल काम कर रहे हैं।


अब बात धामी सरकार में काबिना मंत्री डॉ हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ की। वैसे तो काऊ आर्य पिता पुत्र की घर वापसी के दिन उनके संग राहुल गांधी के अँगना घूम आए लेकिन चर्चा है कि उसी वक्त एक फ़ोन से मिले मंत्री पद ऑफ़र ने टॉयलेट खोजने को मजबूर किया और वे बीजेपी लौट आए। अब चूँकि काऊ को राहुल गांधी के घर के बाहर से गाड़ी में बिठाकर राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक लाए थे लिहाजा बलूनी के बुलावे पर हरक-काऊ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर खुशी-खुशी लौट आए! इसके बाद जहां काऊ ने कहा कि वे आलाकमान के मैसेंजर बनकर आर्य पिता-पुत्र को रोकने गए थे तो वहीं हरक समर्थकों ने उड़ाया कि उनके नेता ‘शेर ए गढ़वाल’ को बीजेपी बाइस बैटल का कैंपेन कमांडर बनाकर हरदा से दो-दो हाथ करने को उतरने वाली है। रााजनीति में दुश्मन का दुुुश्मन दोस्त होता है कही यही जंग प्रीतम ओर हरीश की तो नही चल रही है। इस लिए वह हरीश का दर्द बढ़ाना चाहते हो। वही भाजपा में हरक प्रीतम के सहारे अपने मुख्य प्रतिद्वंदी पूर्व्व मुख्यमंत्री टीएसआर का दर्द बढ़ाकर मुख्य्य्मंत्री का खास बनता है दिखाना चाहते हो।