हल्द्वानी के इस स्कूल के चालक परिचालक को दुष्कर्म के आरोप में मिली इतने साल की सजा
हल्द्वानी एसकेटी डॉट कॉम
पास्को की विशेष अदालत ने 4 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में चालक और परिचालक को दोषी मानते हुए 7 साल की कठोर कारावास के साथ साथ दोनों पर ₹60हजार-60 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
विशेष न्यायाधीश नंदन सिंह राणा की अदालत में चले इस मामले अदालत ने कठघरिया निवासी बस चालक रतन सिंह वह हीरा नगर निवासी परिचालक प्रदीप जोशी को यह सजा सुनाई है 21 सितंबर 2018 को इन दोनों को मुकदमा लिखने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों को पेश किया अदालत ने दोनों पक्षों के तर्को और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद चालक परिचालक को ही इस मामले में दोषी ठहराया है। एडीजीसी नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने मासूम बालिका के पिता को चुप कराया हुआ था अपनी कलम बंद बयान में उसके पिता ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने उसे मुंह बंद करने तथा बदनामी से बचने के लिए मुकदमा ना लिखने की सलाह दी थी ।
इसके अलावा चालक परिचालक के खिलाफ स्वयं कार्रवाई करने की बात कही थी इस मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिल गई थी।
तब यह मामला शहर में काफी चर्चा मैं था 4 साल की मासूम बच्ची के साथ वन में दोनों ने दुष्कर्म किया था लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ करने की कोशिश की थी पुतला भी फूंका लेकिन पुलिस के आने से स्कूल में किसी तरह की वारदात होने से बच गई मासूम ने बताया था कि उसके साथ बस वाले अंकल ने गलत हरकत की थी और मना करने पर थप्पड़ मारते थे और बच्ची ने स्कूल जाने से इंकार कर दिया था बच्ची के पिता ने यह भी बताया कि स्कूल प्रबंधन ने इस मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया था तथा उन्हें काफी भयभीत किया था शहर के पास इलाके हीरानगर मैं स्थित इस स्कूल प्रबंधन को को अदालत से इस मामले में राहत मिल गई थी
बच्ची की मां ने इस संबंध में काठगोदाम पुलिस को बताया था माता-पिता ने स्कूल के दबाव में डर के कारण मुकदमा दर्ज नहीं कराया था भोटिया पड़ाव क्षेत्र में रहने वाले रिटायर्ड कैप्टन अनिल गुप्ता ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था पुलिस ने आरोपियों को जेल भेजा उसके बाद ही यह मामला शांत हुआ था इस मामले की विवेचना उपनिरीक्षक लता बिष्ट ने की थी। करीब 4 साल के बाद इन आरोपियों को सजा मिली और उस मासूम बच्ची को न्याय मिला।
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